या इलाही ये माजरा क्या
रिश्ता हुआ तो दसवीं में पढ़ रही थी मंगेतर,शादी हुई तो रिजल्ट भी नहीं आया था दसवीं का
तीन बार पैदा हुआ पवन आश्रीःउसका रिकार्ड बताता,उसका जन्मदिन तीन बार आता
फ्राड नंबर दोःसरकारी रिकार्ड में इकलौता बेटा तरुण आश्री भी दो बार पैदा हुआ
कथित भाजपा नेता के पारिवारिक सरकारी रिकार्ड में इतना घालमेल,राम राम
सरकारी रिकार्ड में इस तरह से क्यों गुमराह करते हैं पवन आश्री
संस्कृति,सभ्य समाज और संस्कार का नारा देने वाली भाजपा सरकार क्या करेगी कार्रवाई,ये इंतजार
जनसंघ के नेता रहे पिता को प्रताड़ित करने वाले बेदखल पुत्र को संस्कारवान पार्टी भाजपा ने बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष पद से नवाजा
जनसंघ को सींचने वाले सतीश आश्री की रो रही है आत्मा, उनके द्वारा बेदखल पुत्र को भाजपा ने अपनाया और सेवा करने वाला दूर
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। कथित भाजपा नेता पवन आश्री के समय दर समय अनगिनत फ्राड सूचीबद्ध हो चुके है। अब सबके सामने पवन आश्री के गुनाहों की वो तस्वीर प्रस्तुत की जाएगी,जिसे किसी और ने नहीं, खुद पवन आश्री ने ही तैयार किया है। इस सीरीज का उद्देश्य एक विकृत मानसिकता के प्राणी को जनता के सामने लाना नहीं कतई नहीं है,सिर्फ यह जानना है कि देश-दुनिया में संस्कार,संस्कृति और सभ्य समाज का डंका पीटने वाली भारतीय जनता पार्टी के समक्ष जब यह सारे साक्ष्य श्रृंखलाबद्ध तरीके से हाथों में आएंगे तो वह क्या कार्रवाई करेगी? हालांकि कुरुक्षेत्र वासियों के लिए पवन आश्री की हरकतें नई नहीं है। लोग दशकों से उसकी करतूतों को देख रहे हैं और कीचड़ समझ कर दूरी अपनाने में भलाई समझते रहे, मगर जिसकी सरकार उसके करतार… की भूमिका निभाते हुए पिछले तीन दशकों से लगातार सत्ता की मलाई चखते रहे कथित भाजपाई पवन आश्री की सच्चाई बकलौलबाजी से नहीं, अपितु तथ्यपरक ढंग से सबके सामने रखी जाएगी। हर बात का आधार होगा,इसकी गारंटी रहेगी।
उसके बाद सवाल होंगे नैतिकता का बखान करने वाली उस राजनीतिक पार्टी से, जिसने उस शख्स को बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ कुरुक्षेत्र का जिलाध्यक्ष बनाया,जिसने जनसंघ भाजपा के नेता रहे अपने पिता सतीश आश्री को अंतिम सांस तक हद पार कर प्रताड़ित करने काम किया था। सतीश आश्री ने अपने ज्येष्ठ पुत्र पवन आश्री से परेशान होकर 1995 में अपनी जान की दुहाई कृष्णा गेट पुलिस चौकी,थाना सिटी थानेसर, एसपी कार्यालय तक लगाई थी। तब अखबारों में सतीश आश्री की पीड़ा प्रमुखता से प्रकाशित हुई थी,मगर अपने बुजुर्गों को चर्म पर जाकर परेशान करने वाले इसी संस्कारहीन व्यक्ति को संस्कारवान पार्टी भाजपा ने बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ का जिलाध्यक्ष बना दिया। हालांकि पवन आश्री की पहचान उसके परिवार,बुजुर्ग,रिश्तेदार,पड़ौसी बुद्धिहीन व्यक्ति के रुप में करते हैं। वैसे तो बंदर के हाथ में तलवार देने में अहम भूमिका निभाने वाले एक भाजपाई का हाल भी लगभग असल कहानी जैसा ही हुआ, जैसा कि मूर्ख बंदर और मालिक की कहानी में प्रसंग मिलता है और मूर्ख दोस्त से समझदार दुश्मन की शिक्षा दी जाती है। नतीजन तगमा लगाने वाले वह नेताजी अपना ओहदा वक्त से पहले गंवा कर अंजाम भुगतकर अब हाशिए पर है।
पवन आश्री के प्रसंग अनेक है,मगर यह फ्राड नंबर एक है, जिसे पवन आश्री के फ्राड नंबर एक में तथ्यों समेत उजागर किया जा रहा है। संभवतः इसकी किसी को भनक भी नहीं होगी। दरअसल अधेड़ उम्र की ओर बढ़ रहे पवन आश्री की शादी जून 1990 में हुई थी। तब करीब 30 साल से ज्यादा उम्र के पवन आश्री का यह विवाह दसवीं कक्षा की छात्रा से हुआ था। अंबाला वासी जिस परिवार की लड़की से उसका रिश्ता तय हुआ था,वह उस समय दसवीं कक्षा में पढ़ रही थी और जिस दिन उसका विवाह हुआ,उस समय उसका दसवीं की परीक्षा का रिजल्ट आए चंद माह हुए थे। ताउम्र यह लड़की यही मलाल व्यक्त करते हुए फरवरी 2013 में पापलोक छोड़ स्वर्गधाम चली गई थी कि उसकी पारिवारिक परिस्थितयों के कारण उसका ब्याह ज्यादा उम्र के मानसिक रुप से विकृत व्यक्ति के साथ तय हुआ था,जिसकी वजह से जीवनभर इस लड़की को परेशानी और कलेश झेलते हुए एक दिन इसी पति के साथ एक सड़क हादसे में मौत ने गले लगा लिया था हालांकि इस हादसे में वह खुद सुरक्षित बचा था। इस पीड़ित पत्नी ने अपने जीवन में क्या कुछ झेला, यह तो पवन आश्री के इकलौते पुत्र ने अपने वीडियो संदेश में बयां किया हुआ है और उसका पूरा बयौरा बाद में,लेकिन फिलहाल इस श्रृंखला की पहली कड़ी में यह स्पष्ट कर दें कि फ्राड क्यों कहा जा रहा है।वो इसलिए क्योंकि भारतीय जनता पार्टी के बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ का यह जिलाध्यक्ष पवन आश्री एक नहीं चार बार पैदा हुआ। यानी उसकी जन्मतिथियां एक दो तीन नहीं चार से भी ज्यादा बताई जाती हैं।
दरअसल पवन आश्री की पहली जन्म तिथि-1 जुलाई 1962 सरकारी रिकार्ड में दर्ज है,जबकि उसकी एक फेसबुक पर दूसरी जन्म तिथि- 7 जनवरी 1967 दर्ज है। वहीं एक अन्य फेसबुक आईडी पर 1 जुलाई 1970 दर्ज है,ताकि उनकी पत्नी और उसकी उम्र में लोगों को ज्यादा फर्क पता नहीं चले और लोगों को गुमराह किया जा सके। वैसे तो पवन आश्री की उम्र कितनी है, कितनी नहीं,इस बात से किसी आमजन को कोई लेना देना नहीं होना चाहिए। मगर जब कोई अपने आपको राजनीतिक पार्टी का नेता बताता हो,तो इन तमाम गतिविधियों पर नजर जरूर जाती है। इनके अलावा उनके परिवार के एक सदस्य का कहना है कि पवन आश्री का जन्म 1960 का है। खैर कुछ तीन जन्मतिथियों का रिकार्ड तो हमारे पास आ चुका है और कहां कहां रिकार्ड में क्या क्या है,वह सामने आता रहेगा और आप तक पहुंचाया जाएगा।
पवन आश्री का फ्राड नंबर दोः
उसके इकलौते पुत्र तरुण आश्री ने पिछले दिनों बैक टू बैक यानी एक के बाद एक पवन आश्री के खिलाफ चार वीडियो संदेश जारी किए थे। इन वीडियो संदेश में तरुण आश्री ने बताया था कि वह स्वयं,उसकी पत्नी शालिनी और ससुरालजन सभी पवन आश्री की हरकतों से बेहद परेशान हैं। तरुण आश्री ने यहां तक बोला कि उसे यह बताते हुए भी शर्म आती है कि वह पवन आश्री का बेटा है। पवन आश्री पर 50 तोले सोना हड़पने का भी गंभीर आरोप इकलौते पुत्र ने लगाया है। करीब 50 तोले सोने के यह आभूषण पवन आश्री की पुत्रवधु के मायके वालों ने दिये थे। थाने से लेकर सीएम विंडो तक यही आरोप पवन आश्री की पुत्रवधु के मायके वाले लगा चुके हैं। पवन आश्री के समधी और समधन का आरोप है कि उनकी शिकायतों पर अब तक ठोस कार्रवाई नहीं हुई है,जबकि पीड़ित उनकी बेटी और दामाद यानी पवन आश्री का बेटा भी लिखित में शिकायत भेज चुके हैं।
पवन आश्री का फ्राड नंबर तीनः सरकारी दस्तावेजों में पुत्र की दो दो जन्मतिथियां लिखवा कर दी गलत जानकारी,सरकार से धोखा
मुख्य सचिव हरियाणा सरकार को भेजे सरकारी दस्तावेज में पवन आश्री ने दी हुई है फर्जी डेट आफ बर्थ
पवन आश्री ने दो जगह सरकारी रिकार्ड में अपने पुत्र की जन्मतिथि अलग अलग दर्ज कराकर सरकारी रिकार्ड में गलत सूचना देकर धोखा किया है। राज्य सरकार के एक विभाग में अपने इकलौते पुत्र तरुण आश्री की जन्मतिथि 6 अगस्त 1992 दर्ज कराई है। वहीं इसी इकलौते पुत्र तरुण आश्री की कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी के रिकार्ड में पवन आश्री ने जन्मतिथि 6 अगस्त 1993 दर्ज कराई हुई है। यह फर्जी डेट आफ बर्थ मुख्य सचिव हरियाणा सरकार को भेजी हुई है। वहीं सत्य यह भी खोज किया जा रहा है,क्योंकि परिवार के एक सदस्य का यह भी कहना है कि तरुण का जन्म अगस्त में नहीं मई माह में हुआ था। खैर इसका तथ्य न्यूज डेक्स के पास अभी नहीं आया है,मिलते ही पाठकों तक यह तीसरा तथ्य भी पहुंचाया जाएगा। यह गलितयां उस व्यक्ति के रिकार्ड में हैं,जो दूसरों के रिकार्ड में ताकझांक कर पूरा अनापशनाप पोस्टमार्टम करके ना केवल झूठे दावे करता है,बल्कि उन झूठे दावों का पुलिंदा बनाकर अधिकारियों,समाजिक संगठनों के पदाधिकारियों और नेताओं के हवाले से खुद बता कर देश की जनता को को गुमराह करता है। इसका प्रमाण सच सामने आ चुका है।
पवन आश्री इस खबर से संबंधित अपना पक्ष भेजेंगे तो भी प्रकाशित किया जाएगा
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