मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा भारतरत्न डॉ. भीमराव अम्बेडकर की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों के मध्य सामाजिक समरसता संवाद कार्यक्रम संपन्न
कुरुक्षेत्र ।
भारतरत्न डॉ. भीमराव अम्बेडकर का सम्पूर्ण जीवन भारतीय समाज में सुधार के लिए समर्पित था। अस्पृश्यों तथा दलितों के वे मसीहा थे। उन्होंने सदियों से पद-दलित वर्ग को सम्मानपूर्वक जीने के लिए एक सुस्पष्ट मार्ग दिया। डॉ. भीमराव अम्बेडकर हिन्दू समाज की दमनकारी प्रवृत्तियों के विरूद्ध किए गए विद्रोह का प्रतीक थे। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा भारतरत्न डॉ. भीमराव अम्बेडकर की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों के मध्य आयोजित सामाजिक समरसता संवाद कार्यक्रम में मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने व्यक्त किए। श्रीमद्भगवद्गीता संवाद कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र एवं मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने संयुक्त रूप से भारतरत्न डॉ. भीमराव अम्बेडकर के चित्र पर माल्यार्पण, पुष्पार्चन एवं दीपप्रज्जवलन से किया।
मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश ने कहा कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने अपने विरूद्ध होने वाले अत्याचारों, शोषण, अन्याय तथा अपमान से संघर्ष करने की शक्ति दी। डॉ. भीमराव अम्बेडकर के अनुसार सामाजिक प्रताड़ना राज्य द्वारा दिए जाने वाले दण्ड से भी कहीं अधिक दुःखदाई है। भारतरत्न डॉ. भीमराव अम्बेडकर के जीवन में श्रीमद्भगवद्गीता के निष्काम कर्म योग का प्रभाव था। उन्होंने प्राचीन भारतीय ग्रन्थों का विशद अध्ययन कर यह बताने की चेष्टा भी की कि भारतीय समाज में वर्ण-व्यवस्था, जाति प्रथा तथा अस्पृश्यता का प्रचलन समाज में कालान्तर में आई विकृतियों के कारण उत्पन्न हुई है, न कि यह यहां के समाज में प्रारम्भ से ही विद्यमान थी। उन्होंने दलितों, पिछड़ों, अस्पृश्यों के विरूद्ध सदियों से हो रहे अन्याय का न केवल सैद्धांतिक रूप से विरोध किया अपितु अपने कार्य कलापों, आन्दोलनों के माध्यम से उन्होंने शोषित वर्ग में आत्मबल तथा चेतना जागृत करने का सराहनीय प्रयास किया। इस प्रकार अम्बेडकर का जीवन समर्पित लोगों के लिए सीखने तथा प्रेरणा का नया स्रोत बन गया।
डॉ. मिश्र ने कहा कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने दलित वर्ग पर होने वाले अन्याय का ही विरोध नहीं किया अपितु उनमें आत्म-गौरव, स्वावलम्बन, आत्मविश्वास, आत्म सुधार तथा आत्म विश्लेषण करने की शक्ति प्रदान की। दलित उद्धार के लिए उनके द्वारा किए गए प्रयास किसी भी दृष्टिकोण से आधुनिक भारत के निर्माण में भुलाये नहीं जा सकते। डॉ- अम्बेडकर ने अस्पृश्यता के निराकरण के लिए केवल सैद्धांतिक दृष्टिकोण ही प्रस्तुत नहीं किया अपितु उन्होंने अपने विभिन्न आन्दोलनों व कार्यों से लोगों में चेतना जागत करने एवं इसके निराकरण के लिए विभिन्न सुझाव भी प्रेरित किए। उन्होंने अस्पृश्यता निराकरण के लिए सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, नैतिक, शैक्षणिक आदि स्तरों पर रचनात्मक कार्यक्रम तथा संगठित अभियान का आग्रह किया। कार्यक्रम में शिक्षक बाबू राम, हरि व्यास, शमशेर, गुरप्रीत सिंह सहित अनेक सामाजिक, धार्मिक एवं आध्यात्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधि जन उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रीय गीत वन्देमातरम् से हुआ।