आश्विन मास की रविवारीय शुक्ला सप्तमी को होगा काम्यकेश्वर महादेव तीर्थ स्नान
न्यूज़ डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। देशभर में संचालित श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी की प्रेरणा से तीर्थों की संगमस्थली एवं धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में काम्यक वन की पवित्र धरा पर काम्यकेश्वर महादेव तीर्थ का विशेष महत्व है। शिक्षक एवं तीर्थ के सेवक सुमेन्द्र शास्त्री ने बताया कि इस बार आश्विन मास की शुक्ला सप्तमी 2 अक्टूबर को है। इस बार विशेष अवसर भी है कि आश्विन मास में रविवारीय शुक्ला सप्तमी स्नान शारदीय नवरात्रों में सरस्वती आहवान दिवस पर हो रहा है। उन्होंने बताया कि मूल नक्षत्र में इस दिन सूर्य देव की पूजा भास्कर के नाम से होती है।
उन्होंने बताया कि काम्यकेश्वर महादेव तीर्थ का महत्व वामन पुराण एवं ब्रह्म पुराण में वर्णित है। पांडवों ने जुए में हारने के बाद इसी पावन धरा को भीष्म जी के कथनानुसार अपनी तप स्थली बनाया था। उस समय पांडवों के साथ करीब 10 हजार श्रोत्रियनिष्ठ ब्राह्मण रहते थे। जो नित्य प्रति यज्ञ अनुष्ठान करते थे। साथ ही शिवाभिषेक कर पांडवों को उपदेश दिया करते थे। सुमेन्द्र शास्त्री ने बताया कि इस तीर्थ की उत्पति के विषय में ऋषि पुलत्स्य ने हर की पौड़ी हरिद्वार में बताया था कि एक बार 12 वर्ष तक चलने वाले यज्ञ में नैमिषारण्य से लाखों ब्राह्मणों ने इस पावन धरा को अपनी यज्ञ स्थली एवं तप स्थली बनाया था।
इस दौरान उन्होंने स्नान एवं तर्पण के लिए यज्ञोपवीतक नामक तीर्थ की कल्पना की। परन्तु सभी ब्राह्मण उसमें स्नान न कर सके। फिर उन्होंने सरस्वती का आहवान किया। तब यहां सरस्वती कुंज के रूप में प्रकट पश्चिमी वहनी होकर बहने लगी। सुमेन्द्र शास्त्री ने बताया कि सूर्य भगवान यहां पूषा के नाम से विद्यमान रहते है और इस तीर्थ में ही सूर्य का मिलन पत्नी संज्ञा से हुआ था। जो घोड़ी का रूप धारण कर काम्यक वन में भ्रमण कर रही थी। पांडव करीब 8 वर्ष तक इस तीर्थ पर रहे। उनसे मिलने देवऋषि नारद, महात्मा विदुर, संजय, ऋषि मार्कंडेय लोमश ऋषि सहित अनेक ऋषि, संत महापुरुष आए। भगवान श्री कृष्ण अपनी पत्नी सत्यभामा सहित इस पावन धरा पर तीन बार धर्म संदेश देने के लिए पहुंचे। ऋषि दुर्वासा ने द्रोपती की परीक्षा भोजनार्थ यहीं पर ली थी। सुमेन्द्र शास्त्री ने बताया कि काम्यकेश्वर महादेव तीर्थ मेले एवं स्नान की तैयारियों के लिए श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी की प्रेरणा से सभी गांववासी एवं सेवक जुटे हुए हैं। इस अवसर पर अखंड भंडारे का भी आयोजन होगा।