न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र, 15 अक्टूबर। गुरूवार को भारतरत्न गुलजारीलाल नन्दा केन्द्र नीति एवं दर्शनशास्त्र केन्द्र, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय और रेनासा युनिवर्सल, कोलकाता के संयुक्त तत्त्वावधान में “आनन्द मार्ग के प्रवर्तक श्री श्री आनन्दमूर्ति के दर्शन में सार्वभौमिक संस्कृति और नीतिशास्त्र“ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीता खन्ना थी जबकि सम्मानीय अथिति प्रो. हिम्मत सिंह सिन्हा थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतरत्न गुलजारीलाल नन्दा केन्द्र के निदेशक डॉ. सुरेन्द्र मोहन मिश्रा ने की।
वैदिक मंगलाचरण के बाद कार्यक्रम का आरम्भ संगीत विभाग, मुम्बई विश्वविद्यालय की डॉ. मनीषा कुलकर्णी के संगीत गायन से हुआ। गायन के बाद डॉ. मनीषा ने प्रभात संगीत के बारे में संक्षिप्त वक्तव्य रखा । अपने उद्घाटन भाषण में कुलपति प्रो. नीता खन्ना ने श्री श्री आनन्दमूर्तितजी के दर्शन और नीतिशास्त्र पर बोलते हुए कहा कि उन्होंने मानव कल्याण के लिए आनन्द मार्ग संगठन के माध्यम से आध्यात्मिकता और नैतिक मूल्यों का प्रचार विश्व स्तर तक किया ।
बौद्धिक स्तर और मानसिक विकास की प्रगति के लिए श्री श्री आनन्दमूर्तिजी मानवता के लिए विभिन्न विषयों पर 500 पुस्तकें लिखकर गये हैं । नैतिक मूल्यों को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने आध्यात्मिक साधना पर काफी जोर दिया है । वे विश्वगुरु के रुप मे हमेशा जाने जायेंगे ।
प्रो. हिम्मत सिंह सिन्हा ने कहा कि श्री श्री आनन्दमूर्तिजी के अनुसार शिव और शक्ति यानि पुरुष तथा प्रकृति के मिलित नाम को ही ब्रह्म कहते हैं । जब प्रकृति व्यक्त अवस्था में रहती है तो उसे सगुण ब्रह्म और अव्यक्त अवस्था में रहती है तब उसे निर्गुण ब्रह्म कहते हैं जबकि मुख्य वक्ता के रूप में रेनासा युनिवर्सल, कोलकाता के अतिरिक्त सचिव आचार्य दिव्यचेतनानन्द, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली के संस्कृत और इंडिक स्टडीज स्कूल के प्रो. रामनाथ झा और राजस्थान विश्वविद्यालय के भूतपूर्व अध्यक्षा प्रो. बीना अग्रवाल श्री श्री आनन्दमूर्तिजी के दर्शन, आनन्द सूत्रम के दार्शनिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक आधार पर विस्तृत चर्चा की।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय इंडिक स्टडीज के डीन और संगीत-नृत्य विभाग की अध्यक्षा प्रो शुचिस्मिता ने प्रभात संगीत के बारे में बोलते हुए कहा कि यह 5018 गीतों का एक सम्मुच्चय है और यह आठ भाषाओं में है जो मनुष्य को आध्यात्मिक उत्कर्ष की ओर ले जाता है। शिक्षा विभाग पंचानन वर्मा विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल के डॉ. सुनन्दिता भौमिक ने आनन्द मार्ग दर्शन में मौलिक मूल्यों पर विस्तृत चर्चा की ।
कार्यक्रम का संचालन कुवि के संस्कृत विभाग के शोधार्थी रविदत्तशर्मा ने किया । कार्यक्रम के दूसरे दिन 16 अक्टूबर को कार्यक्रम की अध्यक्षता जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली के संस्कृत और इंडिक स्टडीज स्कूल के प्रो. रामनाथ झा करेगे। मुख्य वक्ता के रूप में महात्मा गॉंधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी के संस्कृत विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अनिल प्रताप गिरी, दिल्ली विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग के एसोसिएट प्रो. आदित्य गुप्ता, संस्कृत और इंडोलोजिकल विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की प्रो. विभा अग्रवाल, गुलजारीलाल नन्दा केन्द्र के निदेशक डॉ. सुरेन्द्र मोहन मिश्रा और रिसर्च स्कॉलर पूजा मुख्य वक्ता के रुप में उपस्थित होगे।