आनलाईन कला महोत्सव में वरिष्ठ रंगकर्मी विश्व दीपक त्रिखा की दिखाई जीवनी
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र,19 अक्तूबर। कोरोना काल पूरे विश्व के लिए संकट से भरा रहा है। इस महामारी के दौरान कलाकारों को अपनी आजीविका जुटाने के लिए भी मुसीबतों का सामना करना पड़ा है। कई महीनों तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर प्रतिबंध रहने के कारण कलाकारों की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई थी। जिसके बाद उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला द्वारा संस्कृति मंत्रालय के सौजन्य से कलाकारों को आर्थिक सहायता देने तथा कला को विस्तार देने हेतु नई उम्मीद नई पहल आॅनलाईन कला महोत्सव का आयोजन करवाया जा रहा है।
इस एक महीने के कला महोत्सव में सभी विधाओं के कलाकारों को अपना-अपना हुनर दिखाने का मौका दिया जा रहा है। वहीं कला महोत्सव में रुबरु कार्यक्रम के तहत कलाकारों को अपनी जीवन यात्रा को लोगों से सांझा करने का अवसर दिया जा रहा है। जिसमें जम्मू कश्मीर से मुश्ताक काक तथा चण्डीगढ से बलकार सिद्धू के अलावा हरियाणा से केवल विश्व दीपक त्रिखा का चयन किया गया है। रुबरु कार्यक्रम के तहत विश्व दीपक त्रिखा की जीवन यात्रा का प्रसारण उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला के फेसबुक पेज तथा यूट्यूब चैनल पर किया गया।
गौरतलब है कि विश्व दीपक त्रिखा ने हरियाणा में रंगमंच को एक विशेष पहचान दिलाने में पूर्ण सहयोग दिया है। मल्टी आर्ट कल्चरल सेंटर के उपनिदेशक पद पर रहते हुए विश्व दीपक त्रिखा द्वारा रंगमंच को न केवल नई पहचान दिलाई गई, बल्कि हरियाणा के लोगों को भारतवर्ष के विभिन्न प्रदेशों के रंगकर्म से रुबरु करवाने का भी कार्य किया। इतना ही नहीं प्रदेश के युवा कलाकारों में रंगमंच के लिए ललक पैदा की। वहीं दीपक त्रिखा नगर निगम गुरुग्राम में भी सांस्कृतिक सलाहकार के रुप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
इसके अलावा त्रिखा राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय दिल्ली द्वारा आयोजित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय नाट्य समारोह भारंगम के सलेक्शन कमेटी के सदस्य व उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज की गर्वनिंग बाॅडी के सदस्य भी रह चुके हैं। उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक डा. सौभाग्यवर्धन के साथ हुए रुबरु कार्यक्रम के दौरान त्रिखा ने अपनी रंगमंच की शुरुआत से लेकर गधे की बारात तक के सफर को बड़े रोचक अंदाज में बताया।
उन्होंने बताया कि वर्तमान तक उनके द्वारा गधे की बारात के 250 से अधिक मंचन किये जा चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने रंगमंच की वर्तमान परिस्थितियों के संदर्भ में बताते हुए कहा कि प्रदेश के रंगमंच विस्तार में वे सदैव आगे रहेंगे तथा जीवन के अंतिम पड़ाव तक रंगमंच की सेवा करेंगे।