कथित भाजपा नेता पर ये मेहरबानी कांग्रेस शासनकाल में कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी ने की
क्या 1995 में पवन आश्री की पत्नी को केयू ने पहले आओ पहले पाओ जैसी खुली भर्ती में दी नौकरी
सुशिक्षित बेचारे रोजगार कार्यालय में नाम दर्ज कराते रह गए और यूं हाथ से निकलती गई नौकरियां
केयू में नौकरी और पत्नी के प्रमाण पत्र की विजिलेंस जांच कैसे रूकी,दस्तावेजों में दिखेगा सच
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। कांग्रेस सरकार में हुई उस भूल को कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी और भाजपा की केंद्र और राज्य सरकार अब भी नहीं सुधार करेगी या नहीं ? अब यह सवाल उठा है। 29 साल पहले हरियाणा और केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। इस दौरान हुई एक पत्रकार की पत्नी की नियुक्ति के कारण हरियाणा राज्य की मदर यूनिवर्सिटी केयू पर सवाल उठ रहे हैं,क्योंकि जिस दौर में देश के लाखों करोड़ों सुशिक्षित युवा बेरोजगार घूम रहे थे,उसी दौरान पवन आश्री नाम के एक सख्श ने अपनी पत्नी की नियुक्ति कांग्रेस के शासनकाल के दौरान 16 नवंबर 1995 में कराई थी। अब यह तारीख यहां इसलिए लिखी जा रही है,क्योंकि कथित भाजपा नेता अगर अपनी पार्टी के लिए समर्पित होकर सक्रिय भूमिका निभा रहे होते तो इस तरह थाल में सजा कर अंग्रेजी में थर्ड डिवीजन पात्र को कुरुक्षेत्र जैसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी क्लर्क की नौकरी कतई नहीं देती।
खैर पूरी राम कहानी सिलसिलेवार एक एक दस्तावेज के साथ आपकोदिखाएंगे कि कैसे पत्रकारिता और राजनीति के घालमेल से सुशिक्षित वर्ग के अधिकारों को चूना लगाया जाता है। खासकर तब जब पात्र बाहर सड़कों पर धक्के खाएं और अपात्रों को नौकरी लगवा कर स्वार्थी लोग मजे लूटें। इस तरह की करतूतों से संस्थानों की कार्यशैली पर तो फर्क पड़ता ही है,मगर सबसे बड़ा असर उन बेरोजगारों पर पड़ता है, जो उच्चशिक्षा प्राप्त करने के बाद भी इधर उधर धक्के खाकर उम्र गुजार देते हैं। यह भी नहीं है कि उस दौर में नौकरियां ज्यादा थी और पात्र कम। रोजगार विभाग के 1990 से 1995 के आंकड़े खुलवा कर देख लिए जाएं तो केयू और सिस्टम की तो शायद आंखे ना भी खुलें,मगर बेरोजगारों की यह आंकड़ा देखकर आंखें फटी की फटी रह सकती है।
अब एक सज्जन ने इस मुद्दे को लेकर आरटीआई लगा रहे है और यह पूरा रिकार्ड हरियाणा के राज्यपाल से लेकर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजा जा रहा है। साथ ही मांग भी की जा रही है कि पूर्व की कांग्रेस सरकार के दौरान 1995 में हुई यह भर्ती किसी स्वायत संस्था ने की थी या स्वायतता प्राप्त किसी संस्था के मुखिया ने किसी राजनेता के कहने पर की हो,मगर जो गलती हुई,उसमें सुधार होना चाहिए,नौकरी प्राप्त करता की मृत्यु हो चुकी है,अब भी केयू प्रशासन इस नौकरी के नाम पर किए जा रहे भुगतान बचा सकता है,क्योंकि गलत तरीके से सुशिक्षित पात्र के हिस्से की नौकरी का पैसे का भुगतान अब बंद होना चाहिए,यह मांग राज्यपाल से की जा रही है।
पवन आश्री की पत्नी के दसवीं में नंबर, नजर डालें
अंग्रेजी में 100 में से 33 अंक
गणित में 100 में से 42 अंक
एसएस में 100 में 39 अंक
साइंस में 100 में से 43 अंक
हिंदी 100 में से 49 अंक
होमसाइंस में 100 में से 67 अंक
कुल अंक 500 में 273
पक्के प्रमाणों के साथ दस्तावेजों की सूची थोड़ा लंबी है…
यकीनन पाठक हक्के बक्के रह जाएंगे उन तथ्यों को देखकर जिन्हें यहां सिलसिलेवार प्रस्तुत किया जाएगा।एक एक दस्तावेज आपके सामने होगा,ताकि आम लोगों को पता चले की मिसगाइड और मिसयूज किसे कहते हैं।खासकर इस तरह के क्रियाकलापों की जिन्हें महारथ हासिल,उन्हें हकीकत दिखाना लाजिमी बनता है। यह हकीकत कथित भाजपा नेता पवन आश्री को दिखाना लाजिमी है।पत्नी के प्रमाण पत्र और अन्य मामले की विजिलेंस जांच को कैसे दबाया गया,वे सभी दस्तावेज अगर आपने नहीं देखे तो समझोआपने कुछ नहीं देखा।