हमारा इतिहास बहुत गौरवशाली, उसके पन्नों को पढ़ने की आवश्यकताः भाई जगराम
वैदिक युग से वर्तमान काल तक महिलाओं की स्थिति में काफी बदलाव आयाः डॉ. मीनाक्षी शर्मा
जहां नारियों की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैंः डॉ. संजीव शर्मा
न्यूज़ डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास (उत्तर क्षेत्र) के संयोजक भाई जगराम ने कहा कि नारी कभी अंहकार व शिकायत नहीं होती। इतिहास हमारा संबल होता है, विज्ञान भुजबल होता है। समाज में अच्छाई व बुराई होती है। भारत का इतिहास वास्तव में क्या हमें पता नहीं है। पोरस, रणजीत सिंह, गुरू तेग बहादुर, राम प्रसाद बिस्मिल, महाराज देवपाल, सम्राट अशोक, चंद्रगुप्त, शिवाजी महाराज को कोई नहीं जानते इन सभी के पीछे इनकी मां की वीरता छुपी हुई है। वे रविवार को आईआईएचएस कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय तथा शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा आयोजित इतिहास में महिलाएं (अतीत से वर्तमान तक) विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय ऑनलाईन वेबिनार में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। इससे पहले मॉं सरस्वती की प्रतिमा पर शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास हरियाणा प्रांत के अध्यक्ष व कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा, संयोजक डॉ. हितेन्द्र त्यागी, डॉ. रीटा राणा व प्रो. गोपाल प्रसाद द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर व सरस्वती वंदना कर कार्यक्रम की शुरूआत की गई।
भाई जगराम ने आह्वान किया कि जिन लोगों ने देश के लिए कुछ किया है उनको पढ़ने व लिखने के लिए आवश्यकता है ताकि हम आने वाली पीढ़ियों को इससे अवगत करवा सकें। उन्होंने कहा कि यदि भारत को जानना है तो भारत का इतिहास जाने जिसमें वीरता, गौरवशाली राष्ट्र, त्याग भूमि, शौर्य, धर्म भूमि, कर्मभूमि की गाथा निहित है।
उन्होंने कहा कि आज कई देश मानस पटल से हट गए पर भारत आज भी बना हुआ है। आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने शिक्षा जगत को अपनी संस्कृति, भाषा, देश का इतिहास, प्राचीन ज्ञान एवं विज्ञान को जानने उसका प्रचार-प्रसार करने का सुअवसर प्रदान किया हैं। हमारा इतिहास बहुत गौरवशाली है उसके पन्नों को पढ़ने की आवश्यकता है। आने वाली पीढ़ी को अच्छा बताने का प्रयास करें। नारी पूरे समाज, परिवार, सभ्यता की धुरी होती है। वो पहले भी धुरी थी आज भी धुरी है और आगे भी धुरी रहेगी।
डॉ. मीनाक्षी शर्मा, असिस्टैंट प्रोफेसर, धर्मजीवी इंस्ट्टियूट आफ प्रोफेशनल एजुकेशन ने कहा कि महिलाओं की बात करते हैं तो डॉ. बीआर अम्बेडकर के प्रयासों को नहीं भुला सकते। महिलाओं की भागीदारी पुरुषों से अधिक है। पहला कदम हमें घर से उठाना होगा। घर के बच्चों को शिक्षा देंगे की नारी सम्मान क्या है तभी इसे सफल कर सकते हैं।
डॉ. मीनाक्षी शर्मा ने कहा कि ऐसे विषयों पर समय-समय पर विचार मंथन होना चाहिए। पिछले कुछ समय से महिलाओं की स्थिति में काफी बदलाव आया है। वर्तमान में महिलाएं शीर्ष पदों पर आसीन रही हैं। वैदिक युग से वर्तमान काल तक महिलाओं की स्थिति में काफी बदलाव आया है। वैदिक काल में महिलाओं की स्थिति काफी सुदृढ थी। सिंधु घाटी की सभ्यता की जब खुदाई की गई तो उस समय महिलाओं की मूर्ति अधिक मात्रा में निकली। पौराणिक काल में महिलाओं की शक्ति के रूप में पूजा की जाती थी। उत्तर वैदिक काल में महिलाओं के सम्मान में गिरावट दर्ज की गई व उनकी स्थिति दयनीय होती गई व उनके अधिकारों का हनन होना शुरू हो गया। त्रेता युग में सीता माता को अपनी पवित्रता सिद्ध करनी पड़ी, द्वापर युग में द्रौपदी के शोषण पर सब मौन रहे हम इसी से ही स्त्री की स्थिति का अंदाजा लगा सकते हैं। मौर्यकाल और गुप्तकाल में महिलाओं की स्थिति अच्छी नहीं थी। इस काल में नगरवधू तथा देवदासी प्रथा चल रही थी जिससे महिलाओं का शोषण हो रहा था। मध्य काल में पर्दा प्रथा, बाल विवाह तथा सती प्रथा जैसी कुरीतियां आई। इतिहास में छत्रपति शिवाजी की मां जीजाबाई , चांद बीबी ने 1590 के दशक में अहमद नगर की रक्षा की तथा महारानी दुर्गावती के उदाहरण देखने को मिलते हैं। इसके बाद भक्ति आंदोलन का आगाज हुआ। 19वीं शताब्दी में दयानंद सरस्वती तथा महिला उत्थान में डॉ. बीआर अम्बेडकर द्वारा तैयार किया गया हिन्दू कोड बिल महिलाआें की गरिमामय उपस्थिति के लिए मील का पत्थर साबित हुआ। हम आधुनिक काल में महिलाओं की भागीदारी की अनदेखी नहीं कर सकते हैं। अब हर क्षेत्र में महिलाएं अपना कीर्तिमान स्थान कर रही हैं। महिला उत्थान के लिए हमें सुशिक्षित वर्ग की जिम्मेदारी निश्चित करनी होगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं योजना, सुकन्या समृद्धि योजना आदि कई योजनाएं चलाकर महिलाओं के विकास के लिए प्रयास किए हैं। शिक्षा से ही हम राष्ट्र को आगे बढ़ा सकते हैं।
वेबिनार की संरक्षक प्रो. रीणा राणा ने सभी का स्वागत किया व कहा कि हर युग में महिलाओं ने अपना योगदान हर क्षेत्र में दिया है।
प्रो. गोपाल प्रसाद ने वेबिनार के विषय के बारे में विस्तार से बताया व वेबिनार के मुख्यातिथि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास (उत्तर क्षेत्र) के संयोजक भाई जगराम व कुलसचिव डॉ. संजीव शर्मा का आभार प्रकट किया। इतिहास में ज्यादातर पुरुषो की बात होती है लेकिन महिलाओं की नहीं। महिलाओं की जगह इतिहास में खोजनी चाहिए। इतिहास में उनका क्या स्थान है और वर्तमान में क्या है। प्राचीन काल में खासतौर से वैदिक काल में महिलाओं की भूमिका देखने को मिलती है। 50 प्रतिशत योगदान महिलाओं का है व प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं का योगदान है। वेदों की रचना भी महिलाओं द्वारा की गई है। रामायण तथा महाभारत में भी महिलाओं का त्याग देखने को मिलता है। विदेशी आक्रांताओं के खिलाफ भी महिलाओं ने हौंसला दिखाया।
प्रो. हितेन्द्र त्यागी ने सभी को रविदास जयंती की बधाई दी व शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास का मूल उद्ेश्य शिक्षा व संस्कृति को बढ़ावा देना है। शिक्षा बचाओं आंदोलन 2 जुलाई 2004 को पूरे भारत में प्रारम्भ हुआ। इसके हेतु 24 मई 2007 को शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास का गठन किया गया। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास 10 विषय तथा तीन आयाम और 3 कार्य विभाग को लेकर चलता है। इसका ध्येय वाक्य है देश को बदलना है तो शिक्षा को बदलना होगा। चरित्र निर्माण, वैदिक गणित, प्रबंधन शिक्षा, प्रतियोगी परीक्षा, शोध प्रकल्प, भारतीय भाषा अभियान आदि अनेक विषयों को लेकर कार्य कर रहा है। हरियाणा प्रांत का ज्ञानोत्सव 2079 का आयोजन 29 व 30 अप्रैल 2023 को एसडी कॉलेज अम्बाला में आयोजित किया जाएगा।
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास हरियाणा प्रांत के अध्यक्ष व कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा ने रविदास जयंती की बधाई दी व कहा कि महिलाओं की भागीदारी के उपर प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है लेकिन महिलाओं की भागीदारी पुरुषो से अधिक है। शिक्षा, सुरक्षा, सेवाभावना, स्वास्थ्य विषय महिलाओं से जुड़े है। संस्कृति का प्रचार व युवाओं को पुरानी परम्परा से जोड़ना न्यास का उद्देश्य है। हम सभी जानते हैं कि जहां नारियों की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं। महिलाओं का योगदान हमारी मां, बेटी, पत्नी का योगदान किसी से कम नहीं है। पुरुषों के पीछे महिलाएं खड़ी हुई है। महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषो से कंधे से कंधे मिलाकर कार्य कर रही हैं। न्यास भी महिलाओं के लिए कार्य कर रहा है। अतीत में रामायण में सीता, महाभारत में द्रौपदी का व शिक्षा के क्षेत्र में सावित्रीबाई फुले के योगदान व 1857 की क्रांति में महारानी लक्ष्मी बाई के योगदान को भुला नहीं सकते। वर्तमान में भी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू देश को नई दिशा दे रही हैं। राजनीति, व खेल, बिजनेस सहित हर क्षेत्र में महिलाओं का योगदान रहा है। चंदा कोचर, इंदिरा गांधी, सरोजनी नायडू के योगदान को भुलाया नही जा सकता।
मंच का संचालन वेबिनार के सचिव व पंजाब विश्वविद्यालय के डॉ. हरिकिशन द्वारा कुशलता पूर्वक किया गया। वेबिनार संयोजक प्रो. कुसुम लता ने सभी का धन्यवाद किया।
इस वेबिनार में संरक्षक डॉ. विवेक कोहली, डॉ. धर्मदेव विद्यार्थी, डॉ. रीटा राणा, डॉ. नीरज बातिश, अनिल शर्मा, डॉ. मीनाक्षी शर्मा, वेबिनार संयोजक प्रो. कुसुम लता, बांके बिहारी, डॉ. दीपक वशिष्ठ, सहित विद्यार्थियों व विभिन्न विषयों के संयोजक व सह-संयोजकों सहित 100 से अधिक शिक्षकों व विद्यार्थियों ने भाग लिया। अंत में कल्याण मंत्र के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।