बिना नारी शिक्षा के किसी भी राष्ट्र का सर्वांगीण विकास संभव नहीं है
न्यूज़ डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र । महर्षि दयानन्द सरस्वती ने स्त्री को माता के रूप में सारे राष्ट्र की जननी कहकर भावी राष्ट्र निर्मात्री कहा। जिसे शिक्षित होने का सर्व प्रथम अधिकार है। नारी शिक्षा से ही समाज सुधार हो सकता हैए ऐसा विचार स्वामी दयानन्द का था। भारतीय नारी सृष्टि के आरंभ से ही अनन्त गुणों का आगार रही है। बिना नारी शिक्षा के किसी भी राष्ट्र का सर्वांगीण विकास संभव नहीं है। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन एवं आर्य कन्या महाविद्यालय अम्बाला कैंट के संयुक्त तत्वावधान में आश्रम परिसर में आयोजित कार्यक्रम में मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने महर्षि दयानंद सरस्वती की जयंती की पूर्व संध्या पर मातृभूमि आश्रम परिसर में आयोजित महर्षि दयानंद सरस्वती की दृष्टि में राष्ट्र के सर्वांगीण विकास में नारी शिक्षा का महत्व विषय पर मातृशक्ति संवाद कार्यक्रम में व्यक्त किए। कार्यक्रम का शुभारंभ मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र, कार्यक्रम की अध्यक्ष आर्य कन्या महाविद्यालय, अंबाला कैंट की प्रधानाचार्या डॉ. अनुपमा आर्य ने संयुक्त रूप से दीपप्रज्जवलन एवं पुष्पार्चन कर किया। आर्य कन्या महाविद्यालय, अंबाला कैंट की प्रधानाचार्या डॉ. अनुपमा आर्य, शिक्षिकाओं, महाविद्यालय के एनएसएस, एनसीसी एवं वैदिक स्टडी सैंटर की छात्राओं का मातृभूमि सेवा मिशन आश्रम परिसर पहुंचने पर मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने तिलक लगाकर एवं शंख ध्वनि से स्वागत किया और आश्रम के समस्त सामाजिक एवं सेवा गतिविधियों से परिचित कराते हुए आश्रम परिसर का भ्रमण करवाया।
डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि महर्षि सरस्वती सरस्वती ने नारी के सर्वांगीण विकास पर बल दिया। स्वामी जी ने बाल विवाह की भर्त्सना की और सोलह साल से कम आयु की लड़कियों के विवाह को अनुचित बताया। इसके अतिरिक्त उन्होंने विधवा विवाह को भी प्रोत्साहन दिया। स्वामी दयानंद नारी जाति को न केवल शिक्षित करने के पक्षधर थे अपितु नारी जाति को गृह स्वामिनी से लेकर प्राचीनकाल की महान विदुषी गार्गी और मैत्रयी के समान विद्वान बनाना चाहते थे। स्वामी दयानंद नारी शिक्षा के महत्व को यथार्थ में समझते थे क्यूंकि माता ही शिशु की प्रथम गुरु होती है। इसलिए नारी का शिक्षित होना अत्यंत महत्व पूर्ण होता है। स्वामी जी नारी शिक्षा के प्रबल पक्षधर थे। डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा महर्षि दयानंद सरस्वती का मानना था जब समाज में नारी सुशिक्षित नही होगी तब तक राष्ट्र का सर्वांगीण विकास नही हो सकता। आज आवश्यकता है की मातृशक्ति सब प्रकार से संपन्न होकर आत्मनिर्भर भारत के निर्माण मे अपनी सहभागिता निश्चित करे। आज भी नारी समाज के समक्ष अनेक चुनौतिया है।
डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि सरस्वती ने आत्मबोध, आत्मगौरव, स्वाभिमान एवं स्वाधीनता का मंत्र प्रदान किया। स्वामी दयानंद 19वीं सदी के नवजागरण के सूर्य थे, जिन्होंने मध्ययुगीन अंधकार का नाश किया। महर्षि दयानंद के प्रादुर्भाव के समय भारत धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक दृष्टि से अतिजर्जर और छिन्न-भिन्न हो गया था। ऐसे विकट समय में जन्म लेकर महर्षि ने देश के आत्मगौरव के पुनरुत्थान का अभूतपूर्व कार्य किया। लोक कल्याण के निमित्त अपने मोक्ष के आनंद को वरीयता न देकर जनजागरण करते हुए अंधविश्वासों का प्रखरता से खंडन किया। अज्ञान, अन्याय और अभाव से ग्रस्त लोगों का उद्धार करने हेतु वे जीवनपर्यंत संघर्ष करते रहे। महर्षि दयानंद ने सत्य की खोज के लिए अपने वैभवसंपन्न परिवार का त्याग किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए शिक्षाविद प्रधानाचार्या डॉ. अनुपमा आर्य ने कहा कि महर्षि दयाननंद सरस्वती स्त्री-शिक्षाए स्त्री के विवाह की उम्र, स्त्री की समाज में सक्रियता, उनकी शिक्षा इत्यादि के संबन्ध में लिखा और अपने भाषणों में भी इस विषय पर पर्याप्त प्रवचन किया। उन्हीं के उपदेशों का अनुसरण कर बाद के आर्य नेताओं ने कन्या-गुरुकुल, कन्या डीएवी कॉलेज, स्त्री आर्यसमाज इत्यादि संगठनों का निर्माण किया और महिलाओं के बीच जागृति उत्पन्न करके उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोडने का महनीय कार्य किया। डॉ. अनुपमा आर्य ने कहा कि मैं महर्षि दयानन्द सरस्वती की ऋणी हूँ, जिनकी बदौलत में आज एक प्रधानाचार्या के रूप में कार्य कर रही हूँ।
कार्यक्रम को आर्य गर्ल्स कॉलेज की राजनीति विज्ञान के सहायक प्रोफेसर डॉ. अमनीत कौर, आर्य गर्ल्स कॉलेज की शारीरिक शिक्षा के सहायक प्रोफेसर डॉ. सरिता चौधरी, आर्य गर्ल्स कॉलेज की इतिहास के सहायक प्रोफेसर डॉ. पंकज, आर्य गर्ल्स कॉलेज की राजनीति विज्ञान के सहायक प्रोफेसर सुश्री वंदना धीर ने भी मातृशक्ति संवाद कार्यक्रम को संबोधित किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय की छात्रा मानसी, पायल, पूजा, दीक्षा, रीतिका, सपना ने भी महर्षि दयानंद की शिक्षाओं के विषय में अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम में मंच संचालन धर्मपाल सैनी ने किया। आभार ज्ञापन छात्रवास अधीक्षक हरि व्यास ने किया। कार्यक्रम में अनेक धार्मिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधि जन उपस्थित रहे। मातृशक्ति संवाद कार्यक्रम में आर्य कन्या महाविद्यालय, अंबाला कैंट की एनएसएस, एनसीसी एवं वैदिक स्टडी सैंटर की छात्राओं ने भाग लिया। मातृशक्ति संवाद कार्यक्रम में मातृभूमि सेवा मिशन परिवार की ओर से मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने आर्य कन्या महाविद्यालय, अंबाला कैंट की प्रधानाचार्या डॉ. अनुपमा आर्य को स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया। मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने विभिन्न विधाओं मे सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया। कार्यक्रम का समापन शांतिपीठ से हुआ।