Friday, November 22, 2024
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किसानों के अगले आंदोलन का केंद्र बन सकता है शाहाबाद,शुक्रवार को किसान करेंगे जीटीरोड जाम

by Newz Dex
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डॉ. प्रदीप गोयल/न्यूज डेक्स संवाददाता

शाहाबाद। भाकियू द्वारा धान की सरकारी खरीद गुरुवार तक शुरू करने के अल्टीमेटम की अवधि समाप्त होने के बाद अब सरकार से टकराव की स्थिति पैदा हो गई है। अपनी घोषणा के अनुसार किसान शुक्रवार को प्रातः 10 बजे जीटी रोड जाम करेंगे। जिसमें कुरुक्षेत्र, अंबाला, कैथल, यमुनानगर और करनाल जिला के किसान हिस्सा लेंगे। जिससे लगता है कि अबकी बार कुंडली बॉर्डर की बजाय जीटी रोड पर शाहाबाद ही किसान आंदोलन का केंद्र बनेगा। हालांकि बुधवार को ही किसानों ने जीटी रोड जाम करने का निर्णय लिया था लेकिन भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने सरकार को 22 सितंबर सांय तक सरकारी खरीद शुरू करने की चेतावनी दी थी और स्पष्ट कर दिया था कि यदि सरकारी खरीद शुरू नहीं हुई तो 23 सितंबर सुबह 10 बजे पुलिस की लाठी, गोली और पानी की बौछारें भी किसानों को जीटी रोड जाम करने से नहीं रोक पाएंगे।

भाकियू के प्रदेश प्रवक्ता राकेश बैंस ने कहा है कि किसानों ने मंगलवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी की अध्यक्षता में मीटिंग कर सांकेतिक प्रदर्शन किया था और सरकार को 22 तारीख़ तक ख़रीद शुरू करने का अल्टीमेटम दिया था। किंतु सरकार द्वारा कोई सकारात्मक रुख़ नहीं अपनाया गया है और सरकारी ख़रीद अभी तक शुरू नहीं की गई। इसके विरोध स्वरूप 23 सितम्बर को गुरनाम चढूनी के नेतृत्व में भाकियू(चढूनी) के बैनर तले सुबह 10 बजें किसान शाहबाद स्थित ऊधम सिंह मेमोरियल ट्रस्ट में इकट्ठा होंगे व उसके बाद तय पूर्व घोषित तय कार्यक्रम अनुसार जीटी रोड को जाम करेंगे।

राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम चढूनी ने कहा कि मंडिया धान से भरी पड़ी है किंतु सरकार ने अभी तक ख़रीद शुरू नही की है और सरकार एक अक्तूबर से ख़रीद शुरू करने का दावा कर रही है जबकि ये दशकों पहले की परंपरा रही है। जबकि आजकल धान की ऐसी भी वैरायटी है जो सितम्बर माह में ही पककर तैयार हो जाती है ।एक ओर तो सरकार खुद कहती है कि किसान 15 जून के धान की रोपाई शुरू करे और सरकार द्वारा ही प्रमाणित बीज 90 दिन में पक कर यानि 15 सितम्बर को तैयार हो जाता है फिर सरकार ख़रीद समय पर क्यों नही करती। वहीं दूसरी ओर किसान को कुदरत की मार भी पड़ रही है और दो दिन से हो रही बेमौसमी बरसात के कारण मंडियो में खुले आसमान के नीचे पड़ा धान ख़राब हो रहा है और जो धान पककर तैयार है वो ख़रीद शुरू ना होने के कारण खेत में ख़राब हो रहा है।

चढूनी ने आरोप लगाया है कि सरकार ने 22 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से धान खरीदने की योजना बनाई है जबकि किसान के खेत में फसल 30 से 35 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से होती है। उन्होंने सरकार से 30 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से धान खरीदी जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अनाज मंडी में 6 सितंबर से धान आनी शुरू हो गई थी और अब तक 60 हजार क्विंटल धान मंडी में आ चुकी है। लेकिन किसानों को अपनी धान बेचने के लिए सरकार की खरीद का इंतजार करना पड़ रहा है। इस अवसर पर भाकियू के प्रेस प्रवक्ता राकेश बैंस, जसबीर सिंह मामू माजरा, यमुनानगर के प्रधान संजू गुंदियाना, कैथल के प्रधान महावीर चहल, पंकज हबाना, होशियार सिंह गिल, अंबाला के प्रधान मलकीत सिंह, करनाल से अजय राणा, संदीप सिंगरोरा, इंद्री से भरत, कृष्ण कलाल माजरा, पवन बैंस , हरकेश कुमार सहित अनेक किसान मौजूद थे।

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