कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के हेल्थ सेंटर विभाग के मेडिकल ऑफिसर डॉ. आशीष अनेजा ने दी जानकारी
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र, 11 अक्टूबर। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के हेल्थ सेंटर विभाग के मेडिकल ऑफिसर,गैपियो एवं आर एस एस डी आई मेंबर डॉ. आशीष अनेजा के द्वारा विश्व अर्थराइटिस दिवस के अवसर पर लोगों को जागरूक किया गया। हमेशा की तरह एक समाज सेविका की भूमिका निभाते हुए उन्होंने लोगों को बताया कि अर्थराइटिस को आम भाषा में गठिया व जोड़ों के दर्द से संबंधित बीमारी के रूप में जाना जाता है तथा आर्थराइटिस के मरीज लगभग 15 प्रतिशत लोगों को प्रभावित करते हैं, यानि भारत में 180 मिलियन से अधिक लोग। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़े बताते हैं कि दुनिया की आबादी के 0.3-1 प्रतिशत लोगों में गठिया और 18 प्रतिशत महिलाएं हैं, जबकि 60 साल से ऊपर के लगभग 10 प्रतिशत पुरुषों में “रोगसूचक ऑस्टियोआर्थराइटिस“ है। लगभग 120 मिलियन लोग वर्तमान में अकेले यूरोपीय संघ में एक आमवाती बीमारी (आरएमडी) के साथ रह रहे हैं।
उन्होंने बताया कि अर्थराइटिस मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है , ओस्टियो आर्थराइटिस व रूमेटाइड अर्थराइटिस । ओस्टियो आर्थराइटिस की वजह से कार्टिलेज या तो टूट जाते हैं या फिर खींच जाते हैं जिसकी वजह से चलने फिरने में परेशानी आती है वहीं दूसरी ओर रूमेटाइड अर्थराइटिस एक ऑटो इम्यून बीमारी है इससे शरीर का प्रतिरोधी तंत्र स्वयं ही कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगता है। ऐसा खास तौर पर प्रमुख जोड़ वाले हिस्से में होता है जिसका कारण उसमें दर्द, सूजन व लालिमा आ जाती है, साथ ही सुबह उठते ही उंगलियां मुड़ जाती हैं, कमजोरी, जकड़न व थकावट में बुखार जैसा महसूस होने लगता है। आगे डॉक्टर अनेजा ने बताया कि गठिया या अर्थराइटिस होने के अन्य कारण भी हैं जैसे -जोड़ों को चोट लगना, आनुवंशिकी कारण का होना, शरीर में कैल्शियम की कमी, किसी दवाई का दुष्प्रभाव इत्यादि। प्रारंभ में इसके कुछ लक्षण दिखाई देते हैं अतः व्यक्ति को पांच लक्षण दिखाई पर डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए ,इन लक्षणों में मुख्य रूप से जोड़ों में दर्द होना, जोड़ों में जकड़न, घुटनों में सूजन, चलने फिरने में तकलीफ, घुटने के दर्द वाले जोड़ों की त्वचा का लाल होना इत्यादि।
डॉ. अनेजा ने बताया कि यदि समय पर इस बीमारी का इलाज न कराया जाए तो इससे कई जोखिम उठाने पड़ सकते हैं, जैसे -जोड़ों का खराब होना, आंखें संबंधी बीमारी ,गर्दन में दर्द, डायबिटीज या टीबी का खतरा बढ़ सकता है । यदि समय रहते सावधानी करें तो इस बीमारी में कुछ फायदा भी हो सकता है जैसे -पौष्टिक भोजन लेना ,साइकिल चलाना, वजन को नियंत्रण में रखना, फिजिकल थेरेपी , इत्यादि से गठिया की समस्या से निजात पाया जा सकता है। अंत में डॉ अनेजा ने लोगों की समस्या को ध्यान में रखते हुए बताया कि वे समय-समय पर ऐसी गंभीर बीमारियों के प्रति लोगों को जागरूक करते रहते हैं और भविष्य में भी वो लोगों को जागरूक करते रहेंगे और अपना भरपूर सहयोग देते रहेंगे।