न्यूज़ डेक्स संवाददाता
चण्डीगढ़ । हरियाणा के राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय ने कहा कि हमारे त्योहार, पर्व, मेले हमारी समृद्ध संस्कृति को दर्शाते हैं और आपस में प्रेम, प्यार, खुशी, भाईचारे का संदेश देकर देश में एक आनंद व उल्लास का वातावरण पैदा करते हैं। इन आयोजनों से संस्कृति का विकास होता है। राज्यपाल आज स्थानीय सैक्टर-42 में उत्तराखंड युवा मंच द्वारा आयोजित उत्तरायणी मेला कार्यक्रम में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि उत्तरायणी पर्व बागेश्वर में गोमती और सरयू नदी के अलावा भागीरथी के संगम पर बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व पूरे देश में अपनी-अपनी तरह से मनाया जाता है। हरियाणा, पंजाब में मकर संक्रांति, तमिलनाडु में पोंगल, आसाम और उत्तर-पूर्व में बीहु के रूप में मनाया जाता है। उद्देश्य सबका एक ही है, आपस में खुशियां बांटना और एक-दूसरे के सुंदर, स्वस्थ, भविष्य की कामना करना। उन्होंने कहा कि उत्तरायणी मेले का यहां आयोजन कर एक सराहनीय कार्य किया है। इसके लिए सभी को बधाई।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड बागेश्वर में मनाएं जाने वाले इस मेले में कई प्रकार के आयोजन होते हैं। इसमें श्रद्धालु सूर्य देवता से अपने परिवार, समाज, देश, प्रदेश और पूरे मानव मात्र की सुख, समृद्धि की मन्नत मांगते हैं।
राज्यपाल ने कहा कि बागेश्वर में इस मेले के माध्यम से स्वतंत्रता आंदोलन में लोगों में स्वतंत्रता की अलख जगाने का काम किया गया था। उत्तराखंड के बहादुर लोगों ने 1921 में तो बंधुआ मजदूरी के खिलाफ इसी मेले से हूंकार भरी थी और अंग्रेजों पर यह प्रथा बंद करने पर दबाव बनाया गया था। इस आंदोलन को ‘कुली बेगार बंद‘ के नाम से जाना जाता है। इसी आंदोलन से जुड़ने के लिए 1929 में स्वयं महात्मा गांधी जी बागेश्वर आए थे। इसके बाद पूरे देश में बंधुआ मजदूरी के खिलाफ आवाज उठी थी।
उन्होंने कहा कि आज उत्तराखंड की धरती हमारी देश की देव धरोहर है। हमारी संस्कृति का संरक्षण किए हुए हैं वहीं उत्तराखंड के लोगों के बहादुरी के चर्चे भी कम नहीं हैं। हमारी सेनाओं में आज कुमाऊं, गढ़वाल रैजिमेंट सेना की सबसे पुरानी रैजिमेंट है। इस रैजिमेंटों में शामिल उत्तराखंड के जवानों ने सदैव देश की रक्षा में योगदान दिया है।