न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र।देशभर में संचालित श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने कहा कि सनातन संस्कृति एवं भारतीय जीवनमूल्यों के संरक्षणार्थ अहर्निश प्रयत्नशील, धर्म-अध्यात्म एवं भगवद शक्ति का उपदेश प्रदान कर भारतीय जनमानस के श्रेष्ठ मार्गदर्शक एवं स्वानामधन्य पुण्यश्लोक ज्योतिष एवं द्वारकाशारदा पीठाधीश्वर परमपूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज के गोलोकगमन से सनातन धर्म की बड़ी एवं अपूरणीय क्षति हुई है।
ब्रह्मचारी ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि परमपूज्य शंकराचार्य जी महाराज स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी भी रहे हैं, उन्होंने अपनी तप:साधना से, सेवा तथा लोककल्याणकारी कार्यों के माध्यम से समाज को एक नयी चेतना प्रदान की है। वे भारत साधु समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे हैं तथा भारत साधु समाज के माध्यम से भारत के समस्त साधु सम्प्रदायों को एकत्रित कर राष्ट्र एवं समाज के उन्नयन के साथ-साथ भारतीय संस्कृति एवं परम्पराओं के प्रति भी प्रयत्नशील रहे। उनका यह संगठन आज भी उसी दिशा में कार्य कर रहा है।
ब्रह्मचारी ने बताया कि पूज्य महाराजश्री का मेरे गुरुदेव देवेन्द्रस्वरूप ब्रह्मचारी जी महाराज के समय से ही श्री जयराम विद्यापीठ, आश्रम एवं संस्थाओं के साथ अत्यन्त पुराना सम्बन्ध रहा है, मुझे भी उनका निरन्तर वात्सल्य एवं मंगलाभिसिञ्चित स्नेहाशीष प्राप्त होता रहा है, उनके द्वारा समय-समय पर प्राप्त मार्गदर्शन मेरे सन्त जीवन के लिए कल्याणमय पाथेय के रूप में सिद्ध हुआ है। मैं ब्रह्मलीन परमपूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य जी महाराज को श्री जयराम आश्रम परिवार व भारत साधु समाज की ओर से अपनी भावपूर्ण विनम्र श्रद्धांजलि समर्पित करता हूँ। भारत साधु समाज के सह-महामंत्री स्वामी चिन्मयानन्द जी महाराज, परमार्थ आश्रम, हरिद्वार ने भी पूज्य महाराज श्री के श्रीचरणों में अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। पूज्य शंकराचार्य जी महाराज की परम्परा एवं विचारों का संरक्षण निरन्तर होता रहे, यही पूज्य शंकराचार्य जी महाराज के प्रति सच्ची एवं सार्थक श्रद्धांजलि होगी।