हरियाणा कला परिषद अम्बाला मण्डल ने आयोजित किया रागनी कार्यक्रम
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र,16 अक्तूबर। हरियाणा कला परिषद्, अम्बाला मण्डल द्वारा शुक्रवार को सूर्य कवि पं. लखमीचन्द की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में कला कीर्ति भवन, कुरूक्षेत्र के मुक्ताकाशी मंच पर रागनी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कोरोना महामारी के कारण आनलाईन आयोजित किए गए इस कार्यक्रम में रंगकर्मी बृज शर्मा बतौर मुख्यअतिथि उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्यअतिथि बृज शर्मा, हरियाणा कला परिषद अम्बाला मण्डल के अतिरिक्त निदेशक नागेंद्र शर्मा तथा रागनी गायक गुलाब सिंह ने सूर्य कवि पं0 लखमीचन्द के चित्र पर पुष्प अर्पित कर तथा दीप प्रज्जवलित कर किया। सूर्य कवि पं0 लखमीचन्द द्वारा रचित रागनी ब्रह्मज्ञान से कार्यक्रम का आगाज किया गया। ब्रह्मज्ञान भजन के माध्यम से बताया गया कि जब मनुष्य का जन्म नहीं हुआ था, उससे पहले की स्थिति क्या थी।
माला रोज रटाकर बंदे हर के नाम की ना तो माटी में मिल जाएगी काया श्याम की, जैसी पंक्तियों के साथ इंसान को जन्म से पहले की स्थिति याद दिलाई गई और नेक काम करने के लिए उत्साहित किया गया। इसके बाद पूरणमल के किस्से की रागनियों को सुनाया गया। जिसमें पंडित लख्मी चंद जी ने लिखा कि जब पूरणमल मौसी के दर्शन करने के लिए जाता है तो उसकी जवानी सुंदरता को देखकर उसका मन साफ हो जाता है।
इस रागनी में पंडित लख्मी चंद जी ने दर्शाया है कि मां और मौसी में कोई फर्क नहीं है दोनों के ही पैरों के सिवा कहीं भी नजर नहीं उठेगी। मेहरबानी करके बेटे के उपर रहम करें सिर पै हाथ धर, मां बेटी पै जुलम करे से आदि विभिन्न रागनियों के माध्यम से कलाकारों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। पद्मावत के किस्से की भी बेहतरीन रागनी सुनाते हुए कलाकारेां ने दर्शाया कि नारी की महता क्या होती है।
रानी पद्मावत ने प्रण किया था कि किसी भी पराए पुरुष का चेहरा नहीं देखेंगी, किंतु संयोगवश राजा रणदीप से बाग में मिलने पर रानी पद्मावत अपने प्रण को छोड देती है। और अपने मिलन को ब्रह्मज्ञान मानकर स्वयं को कृष्णा तथा रणदीप को मन की संज्ञा देती है। लाॅकडाउन के बाद कला कीर्ति भवन में सांस्कृतिक आयोजन हुआ। जिसके लिए अतिक्ति निदेशक नागेंद्र शर्मा ने कहा कि अम्बाला मण्डल द्वारा आयोजित रागनी कार्यक्रम प्रशासन के दिशानिर्देशों के अंर्तगत किया गया है तथा कलाकारों को मंच प्रदान करते हुए उनकी प्रतिभा का प्रदर्शन करवाना कला परिषद का ध्येय है।
निशुल्क प्रस्तुति के लिए गुलाब सिंह व साथी कलाकारों का भी नागेंद्र शर्मा ने आभार जताया। वहीं मुख्यअतिथि बृज शर्मा ने अपने भावों को व्यक्त करते हुए कहा कि हरियाणा के पं लख्मीचंद, जिन्हें सूर्यकवि की उपाधि मिली हुई है, अपनी रागनियों में जीवन का सार लिखते थे। पं लख्मीचंद को याद किये बगैर कोई भी सांस्कृतिक कार्यक्रम सफल नहीं माना जा सकता। इस अवसर पर हरियाणा कला परिषद् के सहायक लेखाकार धर्मपाल, लेखा सहायक रविंद्र कुमार, स्टैनो जैकी शर्मा, भण्डारपाल देवीदत्त, नीरज सेठी सहित अन्य कर्मचारी भी उपस्थित रहे।
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