भारी जनसमुह चतुर्वेद परायण यज्ञ में भाग लेकर डाल रहा आहुति
कुरूक्षेत्र । धर्मक्षेत्र-कुरूक्षेत्र के ब्रहमसरोवर पर वेद विद्या शोद्य संस्थान के बैनर तले आर्य समाज हरियाणा द्वारा आयोजित महर्षि दयानन्द सरस्वती द्वितीय जन्मशताब्दी समारोह के दूसरे दिन सुर्योदय के साथ चारों वेदों का यज्ञ प्रारम्भ हुआ। इस दौरान देश के कोने-कोने से लोगों ने कुरूक्षेत्र पहुंचकर वेद मंत्रों पर यज्ञ में आहुति दी। इस दौरान योगभवन में आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती के विचारों, उनके कार्यों व चिंतन पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में डी.ए.वी.कालेज के प्रधानाचार्य डा.कामदेव झा ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेकर महर्षि दयानन्द सरस्वती को महामानव बताया व कहा कि उन्होंने जो चिंतन व शिक्षा पूरी दूनिया को वेदों पर चलने की दिया है। उससे दूनिया ने सीख ली है। इस दौरान कार्यक्रम अध्यक्ष शिक्षाविद एंव भाजपा नेता डा. रिशिपाल मथाना ने भाग लेकर महर्षि दयानन्द सरस्वती की द्वितीय जन्मशताब्दी शुभारम्भ समारोह से उनके लगातार वर्ष भर चलने वाले कार्यक्रमों से पूरे संसार को लाभ मिलेगा। इसके शुभारम्भ पर देश भर के संतों का कुरूक्षेत्र आगमन से ओर उनके चिंतन से पूरे विश्व को लाभ मिला है। इस कार्यक्रम का कुरूक्षेत्र में आयोजन होना अपने आप में एक इतिहास है। सभी को बढ़चढ़ कर सुर्योदय से सुर्यास्त तक चलने वाले चारों वेदों के चतुर्वेद परायण यज्ञ में भाग लेना चाहिए। कार्यक्रम के मुख्य यज्ञमान रिटायर्ड आईएएस आर.आर.फूलिया रहे व अति विशिष्ठ अतिथि के रूप में गुरू ब्रहमानन्द संग्राहलय से डा.मैत्री, विद्या भारती के राष्ट्रीय मंत्री बालकृष्ण ने महर्षि दयानन्द सरस्वती को दूनिया का सबसे बड़ा समाज सुधारक बताया। समारोह को विशेष रूप से ध्यान योग आश्रम हिमाचल प्रदेश के परमाध्यक्ष स्वामी योगतीर्थ ने महर्षि दयानन्द सरस्वती के विचारों को पूरी दूनिया तक उनके वेद प्रचार को बढ़ाना बताया। कार्यक्रम स्थल पर सुबह ध्यान साधना शिविर का आयोजन स्वामी योगतीर्थ की अध्यक्षता में लगाया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम के आयोजक स्वामी सम्पूर्णानन्द सरस्वती व आयोजक कमेटी के सदस्य आर्य दिलबाग लाठर ने सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह व गायत्री पटका पहनाकर सम्मान किया। इस अवसर पर मंच का संचालन मातृभूमि सेवा मिशन के अध्यक्ष श्रीप्रकाश मिश्र ने किया।
धर्मक्षेत्र कुरूक्षेत्र से महर्षि दयानन्द सरस्वती का चिंतन पूरी दुनिया करेगा लाभान्वित
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