जल सरंक्षण के लिए अरावली व शिवालिक की पहाडिय़ों में बनाए जा रहे है बांध, तालाब
बावड़ी व झीलों के माध्यम से आमजन बरसात के पानी का करे संचयन
सोलर पंप स्थापित करने के लिए प्रदान की जाती है सब्सिडी
न्यूज़ डेक्स संवाददाता-
कुरुक्षेत्र । हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुमन सिंह ने कहा कि वर्तमान समय में बढ़ती आबादी के कारण पानी की उपलब्धता में तेजी से कमी होती जा रही है। अगर समय रहते जल संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया गया तो भविष्य में प्रत्येक व्यक्ति के लिए पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती होगी। इसी को देखते हुए हरियाणा सरकार ने जल संरक्षण के प्रयास अभी से तेज कर दिए है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की दूरगामी सोच के फलस्वरूप हरियाणा सरकार द्वारा जल संरक्षण की दिशा में सराहनीय कार्य किया जा रहा है। जल ही जीवन है और प्रदेश में जल की उपलब्धता कैसे अधिक से अधिक हो, इसके लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है।
उपाध्यक्ष धुमन सिंह गांव खैरी में जल प्रबंधन नीर संस्था के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। इससे पहले उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच, मंडल प्रधान ओमबीर बुढा, सरस्वती बोर्ड सदस्य गुरदेव शर्मा ने लोगों को जल शक्ति अभियान व अटल भूजल योजना के बारे में जागरूक किया और पानी की एक-एक बूंद बचाने का संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कम होते भूजल स्तर और राज्य में पानी की मांग को देखते हुए जल संरक्षण के नए-नए तरीकों की अपनाया जा रहा है। अरावली व शिवालिक की पहाड़ियों में छोटे-छोटे झरनों के माध्यम से व्यर्थ बह रहे पानी को बांध बनाकर संरक्षित किया जा रहा है। तालाब, बावड़ी और झीलों के संरक्षण के लिए बारिश के पानी का संचय किया जाना चाहिए। देश में मानसूनी वर्षा जल आपूर्ति का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत है लेकिन वर्तमान में वर्षा जल का समुचित संग्रह एवं संचयन न होने के कारण, इसका एक बड़ा हिस्सा बहकर निकल जाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए हरियाणा सरकार ने व्यर्थ बह रहे पानी को बांध बनाकर संरक्षित कर वर्षा जल संचयन का बीड़ा उठाया है। इसके साथ ही जल संरक्षण के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएं भी चलाई जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि मेरा पानी-मेरी विरासत योजना भी जल संरक्षण में काफी अहम भूमिका निभा रही है। हरियाणा सरकार की इस अनूठी योजना के सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं। किसानों का रुझान धान जैसी अधिक पानी से तैयार होने वाली फसलों की बजाय अन्य फसलों की ओर बढ़ा है। हरियाणा सरकार की मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के तहत वर्ष 2021 में 32196 किसानों ने 51874 एकड़ क्षेत्र में धान के स्थान पर अन्य फसलों की बुआई की और 7 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि का लाभ लिया। उल्लेखनीय है कि इस योजना के तहत धान के स्थान पर कम पानी से तैयार होने वाली अन्य वैकल्पिक फसलों को अपनाने पर किसानों को 7 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जाती है। प्रदेश में किसानों को माइक्रो इरिगेशन अपनाने के लिए भी प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सूक्ष्म सिंचाई के उपकरणों पर सरकार द्वारा खासा अनुदान दिया जा रहा है। खेत में तालाब निर्माण के लिए किसान को कुल खर्च पर 70 प्रतिशत की सब्सिडी मिलेगी और उसे केवल 30 प्रतिशत राशि ही देनी होगी। इसी तरह 2 एचपी से 10 एचपी तक की क्षमता वाले सोलर पंप की स्थापना के लिए किसान को 25 प्रतिशत राशि देनी होगी और उसे 75 प्रतिशत सब्सिडी मिलेगी। सूक्ष्म सिंचाई से ना केवल किसानों को पूरा पानी मिलेगा, बल्कि आगामी कई सालों तक खेती के लिए पर्याप्त पानी का पक्का प्रबंध हो जाएगा।