किसान भी पराली बेचकर प्रति एकड़ कमा सकते है 3 हजार रुपए
पिहोवा में सैनसन पेपर मिल और हिन्द समाचार लिमिटेड पराली से बनाएगी बिजली
सैनसन पेपर मिल को प्लांट से पिछले वर्ष बिजली के बिल की करीब 3 करोड़ 24 लाख की बचत
दोनों उद्योगों में 1 लाख 40 हजार मीट्रिक टन पराली का प्रबंधन
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र, 14 अक्तूबर। अब कुरुक्षेत्र में दो बायोमॉस पावर प्लांट से पराली का प्रबंधन कर हर वर्ष करोड़ों यूनिट बिजली पैदा की जाएगी। इससे किसान भी दोनों उद्योगों को प्रति एकड़ करीब 3 हजार रुपए पराली बेचकर कमा सकते है। इन दोनो प्रोजैक्टस में 1 लाख 40 हजार मीट्रिक टन पराली का प्रबंधन किया जा सकेगा। अहम पहलू यह है कि इस जिले में 41 हजार मीट्रिक टन पराली की पैदावार होने के आंकड़े कृषि विभाग द्वारा दर्शाए गए है।
इस प्रकार इस जिले में किसानों को पराली न जलाकर पैसा कमाने और पर्यावरण को स्वच्छ रखने में दोनो प्रोजैक्टस काफी कारगर साबित होंगे। इसके लिए सिर्फ किसानों को सयंम और धैर्य बनाकर अपनी पराली को खेतों में न जलाकर दोनो उद्योगों के पास बेचने का प्रयास करना होगा।
उपायुक्त शरणदीप कौर बराड़ ने विशेष बातचीत करते हुए कहा कि कुरुक्षेत्र के उपमंडल पिहोवा के गांव बाखली में सैनसन पेपर इंस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा 8 मैगावॉट का बायोमॉस पावर प्लांट स्थापित किया है। इस प्लांट में से 3 मैगावॉट बायोमॉस पावर प्लांट स्थापित करने के लिए सरकार की तरफ से वर्ष 2009-10 में हरेड़ा द्वारा 60 लाख रुपए की सबसीडी भी उपलब्ध करवाई गई थी।
इस प्रोजैक्टस के जरिए वर्ष 2019-20 में 2 करोड़ 16 लाख 22 हजार 285 यूनिट बिजली पैदा की थी। इस प्रोजैक्टस से खर्चों को निकाल कर फर्म ने तकरीबन डेढ रुपए पर यूनिट यानि 3 करोड़ 24 लाख 33 हजार 427 रुपए की बचत की है और जून माह तक सैनसन पेपर मिल द्वारा 49 लाख 96 हजार 355 यूनिट बिजली पैदा की जा चुकी है। इस प्लांअ में 1 लाख 15 हजार मीट्रिक टन पराली का प्रबंधन किया जा सकेगा।
उन्होंने बताया कि पिहोवा में ही गांव छज्जूपुर में हिंद समाचार लिमिटेड द्वारा 15 मैगावॉट का बायोमॉस पावर प्लांट स्थापित कर लिया गया है। इस प्लांट में 25 हजार मीट्रिक टन पराली का प्रबंधन किया जाएगा और यह प्लांट दिसम्बर माह के अंत तक शुरु कर दिया जाएगा। इस जिले में तकरीबन 2 लाख 75 हजार एकड़ में धान की फसल पैदा की जा रही है।
इसमें से करीब 70 हजार एकड़ में बासमती धान की बिजाई होती है और इस बासमती धान की पराली का प्रयोग किसान अपने पशुओं के चारे के लिए ही करते है, जबकि 2 लाख 5 हजार एकड़ में पीआर किस्म की धान की बिजाई होती है और इससे 41 हजार मीट्रिक टन पराली पैदा होती है।
उन्होंने बताया कि किसान प्रति एकड़ पराली बेचकर 3 हजार कमा सकता है और इन दोनों प्लांट में 41 हजार एमटी की बजाए 1 लाख 40 हजार एमटी पराली खरीदने की क्षमता है, इसलिए किसान खेतों में पराली को आग न लगाकर दोनों प्लांट को पराली को बेच सकता है। इससे किसान पराली जलाने से बचेगा और प्रति एकड़ 3 हजार रुपए भी कमा सकेगा।
डीसी ने कहा कि किसानों को पराली प्रबंधन करने बारे लगातार कृषि विभाग, हरेड़ा लगातार जागरुक कर रहा है। इसके लिए टीमों का भी गठन किया गया है। अभी धान के सीजन में किसानों को फानों में आग न लगाने बारे और पराली का प्रबंधन करने के प्रति किसान गोष्ठिïयों और शिविरों के माध्यम से गांव-गांव जाकर जागरुक किया जा रहा है।
इन तमाम प्रयासों के बावजूद कुछ किसान अभी भी फानों में आग लगा देते है, जिससे न केवल किसानों के मित्र कीट नष्टï हो रहें, अपितु पर्यावरण भी दूषित हो रहा है। इस प्रकार के लोगों पर प्रशासन द्वारा सख्ती की जा रही है, यहां तक की दोषी पाए जाने पर एफआईआर भी दर्ज की जा रही है। उन्होंने फिर से अपील करते हुए कहा कि पराली का प्रबंधन करे और फसल अवशेषों में आग न लगाए।