गीता जयंती महोत्सव 2022 के लिए हुआ श्री हनुमत ध्वजारोहण, विद्यापीठ में संकट मोचन श्री राम भक्त हनुमान के गुणगान से हुआ गीता जयंती महोत्सव का आगाज
भगवान श्री राम भक्त वीर हनुमान महाभारत युद्ध में श्री कृष्ण और अर्जुन के रथ पर ध्वजवाहक रहे हैं : ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी
कुरुक्षेत्र की धरती पर भगवान श्री कृष्ण के मुखारविंद से गीता के संदेश के साक्षी हैं वीर हनुमान : ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी ने कहा कि भारतीय संस्कृति के अनुसार धार्मिक आयोजन संतों महापुरुषों के द्वारा ही होते हैं। उन्होंने कहा कि जहां भगवान श्री राम के परम भक्त वीर हनुमान विराजमान हों धर्म की भावना और विश्वास होता है। इस मौके पर जयराम संस्थान की 40 वर्षों से चली आ रही गुरु परम्परा के अनुसार परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी ने भगवान श्री राम के परम भक्त वीर हनुमान का आहवान कर हनुमत ध्वजारोहण किया और विधिवत मंत्रोच्चारण के साथ पूजा अर्चना करते हुए गीता जयंती महोत्सव 2022 का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर संत महापुरुषों के साथ कुरुक्षेत्र के शाहाबाद उपमंडल के एस.डी.एम. कपिल शर्मा, विद्यापीठ के ट्रस्टी तथा गणमान्य नागरिक भी मौजूद थे। विद्यापीठ में श्री हनुमत पूजन, ध्वजारोहण एवं गीता पाठ के उपरांत परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कुरुक्षेत्र तो भगवान श्री कृष्ण के श्री मुख से उत्पन्न पावन गीता की जन्मस्थली एवं कर्म भूमि है। यहां प्रतिदिन गीता उत्सव का आयोजन किया जाना चाहिए। ब्रह्मचारी ने बताया कि इस सृष्टि में कोई भी मंगल एवं महान कार्य वीर हनुमान के बिना सम्पन्न नहीं किया जा सकता है। महाभारत के युद्ध में भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन के रथ का ध्वज भी भगवान श्री राम भक्त वीर हनुमान के हाथ में ही था। रावण पर भगवान श्री राम की विजय में भी वीर हनुमान का श्रेय था। जहां भगवान श्री राम के परम भक्त हनुमान विराजमान हो जाएं तो वह भूमि आस्था, धर्म भावना तथा विश्वास की भूमि होती है। उन्होंने बताया कि वर्षों से विद्यापीठ की परम्परा एवं विश्वास है कि भगवान श्री राम भक्त हनुमान के विद्यामान रहते हुए गीता ज्ञान महायज्ञ के सभी कार्य निर्विघ्न सम्पन्न होते हैं। गीता जयंती महोत्सव के धर्म रथ पर स्वयं वीर हनुमान विराजमान होते हैं। ब्रह्मचारी ने कहा कि वे तो सेवक के रूप में गुरु परम्परा के अनुसार संतों की सेवा कर रहे हैं। गीता जयंती महोत्सव तो पूरे समाज का सांझा अनुष्ठान है। उन्होंने कहा कि यह सेवा संस्कार की भावना गुरुओं की प्रेरणा एवं संत महापुरुषों की सेवा से मिली है। गीता जयंती उत्सव पर एक ही भावना रहती है कि सभी के मन में गीता उतरे। परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरुप ब्रह्मचारी द्वारा गीता जयंती महोत्सव 2022 के लिए ब्रह्मसरोवर के तट पर श्री जयराम विद्यापीठ परिसर में विद्वान-ब्राह्मणों तथा ब्रह्मचारियों द्वारा भगवान श्री रामभक्त वीर हनुमान का गुणगान करते हुए श्री हनुमत ध्वजारोहण किया। ब्रह्मचारी ने कहा कि आज अगर समाज के युवा वर्ग गीता के संदेश को अपने जीवन में अपना लें, तो समाज की करीब-करीब सभी बुराइयां अपने-आप ही समाप्त हो जाऐंगी। भगवान श्री कृष्ण ने गीता का संदेश केवल अर्जुन को ही नहीं बल्कि अर्जुन के माध्यम से पूरी सृष्टि के सभी प्राणियों को दिया था। ब्रह्मचारी ने बताया कि पिछले करीब चार दशक से 2 दिसम्बर को पूर्व गुरु परम्परा के अनुसार मंदिरों की वार्षिक मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा उत्सव एवं विधिवत पूजन होगा। उन्होंने बताया 28 नवम्बर से 1 दिसम्बर तक विद्यापीठ में राज्य स्तरीय अंतर विद्यालय सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रतियोगिताएं नए स्वरूप एवं नए अंदाज से आयोजित होंगी। इन सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रतियोगिताओं में विभिन्न जिलों के करीब 80 स्कूलों से 4 हजार से अधिक स्कूली विद्यार्थी अपनी प्रतिभा दिखाएंगे। यह बच्चे गीता से संबंधित श्लोकोच्चारण, गीता से संबंधित पेंटिंग, भजन व गीता से संबंधित कोरियोग्राफी इत्यादि विभिन्न कार्यक्रमों में अपनी प्रतिभा दिखाएंगे। ब्रह्मचारी ने गीता जयंती के अवसर पर जयराम विद्यापीठ में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों बारे बताया कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष 28 नवम्बर से 4 दिसम्बर तक संगीतमयी श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन होगा, जिसमें कथा व्यास भागवत भास्कर आचार्य श्याम भाई ठाकर पोरबंदर गुजरात वाले होंगे। ब्रह्मचारी ने बताया कि कथा के शुभारंभ से पूर्व कथा स्थल तक भव्य शोभा यात्रा निकाली जाएगी। उन्होंने बताया कि विशाल सामूहिक विवाह समारोह तथा हास्य कवि सम्मेलन 2 दिसम्बर को होगा। 4 दिसम्बर को गीता जयंती समारोह के समापन पर भव्य शोभा यात्रा निकाली जाएगी। गीता जयंती के अवसर पर ही 121 ब्रह्मचारियों द्वारा नियमित गीता पाठ तथा गीता यज्ञ होगा। ब्रह्मचारी ने कहा कि सभी संस्थाएं बाहर निकल कर गीता जयंती महोत्सव को दीपावली उत्सव की भांति बनाएं। इसी अवसर पर आचार्य बलराम ने कहा कि गीता केवल साधारण ग्रंथ नहीं है बल्कि यह एक सृष्टि में जागृत ग्रंथ है जिसमें सभी चार वेदों का सार है। विद्यापीठ में इस अवसर पर श्री जयराम शिक्षण संस्थान के उपाध्यक्ष एवं सेवानिवृत आयुक्त टी.के. शर्मा, के.के. कौशिक एडवोकेट, आचार्य बलराम गौतम, आचार्य सोमनाथ गौतम, डी.के. गुप्ता, टेक सिंह लौहार माजरा, श्रवण गुप्ता, कुलवंत सैनी, पवन गर्ग, राजेंद्र सिंघल, ईश्वर गुप्ता, सुरेंद्र गुप्ता, खरैती लाल सिंगला, राजेश सिंगला, आर.सी. रंगा, जयराम संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य रणबीर भारद्वाज, सुशील कंसल, सतबीर कौशिक, रोहित कौशिक, विनोद कुमार, सुनील गोरी, जयराम महिला मंडल की संतोष यादव, संगीता शर्मा इत्यादि भी मौजूद इत्यादि मौजूद रहे।