न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। भीतर का आक्रोश लगा फटने, तो फटाफट छपवाकर निमंत्रण कार्ड लगे बंटने…। महाभारत की रणभूमि में दशहरे का आयोजन इस बार भी पूरे धूमधाम से बम पटाखों के साथ होगा,मगर इससे पहले जो आतिशबाजी हो रही है,वो कंट्रोवर्सी नगर में चर्चा बनी हुई।नगर के सब चौक चौराहे विजयदशमी के होर्डिंग से अटे चुके हैं। इनमें नेताओं गणमान्य लोगों के चित्रों के साथ तीर छोड़ते भगवान श्रीराम दिखते हैं। वहीं कुछेक होर्डिंग एेसे भी लगे हैं,जिसमें छपा संदेश अपने आप में कुरुक्षेत्र दशहरा कमेटी पर तीर छोड़ रहा है। यह होर्डिंग सर्वजातीय दशहरा कमेटी कुरुक्षेत्र ने लगवाए हैं। सर्वजातीय दशहरा कमेटी कुरुक्षेत्र के पोस्टर होर्डिंग में भी लगभग कुरुक्षेत्र दशहरा कमेटी जैसी सामग्री दिखती है,मगर सर्वजातीय दशहरा कमेटी में दो पंक्तियां ध्यानाकर्षण करती हैं। टारगेट पर कुरुक्षेत्र दशहरा कमेटी की कार्यकारिणी है।
सर्वजातीय दशहरा कमेटी के पदाधिकारियों का कहना है कि कुरुक्षेत्र दशहरा कमेटी में सिर्फ एक विशेष वर्ग को प्रमुखता दी है और इसको लेकर विशेषकर अग्रवाल समाज और ब्राह्मण समाज समेत अन्य वर्गों में टीस है। इनका कहना है कि करीब दो दशक पहले कुरुक्षेत्र नगर में दो प्रमुख दशहरा कमेटियां थीं,लेकिन तत्कालीन राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री अशोक अरोड़ा के प्रयासों से इन दोनों कमेटियों को एक कर कर संयुक्त रुप से कुरुक्षेत्र दशहरा कमेटी गठित की गई थी,लेकिन उन प्रयासों पर पलीता लगाने का काम किया जा रहा है। हालांकि आज भी कुरुक्षेत्र दशहरा कमेटी के संरक्षक पूर्व मंत्री अशोक अरोड़ा ही है। दो दिन पहले नगर में इस कंट्रोवर्सी को बढ़ते देख पूर्व मंत्री अशोक अरोड़ा ने प्रेसवार्ता कर स्पष्ट किया था कि वह चाहते हैं कि उनके प्रयासों से एकजुटता दो दशक पहले बनी थी,वह बनी रहे,लेकिन अरोड़ा ने इसका पूरा ठीकरा सीधे तौर पर अपने प्रतिद्वंदी खेमेके नेताओं पर फोड़ा है। अरोड़ा पर सवाल उठ रहे हैं कि जिस संयुक्त संस्था के वे संरक्षक बन कर बैठे हैं,उसमें इस तरह के हालात कैसे पैदा हो गए,उन्होंने अब तक इसका विरोध क्यों नहीं किया ?
अब दो दिन पहले जब कुरुक्षेत्र दशहरा कमेटी के समानांतर कुछ विशेष जाति वर्ग के नेताओं की एक बैठक बुलाकर सर्वजातीय दशहरा कमेटी का गठित कर डाली तो कुरुक्षेत्र दशहरा कमेटी से जुड़े राजनेता सक्रिय हुए। सर्वजातीय दशहरा कमेटी की घोषणा के साथ पिछले दिनों ब्राह्मण नेता यशेंद्र शर्मा को संयोजक और अग्रवाल समाज के नेता राजेश सिंगला और युवा नेता अशोक पहलवान को सह संयोजक घोषित किया था। ब्राह्मण एवं अग्रवाल समाज ने इस कमेटी को गठित कर नगरभर में होर्डिंग और सोशल मीडिया एवं मुख्यधारा के मीडिया में खबरें व प्रचार सामग्री का प्रचार प्रसार शुरु कर दिया था। सर्वजातीय दशहरा कमेटी ने इन पोस्टर होर्डिंग में संदेश दिया…समाज में आपसी सौहार्द,ना कि विभाजन,हमारा लक्ष्य,समाजिक समरसता का भाव…। कुरुक्षेत्र में आपसी भाईचारे में आयोजन के नाम पर किसी प्रकार का विभाजन ना हो,इसके लिए दो प्रमुख नेताओं ने इस स्थिति को भांपते हुए कमान संभाली। कुरुक्षेत्र दशहरा कमेटी के नेता मानमनोव्वल में जुट गए हैं।
चर्चा यह भी है कि आने वाले दिनों कुरुक्षेत्र में निकाय के चुनाव हैं और इन चुनावों में जातीय समीकरणों का खेल किसी पर भारी ना पड़े, इसके लिए पूर्व मंत्री अशोक अरोड़ा के बाद थानेसर के विधायक सुभाष सुधा अपने अपने स्तर पर डैमेज कंट्रोल में जुटे है। इन दोनों नेताओं ने मीडिया एवं सोशल मीडिया से यह संदेश दिया कि कुरुक्षेत्र दशहरा कमेटी जो आयोजन कर रही है,वह सभी का है,इसमें सभी वर्गों को सम्मान देने का काम होगा। आनन फानन में आयोजन से चंद घंटे पहले कुरुक्षेत्र दशहरा कमेटी ने निमंत्रण कार्ड प्रिंट कराए और पदाधिकारियों ने बांटे। सवाल पूर्व मंत्री अशोक अरोड़ा पर भी उठ रहे हैं,क्योंकि संरक्षक होते हुए भी उन्होंने कार्यकारिणी में नजरंदाज हुए उन जाति सामुदाय के लोगों के नामों पर गौर नहीं किया,जो कि संयुक्त रुप से बनी दशहरा कमेटी में कभी शामिल थे। हालांकि अरोड़ा ने जिस इस मामले उबाल आते देख मीडिया को संदेश दिया था,वो समाज की एकजुटता में नाकाफी दिख रहा था।उनकी भूमिका काफी तभी होती,अगर अरोड़ा आगे आकर कार्यकारिणी की सूची में सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व दिलाते।यकीनन तब उस सूरत में सर्वजातीय दशहरा कमेटी के गठन की नौबत नहीं आती। अब चर्चा है कि वोट की राजनीति करने वाले नेताओं को चुनाव के समय सभी समाज याद आते हैं,जबकि कुरुक्षेत्र दशहरा कमेटी की कार्यकारिणी में निजविशेष को ही तवज्जों मिलती है।अब प्रमुख सामुदाय वर्गों के नेताओं के लिए निमंत्रण कार्ड भेजे जा रहे हैं,मगर इनमें कितने प्रमुख नेता पहुंचेंगे यह दशहरे की शाम को पता चलेगा।