कहा, हरियाणा पर बढा कर्ज का बोझ, 66 हजार करोड़ लिया नया ऋण, बजट का तीसरा हिस्सा चला जाएगा लोन व ब्याज के लिए
मात्र 250 रूपए पैंशन बढाकर किया बुजुर्गो के साथ मजाक
न्यूज़ डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। । हरियाणा के पूर्व मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अशोक अरोड़ा ने बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भाजपा व जजपा सरकार द्वारा जो बजट पेश किया गया है यह बजट दिशाहीन बजट है। यह हरियाणा के सिर पर कर्ज बढानेे का बजट है। इस बार सरकार द्वारा 1 लाख 83 हजार करोड़ का जो बजट दिखाया गया है उसमें से लगभग 36 प्रतिशत कर्ज लिया जाएगा जोकि लगभग 66 हजार करोड़ रूपए होगा। अशोक अरोड़ा ने हरियाणा पर कर्ज का जिक्र करते हुए कहा कि इस बजट के बाद लगभग 2 करोड़ 85 लाख 885 लाख करोड़ का कर्ज हो गया है जिसमें से लगभग 30 हजार करोड़ रूपए का कर्ज इस वर्ष बढ गया है। ऐसे हर जन्म लेने वाला बच्चा आज लगभग एक लाख रूपए कर्ज लेकर पैदा हो रहा है। हरियाणा की भाजपा-जजपा सरकार की यही सबसे बड़ी उपलब्धि है जो इन्होने पिछले 8 सालों में प्राप्त की है।
कांग्रेसी नेता अशोक अरोड़ा ने कहा कि यह बजट किसी के विकास का बजट नही है बल्कि लोगों के दिखावे का बजट है। प्रदेश सरकार द्वारा 65 हजार नौकरियां देने का ढकोसला किया गया है। इसी प्रकार केंद्र सरकार द्वारा भी 2 करोड़ नौकरियां देने का झूठा वायदा किया है। यह सरकार युवाओं को नौकरी देने वाली नही अपितु बेरोजगार करने वाली सरकार है। इस सरकार से कोई भी आशा रखना व्यथ नजर आ रहा है। अरोड़ा ने कहा कि प्रदेश में आज ऐसी स्थिति हो चुकी है कि जो प्रदेश पहले रोजगार में पूरे देश में नंबर एक पर था आज वही हरियाणा बेरोजगारी में नंबर एक पर पहुंच चुका है। हर वर्ग परेशान हो रहा है। किसान, मजदूर व व्यापारी किसी भी वर्ग के लिए यह सरकार झूठी वाहवाही के सिवाए कुछ नही कर सकी।
अशोक अरोड़ा ने कहा कि सरकार में आने से पहले ये लोग कहते थे कि बुजुर्गो की पैंशन 5 हजार प्रति माह की जाएगी लेकिन सरकार ने बुजुर्गो के साथ भी मजाक करने का काम किया है। पांच हजार प्रति माह का वायदा कर मात्र 250 रूपए ही पैंशन को बढाया गया है। पूर्व मंत्री ने कहा कि आज प्रदेश की जनता का इस सरकार से मोह भंग हो चुका है। आने वाले विस चुनाव में प्रदेश की जनता इस सरकार को बाहर का रास्ता दिखाने का काम करेगी।
नगर परिषद चुनाव टालना चाहती है सरकार
अशोक अरोड़ा ने कहा कि नगर परिषद के चुनाव को सरकार टालना चाहती है। नियमों को दरकिनार कर वार्डबंदी की गई है और जब मामला कोर्ट में गया तो इनके द्वारा कोई जवाब नही दिया गया। इनको चाहिए था कि मजबूती से पैरवी करते हुए वार्डबंदी को ठीक किया जाए लेकिन इनके द्वारा म्युनिसिपल एक्ट की अवहेलना की जा रही है जोकि निंदनीय है।