Friday, November 22, 2024
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गीता निकेतन आवासीय विद्यालय में आचार्य दक्षता वर्ग का आयोजन

by Newz Dex
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न्यूज़ डेक्स संवाददाता

कुरुक्षेत्र। स्थानीय गीता निकेतन आवासीय विद्यालय में शिक्षकों के लिए आचार्य दक्षता वर्ग का आयोजन किया गया। प्रतिमास आयोजित होने वाले इस दक्षता वर्ग का मुख्य उद्देश्य आचार्यों को शिक्षण की नई गतिविधियों एवं तकनीकों में प्रशिक्षित करना है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भी विद्यालयों में सेवारत आचार्यों के लिए सतत् व्यावसायिक विकास 
(सी.पी.डी) पर विशेष बल देती है, जिसके अन्तर्गत सेवारत आचार्यों के लिए प्रतिवर्ष 50 घंटे प्रशिक्षण का प्रावधान है।आज के आचार्य दक्षता वर्ग का उद्घाटन विद्यालय के प्राचार्य श्री नारायण सिंह जी ने दीप प्रज्वलन के साथ किया।
संस्कृत आचार्य विकास शर्मा एवं अमित धीमान् ने प्रातः स्मरण एवं योगाभ्यास करवाया। श्री जनार्जन प्रसाद एवं नितेश कुमार ने गीत अभ्यास एवं वन्दना का संचालन किया। वन्दना सत्र के बाद श्रीमती सुदीपा ने एकल कविता प्रस्तुत की।गणित आचार्य श्री निखिल कपूर ने विविध प्रकार की बुद्धिमता विषय पर बोलते हुए कहा कि पढ़ाने से पहले हमें छात्रों के स्वभााव व प्रकृति को अच्छी प्रकार समझना होगा, क्योंकि प्रत्येक बालक के सीखने का क्रम और क्षमता भिन्न-भिन्न होती है, अतः हमें शिक्षण योजना में इतना लचीलापन रखना है

जिसमें प्रत्येक छात्र सुगमता से अधिगम कर सके। उन्होंने कहा कि विभिन्न गतिविधियों को ओर अधिक सुसज्जित एवं व्यवस्थित करना है, जिसमें प्रत्येक छात्र भाग ले सके। बौद्धिक सत्र के उपरान्त श्री अच्छरू कुमार एवं श्रीमती गीता अरोड़ा ने समताओं का अभ्यास करवाया और रोचक खेलों का संचालन किया। इसके बाद सभी आचार्यों ने छः भागों में विभक्त होकर स्मार्ट क्लास रूम, 21वीं सदी के कौशल, भारतीय ज्ञान परम्परा और पाठ्यक्रम, जीवन मूल्य युक्त शिक्षण एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति का क्रियान्वयन इत्यादि विषयों पर समूह चर्चा की।
सामूहिक भोजन के बाद समापन सत्र का आयोजन किया गया, सर्वप्रथम आचार्य दीपक ने रोचक कहानी सुनाई, इसके बाद सभी समूह प्रमुख आचार्यों ने समूह चर्चा सत्र का सार रूप में विवरण प्रस्तुत किया।सत्र के अन्तिम चरण में प्राचार्य श्री नारायण सिंह ने आज के दक्षता वर्ग के सभी सत्रों और गतिविधियों की समीक्षा करते हुए कहा कि बदलते समय के साथ आचार्यों को भी अपने शिक्षण के तरीके और शिक्षण योजनाओं में परिवर्तन करना पडे़गा, आज के समय में शिक्षक की भूमिका बढ़ गई है अतः हमें भी परिस्थिति के अनुरूप शिक्षण कार्य करना है।
कल्याण मंत्र से वर्ग सम्पन्न हुआ।

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