न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र।हरियाणा सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, कला एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग, हरियाणा कला परिषद के सहयोग से विरासत हेरिटेज विलेज में 25 सितंबर 2022 को राज्य स्तरीय विरासत सांझी उत्सव की शुरूआत हुई, जिसमें प्रदेश भर से 50 से अधिक महिलाओं ने भाग लिया। यह जानकारी विरासत के प्रभारी प्रो. राजबीर सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि सांझी लोक सांस्कृतिक परम्पराओं का त्योहार है। हरियाणा तथा उत्तरी भारत में धूमधाम से सांझी लगाने की परम्परा है। इसी कड़ी में विरासत हेरिटेज विलेज में दूसरा राज्य स्तरीय हरियाणा सांझी उत्सव आयोजित किया गया। विरासत सांझी उत्सव में सोनीपत से सीता, सुदेश, कुरुक्षेत्र से सरस्वती, मंजू शर्मा, अंजू शर्मा, सुदेश, सिमरन त्यागी, सुखदेव रानी, सिमरन, रोहतक से कौशल्या देवी, जींद से नम्रता, अंबाला से अन्नू, पानीपत से सीमा, यमुनानगर से तेजो देवी, करनाल से किरन पूनिया, मनका, मुकेश, हिसार से सीमा, झज्जर से कमलेश दलाल, तथा हरियाणा के विभिन्न जिलों से राजकुमार राजपति, अनीता, सिमरन, बबली, उर्मिला देवी, सुमन, अंजू, अमृता रानी, ममता, सरला, गीता, कमलेश आदि महिलाओं ने भाग लिया। प्रो. राजबीर सिंह ने कहा कि लोकजीवन में सांझी कला बालिकाओं की लोक कलात्मक अभिव्यक्ति की परिचायक है। इसी परम्परा को पुनर्जीवित करने के लिए विरासत हेरिटेज विलेज में सांझी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस अवसर पर ग्रामीण महिलाओं ने सांझी माता के गीत भी गाए।
दिल्ली पुलिस की इंस्पेक्टर कमलेश दलाल ने भी लगाई सांझी
विरासत हेरिटेज विलेज में आयोजित सांझी उत्सव के दौरान प्रदेश भर से पहुंची महिलाओं ने हरियाणा सांझी उत्सव में भाग लेकर हरियाणा की लोककला सांझी को बचाने का संदेश दिया। इस अवसर पर झज्जर जिला की गांव छारा की रहने वाली दिल्ली पुलिस में इंस्पेक्टर कमलेश दलाल ने भी विरासत सांझी उत्सव में भाग लिया। उन्होंने कहा कि हम बचपन में सांझी बनाते थे, उन्हीं यादों को जीवंत करने के लिए विरासत सांझी उत्सव में भाग लेने के लिए आए हैं। विरासत हरियाणवी संस्कृति को बचाने के लिए सांझी उत्सव के माध्यम से सार्थक पहल कर रहा है।
लोककला सांझी को बचाने की जरूरत: पूनिया
हरियाणा संस्कृति विशेषज्ञ डॉ. महासिंह पूनिया ने कहा कि हरियाणा की लोककला की पूरे भारत में अलग पहचान है। आज अमावस्या के दिन गांवों में ग्रामीण बालिकाएं एवं महिलाएं सांझी माता को लगाकर उसकी पूजा करती हैं तथा उसकी अराधना करती हैं। गांवों में मिट्टी से बनाई जाने वाली लोककला सांझी धीरे-धीरे लुप्त हो रही है। आवश्यकता है सांझी के संरक्षण करने की तथा इसको युवा पीढ़ी से जोडऩे की।