परीक्षा में अंग्रेजी की बाध्यता को खत्म कर हिंदी को बढ़ावा देकर परीक्षार्थियों को छूट देने वाला कुवि बना पहला विश्वविद्यालय
हिन्दी दिवस पर कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने किया साहित्यकारों को सम्मानित
युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग द्वारा हिंदी दिवस पर कार्यक्रम आयोजित
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि भारतीय आजादी के आंदोलन में हिंदी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वंदे मातरम्, इंकलाब जिंदाबाद, तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा, भारत मेरा जन्मसिद्ध अधिकार आदि हिंदी के ही नारे थे जिसकी बदौलत देश में राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता का माहौल पैदा हुआ और स्वतंत्रता के आंदोलन में लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। वे बुधवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव के तहत् हिंदी दिवस समारोह में विश्व में हिदी का विकास विषय पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे।
कुलपति प्रो. सोमनाथ ने कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय देश का पहला ऐसा विश्वविद्यालय है जिसनें अंग्रेजी माध्यम से पढ़ने वाले छात्रों के लिए उत्तर पुस्तिका में जवाब देने हेतु अंग्रेजी की बाध्यता को खत्म कर दिया है। विश्वविद्यालय के किसी भी माध्यम का विद्यार्थी अब अपने प्रश्नों के जवाब हिंदी माध्यम से दे सकता है। इसके साथ ही विधि विभाग के छात्रों के लिए हिंदी माध्यम की व्यवस्था भी की गई है। हिंदी विश्व में तीसरी सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा है। हिन्दी एक वैज्ञानिक भाषा है क्योंकि हिन्दी जैसी बोली जाती है वैसे ही लिखी भी जाती है। सम्पर्क भाषा, संवाद या संख्या की दृष्टि से हिन्दी सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाली भाषा है।
इससे पहले कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा, कुलसचिव डॉ. संजीव शर्मा, बुल्गारिया से मुख्य वक्ता प्रो. मोना कौशिक, गैब्रिएला मार्कोवा, प्रो. ब्रजेश साहनी, डॉ. महासिंह पूनिया ने मॉं सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस मौके पर कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने डॉ. शैल तिवारी द्वारा लिखित पुस्तक कामायिनी की आधुनिकता तथा डॉ. हरिकृष्ण द्विवेदी द्वारा लिखित पुस्तक रस कलश का विमोचन किया।
इस मौके पर सोफिया विश्वविद्यालय बुल्गारिया की प्रोफेसर मोना कौशिक ने कहा कि विदेशों में हिंदी के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ रही है। विदेशियों को हिंदी पढ़ाना तथा बोलचाल की भाषा के रूप में हिंदी को विस्तारित करना किसी चुनौती से कम नहीं है लेकिन वर्तमान दौर में हिंदी भारत में ही नहीं अपितु पूरे विश्व की भाषा बन चुकी है। इस अवसर पर ईरान की छात्रा शोराह ने हरिवंश राय बच्चन की कविता हिम्मत रखने वालों की कभी हार नहीं होती सुनाकर सबका मन मोह लिया।
इस मौके पर बुल्गारिया से आई सोफिया विश्वविद्यालय की छात्रा ग्रैबिएला मार्कोवा ने बुल्गारिया में हिंदी विकास और वहां पर भारतीय फिल्मों की लोकप्रियता विषय पर प्रकाश डालते हुए बुल्गारिया से हिंदी में अनुवादित कविता का पाठ किया। इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक डॉ. महासिंह पूनिया ने कहा कि हिंदी करोड़ो लोगों की भावनाओं की अभिव्यक्ति की भाषा है। गूगल पर 10लाख करोड़ पृष्ठ हिंदी के हैं। हिंदी वैश्विक रूप धारण कर चुकी है।
इससे पूर्व अधिष्ठाता कला संकाय प्रो. ब्रजेश साहनी सभी मेहमानों का स्वागत करते हुए कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय हिंदी के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। वर्तमान में विश्वविद्यालय में 125 से अधिक विदेशी छात्र अध्ययन के माध्यम से यहां की भाषा एवं सांस्कृतिक परम्पराओं का ज्ञान ले रहे हैं। कार्यक्रम में कुलपति प्रो. सोमनाथ ने हिन्दी दिवस के अवसर पर प्रो. हिम्मत सिंह सिन्हा, डॉ. उषा लाल, प्रो. भीम सिंह, हरिकृष्ण द्विवेदी, दिनेश दधीचि, डॉ. शैल तिवारी, डॉ. कामराज, श्री रतन चंद सरदाना, प्रो. मोना कौशिक, डॉ. प्रशस्यमित्र शास्त्री, सुश्री गैब्रिएला मार्काेवा व ईरानी छात्रा शोराह को हिंदी में योगदान के लिए सम्मानित किया। कार्यक्रम का मंच संचालन डॉ. सुकरमवती ने किया व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. वंदना ने किया।
इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. संजीव शर्मा, प्रो. ब्रजेश साहनी, आईआईएचएस के प्राचार्य डॉ. संजीव गुप्ता, डॉ. सीआर जिलोवा, डॉ. हरिओम फुलिया, डॉ. अनिता दुआ, डॉ. रीटा दलाल, डॉ. कुसुमलता, डॉ. महाबीर रंगा, प्रो. परमेश कुमार, डॉ. रजनी गोयल, डॉ. आनंद, डॉ. रामचन्द्र सहित अनेक शिक्षक, साहित्यिक विद्वान व विद्यार्थी मौजूद रहे।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय भारतीय संस्कृति एवं हिंदी के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा के नेतृत्व मंे विश्वविद्यालय में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए जो सार्थक कदम उठाए हैं उसके लिए कुलपति विशेष रूप से बधाई के पात्र हैं। ये उद्गार हिंदी विद्वान एवं दर्शन विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. हिम्मत सिंह सिन्हा ने हिंदी दिवस पर आयोजित साहित्यकार सम्मान समारोह में कुलपति से सम्मानित होने के पश्चात् कहे। उन्होंने कहा कि कुलपति तथा युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग ने रत्नावली की घोषणा कर लोक संस्कृति को बढ़ावा देने का जो महंत कार्य किया है उसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन बधाई का पात्र है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय देश का ऐसा पहला विश्वविद्यालय है जिसने हिंदी माध्यम से विधि विभाग के पाठ्यक्रम को लागू करने की पहल की है। उन्होंने कहा कि हिंदी दिवस पर कुरुक्षेत्र के साहित्यकारों का सम्मान कर विश्वविद्यालय ने हिंदी और साहित्यकारों को और अधिक प्रोत्साहित किया है।
ईरानी और बुल्गारियन ने पढ़ी हिंदी की कविताएं
हिंदी अब केवल भारत की भाषा नहीं रही। यह पूरे विश्व की भाषा बन चुकी है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में हिंदी दिवस पर आयोजित साहित्यकार सम्मान समारोह में देखने को मिला। कार्यक्रम के मुख्यातिथि कुलपति प्रो. सोमनाथ के समक्ष सोफिया विश्वविद्यालय बुल्गारिया से विशेष रूप से आमंत्रित छात्रा गेब्रिएला मार्कोवा ने बुल्गारियान से हिंदी में अनुवादित कविता दो सुंदर दो आंखे जैसे निश्चल शिशु के दो नयन, पवित्र आत्मा जैसे शिशु के दो नयन पढ़कर सबका मन मोह लिया। ईरान की छात्रा शोराह ने हरिवंश राय बच्चन की कविता कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती सुनाकर सबको तालियां बजवाने के लिए मजबूर कर दिया।