Friday, November 22, 2024
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सभी पूर्णिमाओं में माघ पूर्णिमा महत्वपूर्ण, भगवान विष्णु के साथ धन की देवी मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं : महंत जगन्नाथ पुरी  श्री मार्कंडेश्वर महादेव मंदिर में हुआ माघी पूर्णिमा पूजन व अनुष्ठान

by Newz Dex
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न्यूज़ डेक्स संवाददाता

कुरुक्षेत्र । मारकंडा नदी के तट पर श्री मार्कंडेश्वर महादेव मंदिर ठसका मीरां जी में रविवार को अखिल भारतीय श्री मार्कंडेश्वर जनसेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं मंदिर के व्यवस्थापक महंत जगन्नाथ पुरी के सान्निध्य में विधिवत मंत्रोच्चारण के साथ विद्वान ब्राह्मणों द्वारा माघी पूर्णिमा का पूजन एवं अनुष्ठान किया गया। इस मौके पर यजमान परिवार ने भंडारा दिया। यह पूजन यजमान कुलदीप सचदेवा एवं उनके परिवार के सदस्यों द्वारा यजमान के तौर करवाया। महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया माघ मास की पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा कहा जाता है। माघ पूर्णिमा के दिन तीर्थ तथा सरोवर में स्नान, दान और पूजा पाठ का विशेष महत्व है। इस दिन कल्पवास भी शुरू होता है और कहा जाता है कि इस दिन भगवान श्रीहरि जल में निवास करते हैं। महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया कि धर्म शास्त्रों में माघी पूर्णिमा को विशेष फलदायी माना गया है । सभी पूर्णिमाओं में माघ पूर्णिमा अधिक महत्वपूर्ण है । पुराणों के अनुसार, इस दिन विशेष उपाय करने से भगवान विष्णु के साथ धन की देवी मां लक्ष्मी शीघ्र ही प्रसन्न हो जाती हैं और इस दिन शुभ फल मिलते हैं। उन्होंने बताया कि माघ पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन लोग सत्यनारायण की कथा भी करवाते हैं। कथा के लिए दूध, दही, तुलसी, मेवे, घी और शक्कर से चरणामृत बनाया जाता है। इसके बाद सत्यनारायण की कथा कही जाती है और प्रसाद वितरण किया जाता है। उन्होंने बताया कि माघ पूर्णिमा का स्नान दान करने से जन्मों के पाप मिट जाते हैं। वैसे तो माघ का पूरा महीना ही स्नान और दान के लिए जाना जाता है। लेकिन माघ पूर्णिमा के दिन वस्त्र, गुड़, कपास, घी, लड्डू, फल, अन्न का दान करना बहुत फलदायी रहता है। उन्होंने बताया कि ब्रह्म वैवर्त्य पुराण के अनुसार माघ पूर्णिमा के दिन स्नान के बाद दान करने से ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा भी अपनी सोलह कलाओं से शोभायमान होते हैं। पूर्ण चंद्रमा अमृत वर्षा करते हैं, जिसका अंश वृक्षों, नदियों, जलाशयों और वनस्पतियों पर पड़ता है। इस मौके पर स्वामी संतोषानंद, स्वामी मनोहर दास, स्वामी अमर दास, मयूर गिरि, बिल्लू पुजारी, दीपक शर्मा, निविदिता, सोमनाथ, राम कुमार, राम बिहारी, नाजर सिंह, दिवाकर गुप्ता व नाथी राम इत्यादि भी मौजूद थे।  

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