Friday, November 22, 2024
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शिक्षा के बिना मनुष्य केवल नाम का आदमी होता है- आचार्य मुनि सत्यजीत 

by Newz Dex
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मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा संचालित मातृभूमि शिक्षा मंदिर परिसर में महर्षि दयानन्द की दृष्टि में वैदिक शिक्षा विषय पर बाल संवाद कार्यक्रम संपन्न

न्यूज़ डेक्स संवाददाता

कुरुक्षेत्र । आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती इस बात से भली-भांति परिचित थे कि अगर भारत जैसे बड़े देश को परिवर्तित करना है तो बचपन को प्रेरित तथा परिवर्तित करना होगा। उन्होंने स्पष्ट रूप से बच्चों की नैतिक शिक्षा पर बल देते हुए उनकी शिक्षा के साधन निर्धारित किए। नैतिक शिक्षा में एक तरफ सद्गुणों का विकास तथा प्रोत्साहन और दूसरी ओर विकारों का निराकरण शामिल है। यह विचार वानप्रस्थ साधक आश्रम रोजड़, गुजरात के परमाध्यक्ष आचार्य मुनि सत्यजीत जी ने मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा संचालित मातृभूमि शिक्षा मंदिर परिसर में महर्षि दयानन्द की दृष्टि में वैदिक शिक्षा विषय पर बाल संवाद कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किये। आश्रम परिसर में पहुंचने पर आचार्य मुनि सत्यजीत जी एवं आचार्या मुनि ऋतमा का मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने स्वागत किया। मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने सभी अतिथियों को आश्रम परिसर का भ्रमण कराया और आश्रम की गतिविधियों से अवगत कराया।

आचार्य मुनि सत्यजीत ने कहा जीवन में शिक्षा का अत्यंत महत्त्व है, शिक्षा के बिना मनुष्य केवल नाम का आदमी होता है। यह मनुष्य का कर्त्तव्य है कि वह शिक्षा प्राप्त करे, सदाचारी बने, द्वेष से मुक्त हो और देश, धर्म तथा समाज के लिए कार्य करें।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा स्वामी दयानंद जी ने अपने प्रसिद्ध ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश में शिक्षार्थी के न केवल चरित्र निर्माण पर विशेष बल दिया है बल्कि उसके जीवन के समग्र विकास को केंद्र में रखते हुए एक विशद पाठ्यक्रम की रुपरेखा प्रस्तुत की है जिससे यह स्पष्ट करता है कि स्वामी दयानंद का उद्देश्य शिक्षा के माध्यम से शिक्षार्थी को मनुष्य की पूर्णता का साक्षात्कार कराना है। शिक्षार्थी के व्यक्तित्व के समग्र विकास को ध्यान रखते हुए प्रस्तुत विस्तृत पाठ्यक्रम कठोर अनुशासन और संयमित जीवन-शैली की अपेक्षा करता है और वर्तमान शिक्षा प्रणाली के दोषों के निराकरण का मार्गदर्शन करने में समर्थ प्रतीत होता है। 

कार्यक्रम की अति विशिष्ट अतिथि आचार्या मुनि ऋतमा ने कहा स्वामी दयानंद जी के विचार में शिक्षा मनुष्य को ज्ञान, संस्कृति, धार्मिकता, आत्मनियंत्रण, नैतिक मूल्यों और धारणीय गुणों को प्राप्त करने में मदद करती है और मनुष्य में विद्यमान अज्ञानता, कुटिलता तथा बुरी आदतों को समाप्त करती है। उन्होंने कहा कि मातृभूमि सेवा मिशन समाज के जरूरतमंद बच्चों को वास्तविक रूप से वैदिक शिक्षा प्रदान कर आत्मनिर्भर नागरिक बनाने में समाज निर्माण का महतवपूर्ण कार्य कर रहा है।

कार्यक्रम में धर्मपाल सैनी, सुनारियां के पूर्व सरपंच रणधीर सिंह, चरणजीत सिंह सहित मिशन के सदस्य एवं अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे।

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