श्रीमद्भगवद्गीता की दैनिक जीवनोपयोगी, देश व समाजोपयोगी विषयों के आधार पर 18 दिन का होगा कोर्स, दिए जाएंगे प्रमाण पत्र
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान द्वारा श्रीमद्भगवद्गीता प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम का शुभारंभ मकर संक्रांति के पावन दिवस पर 14 जनवरी 2023 से किया जा रहा है। इस बारे में जानकारी देते हुए संस्थान के निदेशक डॉ. रामेन्द्र सिंह ने बताया कि श्रीमद्भगवद्गीता की प्राकट्यस्थली से गीता जी की प्रासंगिकता का विचार प्रदान करने हेतु विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान द्वारा सरल और सुग्राह्य रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास सर्वदा रहा है। इसी शृंखला में हम सभी के लिए दैनिक जीवन में अत्यंत उपयोगी इस 18 दिवसीय अल्पकालीन पाठ्यक्रम की शुरुआत की जा रही है। उन्होंने बताया कि सजग विद्यार्थी और गीता, गीता और शिक्षकत्व, गीता प्रणीत शिक्षा दृष्टि, सुखी परिवार और गीता, गीता में सामाजिक समरसता, सर्वांगीण विकास और गीता, गीता प्रणीत पर्यावरण दृष्टि, कुशल प्रबंधन और गीता, नेतृत्व कौशल और गीता इत्यादि विषयों पर आधारित यह पाठ्यक्रम 14 जनवरी से आरंभ होकर 31 जनवरी को पूर्ण होगा। उन्होंने बताया कि इस सर्टिफिकेट कोर्स में प्रतिदिन सायं 4.30 बजे से 6 बजे तक नियमित कक्षाएं रहेंगी। ये कक्षाएं ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों प्रकार से रहेंगी। 18 दिनों तक चलने वाले इस पाठ्यक्रम में जिज्ञासा समाधान एवं मूल्यांकन भी होगा और सभी पंजीकृत प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए जाएंगे।
डॉ. रामेन्द्र सिंह ने बताया कि विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान समय-समय पर भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार हेतु अनेक शैक्षिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करता रहता है। गीता दैनिक जीवन की जटिलताओं को सरल बनाती है। दैनिक व्यस्तताओं तथा समयाभाव के इस युग में इस प्रकार के कार्यक्रम हमें सहजता व सरलता अपनाने में सहायक सिद्ध होते हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस आयोजन से निश्चित रूप से विद्यार्थी, शिक्षक, अभिभावक, चिकित्सक, प्रबन्धक, सैनिक, कृषक, कर्मचारी, राजनीतिज्ञ, समाजसेवी इत्यादि सभी श्रेणियों के व्यक्तियों को ज्ञानालाभ पहुंचेगा और मानव जीवन के सर्वांगीण विकास के लिए श्रीमद्भगवद्गीता प्रमाण पत्र कोर्स अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगा। ये रहेंगे विषय: सजग विद्यार्थी और गीता, गीता और शिक्षकत्व, गीता प्रणीत शिक्षा दृष्टि, सुखी परिवार और गीता, गीता में सामाजिक समरसता, सर्वांगीण विकास और गीता, गीता प्रणीत पर्यावरण दृष्टि, कुशल प्रबंधन और गीता, नेतृत्व कौशल और गीता।