अमेरिका के अप्रवासी भारतीय नरेंद्र जोशी हरिद्वार जयराम आश्रम में ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी से मिले
विदेशों से गीता पर शोध के लिए विद्वान व शोधकर्ता भारत आएं और संतों को गीता के लिए विदेश में आमंत्रित करें : ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी
न्यूज़ डेक्स संवाददाता-
कुरुक्षेत्र । जयराम संस्थाएं अब भारत में ही नहीं विदेश में भी गीता के प्रचार प्रसार के साथ शोध कार्य करेगी। इस बात की जानकारी देशभर में संचालित श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने जयराम आश्रम हरिद्वार में अमेरिका से आए अप्रवासी भारतीय नरेंद्र जोशी से एक मुलाकात के दौरान दी। उन्होंने बताया कि भविष्य में देश विदेश में गीता पर शोध कर रहे विद्वानों को धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में आमंत्रित करने की योजना है। शोधकर्ता विदेश में भी संतों को आमंत्रित कर गीता पर विशाल सम्मेलन एवं कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे। इसी अवसर पर अप्रवासी भारतीय नरेंद्र जोशी ने अमेरिका में गीता जयंती उत्सव एवं प्रचार प्रसार के लिए कार्यक्रमों के बारे चर्चा की तो परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने बताया कि वैसे तो जयराम संस्थाएं पिछले 32 वर्षों से गीता के लिए कार्य कर रही है। आगामी वर्ष 2023 में विदेशों से लोगों को गीता से जोड़ने की तैयारी है। जहां पूरे भारत से गीता पर शोधकर्ताओं एवं विद्वानों को आमंत्रित किया जाएगा वहीं विदेश से भी शोधकर्ताओं एवं संतों को गीता पर मंथन के लिए आमंत्रित करने की योजना है। 2023 में अमेरिका के वाशिंगटन डी.सी. मेट्रो एरिया में गीता पर व्याख्यान एवं चर्चा के लिए जयराम संस्थाओं द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शोधकर्ताओं एवं संतों का सम्मेलन कराने की तैयारी है। अमेरिका में गीता से जोड़ने के लिए विशेष तौर पर अप्रवासी भारतीयों से सम्पर्क किया जा रहा है। अप्रवासी भारतीय नरेंद्र जोशी ने अमेरिका में गीता सम्मेलन कार्यक्रम में अपने साथियों डा. सुरेश गुप्ता, डा. विवेक वेद एवं जसबीर सैनी सहित अन्य अप्रवासी भारतीय लोगों के सहयोग का आश्वासन दिया। परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने बताया कि जयराम संस्थाएं अमेरिका सहित अन्य देशों में गीता के प्रचार के लिए अपने संस्थान स्थापित करने के लिए कार्य कर रही है। उन्होंने कुरुक्षेत्र में आयोजित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव को वास्तविक स्वरूप प्रदान करने पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि गीता जयंती को भारत सहित विदेशों में भी एक उत्सव की तरह मनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जयराम संस्थाओं की योजना है कि भारत सहित विदेश में गीता पर अधिक से अधिक शोध हो। विदेश के लोग तथा आने वाली बच्चों की पीढ़ी गीता का अधिक से अधिक ज्ञान ग्रहण करे।