श्री ब्राह्मण एवं तीर्थोद्धार सभा ने कुलपति को लिखा पत्र
प्रकांड विद्वान डॉ. सिन्हा का कुरुक्षेत्र के विकास में रहा अहम योगदान : जयनारायण शर्मा
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। श्री ब्राह्मण एवं तीर्थोद्धार सभा ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति को पत्र लिखकर मांग की है कि प्रकांड विद्वान प्रो. हिम्मत सिंह सिन्हा की स्मृति में ट्राफी या पुरस्कार शुरू किया जाए। यह जानकारी देते हुए सभा के मुख्य सलाहकार, कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के पूर्व सदस्य, कुवि कोर्ट के पूर्व सदस्य, नगर परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष एवं कुवि छात्र संघ के पूर्व सचिव जयनारायण शर्मा एडवोकेट ने बताया कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय तथा धर्मनगरी कुरुक्षेत्र का आज जो स्वरूप है उसमें डॉ. सिन्हा की विशेष भूमिका रही। वे लंबे अर्से तक कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय दर्शन शास्त्र के विभागाध्यक्ष रहे और इसी के साथ-साथ युवा सांस्कृतिक विभाग के निदेशक की जिम्मेवारी भी उन्होंने बखूबी निभाई।
डॉ. सिन्हा भारतीय दर्शन के प्रकाण्ड विद्वान, शिक्षाविद् होने के साथ-साथ रामचरित मानस के मर्मज्ञ ज्ञाता थे। वे भारत सरकार के सर्वोच्च संस्थान भारतीय दर्शन अनुसंधान परिषद के निरंतर चार वर्ष तक सदस्य रहे। कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के सदस्य भी हरियाणा सरकार द्वारा मनोनीत किए गए थे। लगभग 60 वर्ष पूर्व प्रो. सिन्हा ने उत्तर प्रदेश के बुलंद शहर से आकर कुरुक्षेत्र को अपनी कर्मभूमि बनाया गीता का अपने जीवन में आत्मसात किया। वे ऐसे कर्मयोद्धा थे जिन्होने जीवनभर दूसरों के उत्थान के लिए कार्य किया। वे नगर की कई सामाजिक, धार्मिक संस्थाओं से जुड़े हुए थे। लोकनायक जयप्रकाश के सहयोगी रहे डा. सिन्हा ने 1975 में अपातकाल का डटकर विरोध किया था।
डा. सिन्हा ने पूर्व प्रधानमंत्री स्व. गुलजारी लाल नंदा के सहयोगी के रूप में कुरुक्षेत्र के विकास में अपना योगदान दिया। उन्हें हरियाणा सरकार के
सर्वोच्च साहित्य संस्थान फख्र-ए-हरियाणा से हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा अलंकृत किया गया था। डॉ. सिन्हा को भारत रत्न गुलजारी लाल नंदा पूर्व प्रधानमंत्री भारत सरकार के अभिनंदन ग्रंथ लिखने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ, जिसका विमोचन हरियाणा के तत्कालीन राज्यपाल द्वारा किया गया था। डॉ. सिन्हा पूरे क्षेत्र में एकमात्र व्यक्ति थे जिन्होंने भारत के एकमात्र विख्यात विश्वविद्यालय भारती विद्या भवन बम्बई से रामायण विशारद का कोर्स किया हुआ था। उनकी विशेष उपलब्धियों के लिए अनेक सरकारों द्वारा उन्हें अलंकृत किया गया। डॉ. सिन्हा द्वारा संपादित अनेक पुस्तकें भारत में ही नहीं विदेशों के विश्वविद्यालयों में भी पढ़ाई जाती हैं। उन्होंने लगभग 40 विभिन्न लेखकों की काव्य संग्रह, कहानी संग्रह, निबंध संग्रह आदि पुस्तकों पर प्रस्तावना लिखी है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के लिए यह गौरव की बात रही है कि ऐसे प्रकांड विद्वान के निर्देशन में अनेक छात्रों ने शोध किया।
जयनारायण शर्मा, जोकि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय क्षेत्र से पार्षद रह चुके हैं, ने कुलपति से मांग की कि डॉ. हिम्मत सिंह सिन्हा जैसी महान विभूति की स्मृति में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा कोई ट्राफी/पुरस्कार शुरू किया जाए ताकि आने वाली पीढिय़ां उनसे जीवन से प्रेरणा ले सकें। यही उनके प्रति कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की सच्ची श्रद्धांजलि होगी।