शिवा राजे/न्यूज डेक्स संवाददाता
हैदराबाद। हैदराबादी संस्कृति, परंपरा और मूल्यों की प्रतीक एवं आखिरी निजाम मीर उस्मान अली खान की अंतिम जीवित 93 वर्षीया पुत्री शाहजादी बशीरुन्निसां बेगम ने मंगलवार की सुबह अंतिम सांस ली। शाहजादी हैदराबाद के पुरानी हवेली स्थित अपने आवास ही रह रहीं थीं। वह अपने पीछे इकलौती बेटी रशीदुन्निसां को छोड़ गई हैं,जबकि शाहजादी के पति का निधन 22 साल पहले हो चुका है। हैदराबाद रियासत के आखिरी निजाम के पोते और निजाम फैमिली वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन नवाब नज्फ अली खां ने बताया कि शाहजादी बशीरुन्निसां बेगम के निधन से उनके परिवार को एक बड़ी क्षति पहुंची है। शाहजादी बशीरुन्निसां बेगम का विवाह नवाब काजिम यार जंग के साथ हुआ था, जोकि अली पाशा के नाम से प्रख्यात थे। नवाब नज्फ अली खां ने बताया कि हैदराबाद के पुराने शहर स्थित दरगाह हजरत याहिया पाशा में शाहजादी बशीरुन्निसां बेगम सुपुर्द-ए-खाक किया गया। निजाम की अंतिम पुत्री के अंतिम संस्कार में निजाम के परिवार सदस्यगण और परिवार से जुड़ी कई बड़ी हस्तियां मौजूद रहीं।
उल्लेखनीय है कि एक जमाना था जब दुनियाभर में बेशकीमती हीरे जवाहरात और अमूल्य मोतियों सहित अकूत संपत्ति के मामले में निजाम परिवार का डंका बजता था।
अंतिम निजाम मीर उस्मान अली खान का निधन 1967 में हुआ था और उनकी गिनती सबसे अमीर भारतीय नागरिक के रुप में होती थी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1940 के दशक में निजाम की कुल संपत्ति करीब 2.36 अरब डॉलर आंकी गई थी।शानोशौकत के मामले में हैदराबाद के निजामों का अपना एक इतिहास है और इनके अनेक किस्से कहानियां आमजन में खूब प्रचलित हैं। लजीज व्यंजनों,पहनावा,धरोहरों,शिल्पकारी,अलीशान महल, भवनों और संग्रहालयों में मौजूद दुर्लभ वस्तुओं की दृष्टि से भी हैदराबाद और इसके शाही परिवार काफी आगे रहा है।