न्यूज़डेक्स संवाददाता राजस्थान-
जयपुर। जो हाथ कल तक सड़कों पर भीख माँगने के लिए उठते थे वहीं हाथ आज रोजगार प्राप्त कर कई लोगों का पेट भर रहें है। यह कहानी है उत्तराखंड के रहने वाले सुरेन्द्र सिंह की जो पिछले 20 सालों से जयपुर की सड़कों पर भीख माँग कर अपना पेट पालने की जद्दोजहद में जुटे थे। सुरेन्द बताते है कि माता – पिता के गुजर जाने के बाद उनकी जिदंगी पूरी तरह से बदल गई थी। एक ओर माता – पिता को खो देने का गम तो दूसरी ओर अपने ही भाईयों के द्वारा साथ छोड़ देना, सुरेन्द को अदंर ही अदंर खाएं जाए जा रहा था। इन सब से परेशान होकर सुरेन्द्र ने जयपुर शहर का रुख किया।
सुरेन्द्र ने बताया कि जयपुर आकर भी उनकी परेशानियों का अंत नही हुआ और बिना किसी सहारे के यहाँ भी उन्हें दर – दर भटकने पर मजबूर होना पड़ा। लेकिन सुरेन्द के जीवन को नई दिशा मिली जब उन्हें भोर (भिक्षुक उन्मुखीकरण एवं पुनर्वास) योजना के तहत सोपान सस्थांन लाया गया। उन्होंने बताया कि संस्थान लाने के बाद उनकी शारीरिक स्थिति में भी काफी बदलाव आया तथा उन्हें संस्थान के द्वारा उनकी रुचि अनुसार उन्हें सात महिने के कुक हलवाई के प्रशिक्षण के साथ ही व्यक्तिगत विकास का प्रशिक्षण भी दिया गया।
सुरेन्द्र ने बताया कि संस्थान आना उनके लिए किसी वरदान से कम नही था। संस्थान के द्वारा ही सुरेन्द्र के कंधे की चोट का भी उपचार करवाया गया ताकि भविष्य में यह चोट उनके जीवन की बाधा ना बन सके एवं वे स्वस्थ जीवन जी सकें। प्रशिक्षण कार्य पूरा होने के बाद योजना के अन्तर्गत उन्हें अक्षयपात्र फाउन्डेशन में रसोई सहायक के पद पर नौकरी दी गई। जिससे वे प्रतिमाह 12 हजार रुपए तक कमाते हुए परिसर में रहकर ही अपना जीवन यापन कर रहे है।
सुरेन्द्र ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का तहे दिल से शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उनके जीवन की नई शुरुआत हो पाएगी लेकिन राज्य सरकार के प्रयासों के बदौलत ही यह संभव हो पाया हैं तथा अब उन्हें पेट भरने के लिए दूसरों के सामने हाथ फैलाने की कोई जरुरत नहीं है। उन्होंने बताया कि पहले उन्हें सड़क की गंदगी समझा जाता था लेकिन इस योजना के सहयोग से उन्हें एक सम्मानजनक जीवन मिला है।