Monday, November 25, 2024
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राष्ट्रपति, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में 97वें फाउंडेशन पाठ्यक्रम के विदाई समारोह में सम्मिलित हुईं

by Newz Dex
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गोपनीयता’, ‘क्षमता’ और ‘अनुशासित आचरण’ लोकसेवकों के आभूषण हैं: राष्ट्रपति मुर्मु

नई दिल्ली । राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु आज मसूरी में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) के 97वें फाउंडेशन पाठ्यक्रम के विदाई समारोह में सम्मिलित हुईं।

प्रशिक्षु अधिकारियों को सम्बोधित करते हुये राष्ट्रपति ने कहा कि इस समय जब वे उन सभी को सम्बोधित कर रही हैं, तो सरदार वल्लभ भाई पटेल के शब्द उन्हें याद आ रहे हैं। अप्रैल 1947 में सरदार पटेल भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों से मिल रहे थे। उस समय उन्होंने कहा था, “प्रत्येक जनसेवक, चाहे वह किसी भी दायित्व का निर्वहन कर रहा हो, हमें उससे सर्वश्रेष्ठ की उम्मीद करनी चाहिये और यह उम्मीद रखना हमारा अधिकार है।” राष्ट्रपति ने कहा कि आज हम गर्व से कह सकते हैं कि जनसेवक इन उम्मीदों पर खरे उतरे हैं।

राष्ट्रपति ने गौर किया कि फाउंडेशन पाठ्यक्रम का मूलमंत्र “वी, नॉट आई” (हम, न कि मैं) है। उन्होंने भरोसा जताया कि इस पाठ्यक्रम के प्रशिक्षु अधिकारियों को सामूहिक भावना के साथ देश को आगे ले जाने की जिम्मेदारी उठानी चाहिये। उन्होंने कहा कि उनमें से कई अगले 10-15 वर्षों के लिये देश के एक बड़े भू-भाग में प्रशासनिक कामकाज करेंगे तथा जनमानस से उनका सीधा संपर्क रहेगा। राष्ट्रपति ने कहा कि वे अपने सपने के भारत को एक ठोस आकार दे सकते हैं।

अकादमी के ध्येय-वाक्य “शीलं परम् भूषणम्” का उल्लेख करते हुये राष्ट्रपति ने कहा कि एलबीएसएनएए में प्रशिक्षण पद्धति कर्मयोग के सिद्धांत पर आधारित है, जिसमें शील को अत्यंत महत्त्व दिया जाता है। राष्ट्रपति ने प्रशिक्षु अधिकारियों को परामर्श दिया कि वे समाज के वंचित वर्ग के प्रति संवेदनशील बनें। उन्होंने कहा कि ‘गोपनीयता’, ‘क्षमता’ और ‘अनुशासित आचरण’ सिविल अधिकारियों के आभूषण हैं। यही गुण प्रशिक्षु अधिकारियों को उनके पूरे सेवाकाल में आत्मबल देंगे।

अकादमी के ध्येय-वाक्य “शीलं परम् भूषणम्” का उल्लेख करते हुये राष्ट्रपति ने कहा कि एलबीएसएनएए में प्रशिक्षण पद्धति कर्मयोग के सिद्धांत पर आधारित है, जिसमें शील को अत्यंत महत्त्व दिया जाता है। राष्ट्रपति ने प्रशिक्षु अधिकारियों को परामर्श दिया कि वे समाज के वंचित वर्ग के प्रति संवेदनशील बनें। उन्होंने कहा कि ‘गोपनीयता’, ‘क्षमता’ और ‘अनुशासित आचरण’ सिविल अधिकारियों के आभूषण हैं। यही गुण प्रशिक्षु अधिकारियों को उनके पूरे सेवाकाल में आत्मबल देंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि प्रशिक्षु अधिकारियों ने प्रशिक्षण के दौरान जिन मूल्यों को सीखा है, उन्हें सिर्फ सैद्धांतिक दायरे तक ही सीमित न रखें। देशवासियों के लिये काम करते समय अधिकारियों को अनेक चुनौतियों और कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। उन परिस्थितियों में उन सबको इन्हीं मूल्यों का पालन करते हुये पूरे आत्मविश्वास के साथ काम करना पड़ेगा। भारत को प्रगति और विकास के मार्ग पर आगे बढ़ाते हुये उन्हें देशवासियों के उन्नयन का मार्ग प्रशस्त करना होगा, क्योंकि यही उनका संवैधानिक कर्तव्य भी है तथा नैतिक दायित्व भी।

राष्ट्रपति ने कहा कि समाज के लाभ के लिये किया जाने वाला कोई भी काम तभी भली प्रकार से पूरा होगा, जब सभी हितधारकों को साथ लेकर चला जायेगा। जब अधिकारी समाज के वंचित और उपेक्षित वर्गों को ध्यान में रखकर निर्णय करेंगे, तो वे अपना लक्ष्य प्राप्त करने में निश्चित ही सफल होंगे।

ग्लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन के बारे में राष्ट्रपति ने कहा कि पूरा विश्व इन समस्याओं से जूझ रहा है। इन समस्याओं का समाधान करने के लिये कारगर कदम उठाने की अत्यावश्यकता है। उन्होंने अधिकारियों का आह्वान किया कि हमारे भविष्य को सुरक्षित करने के लिये उन्हें पर्यावरण सुरक्षा के सम्बंध में भारत सरकार द्वारा उठाये गये कदमों को पूरी तरह क्रियान्वित करना है।

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