दो माह से कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के 10 गैर सरकारी सदस्यों का,अब 18 अप्रैल को मानद सचिव का कार्यकाल भी हो रहा है खत्म
केडीबी के मानद सचिव पद पर एक महिला के नाम पर मंगलवार तक लग सकती है मोहर,एक राजनेता के करीबी ने भरा दम
राजस्थान सीमा के निकट एक आश्रम में राजनेता और धर्मगुरु में हुई बैठक का बताया जा रहा है असर
चहेते उपलब्धियों सहारे और विरोधी पांच साल की खामियों और प्रकरणों के सहारे किश्ती डुबोने की तैयारी में
कुरुक्षेत्र,करनाल,कैथल,जींद पानीपत जिला के महाभारतकालीन तीर्थों के जीर्णोद्धार का जिम्मा है केडीबी के कंधों पर
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड (केडीबी) के मानद सचिव का कार्यकाल 18 अप्रैल 2023 को खत्म हो रहा है,जबकि बोर्ड के 10 मेंबरों का कार्यकाल फरवरी 2023 में दो माह पहले खत्म हो चुका है। केडीबी के 10 मेंबर कौन होंगे,यह चर्चा अब खटाई में जा चुकी है। इसका कारण है कि बोर्ड के मानद सचिव का कार्यकाल भी दो दिन बाद खत्म हो जाएगा। ऊपर से इसके दस दिन बाद केडीबी का आस्ट्रेलिया में मेगा उत्सव अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव शुरु होने जा रहा है। अब इस अंतरराष्ट्रीय उत्सव को केडीबी के नए मानद सचिव लीड करेंगे या पुराने मानद सचिव की योग्यताओं और उनके द्वारा किए गए कार्यों,तमाम उपलब्धियों के की वजह से उन्हें चौथी बार मौका देकर अवसर प्रदान किया जाएगा ? इस पर धर्मनगरी कुरुक्षेत्र ही नहीं,बल्कि महाभारतकालीन कुरुक्षेत्र के 48 कोस क्षेत्र में चर्चा है।
इस महाभारतकालीन कुरुक्षेत्र के 48 कोस क्षेत्र में हरियाणा के कुरुक्षेत्र,कैथल,करनाल,पानीपत और जींद जिले शामिल हैं।भाजपा की सरकार ने पिछले वर्षों में इन पांचों जिलों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए बोर्ड के सदस्यों की संख्या भले कुरुक्षेत्र में थानेसर विधानसभा क्षेत्र से अधिक रखी हो,मगर सबसे उससे साथ ही अन्य चार जिलों को भी नजरंदाज नहीं किया है। साल 2017 में पहली बार हरियाणा सरकार ने कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड में मानद सचिव का पद सृजित किया था,वहीं सदस्यों की संख्या भी बढ़ाई थी। इसी के साथ पहला मानद सचिव सीएम सिटी करनाल जिला के पुराने भाजपा कार्यकर्ता अशोक सुखीजा को बनाया गया था। उन्हें पहला कार्यकाल एक साल के लिए सौंपा गया था। केडीबी के पहले मानद सचिव अशोक सुखीजा के एक साल के कार्यकाल में भी कई अच्छे कार्य हुए। उन्हे कार्यकाल में दूसरा अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव आयोजित किया गया था। मगर कुछ विवादों के चलते सुखीजा का एक साल कार्यकाल समाप्त होते ही उन्हें दुबारा मौका नहीं मिला। सुखीजा के बाद 2018 में विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता एवं केडीबी के तत्कालीन सदस्य कुरुक्षेत्र निवासी मदन मोहन छाबड़ा को स्वामी ज्ञानानंद महाराज के आशीर्वाद से मानद सचिव की कमान सौंपी गई थी।इसके बाद उन्हें तीन बार एक्सटेंशन मिल चुकी है।
छाबड़ा पिछले पांच साल से लगातार कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद सचिव हैं।इस दौरान उनके खाते में कुछ विवाद और अनेक उपलब्धियां शामिल हैं। संघ के करीबी एक ग्रुप उन्हें अगले पांच साल के लिए मानद सचिव बनाने के पक्ष में हैं,ताकि बार बार एक्सटेंशन का झंझट खत्म हो और कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के चल रहे विकास कार्यों और गतिविधियों में किसी प्रकार की रूकावट पैदा ना हो। मगर एक कद्दावर राजनेता की मूंछ का सवाल बना केडीबी के मानद सचिव का पद मदन मोहन छाबड़ा को एक ओर एक्सटेंशन दिलाने का भगीरथ प्रयास कर रहे ग्रुप के आडे़ आ रहा है।चर्चा है कि पिछले प्लान में शह मात का खेल चला था और राजनेता मात खा गए थे,मगर इस बार यह राजनेता हरियाणा के ही एक अन्य धर्मगुरु के प्रयासों से केडीबी के मानद सचिव पर अपने चहेते को विराजमान करने की बिसात बिछा चुके हैं। शनिवार को राजस्थान सीमा के निकट एक आश्रम में इस विषय पर एक बैठक हो चुकी है।
एक राजनेता के करीबी ने तो एक महिला के मंगलवार तक नाम के खुलासे का दम भी भर दिया है। यानी इस बार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत करने वाले हरियाणा प्रांत में कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड में पहली बार महिला को मानद सचिव भी बना सकता है। महिला को बोर्ड का मानद सचिव बनाने की कवायद अगर सिरे चढ़ गई तो सवाल यह उठ रहा है कि 28 अप्रैल 2023 से कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड जो अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव आस्ट्रेलिया में आयोजित करने जा रहा है,उसमें बोर्ड के पुराने मानद सचिव प्रभावी भूमिका में होंगे या नए ? इसके अतिरिक्त केडीबी की बारीकी से जानकारी रखने वालों की राय यह है कि पिछले वर्षों में केडीबी में बेहतरीन कार्य हुए हैं।उसे अगर नजरंदाज कर नया प्रयोग किया गया और यह प्रयोग असफल हुआ तो इसका सबसे बड़ा असर ना केवल अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव जैसे कार्यक्रमों की रुपरेखा और प्रबंधों पर पड़ेगा,बल्कि कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड द्वारा पांच जिलों के तीर्थों पर चल रहे विकास कार्यों पर भी इसका असर पड़ सकता है। केडीबी के जानकार एक ही बात बोल रहे हैं कि बोर्ड का मानद सचिव जो भी मगर पुरुषार्थी हो और इस पद को लेकर जिन नामों को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है,उनमें पहला नाम मदन मोहन छाबड़ा का सामने आ रहा है,लेकिन छाबड़ा के नाम को खारिज करने वाले उनके कार्यकाल में हुए कुछ प्रकरणों का भी हवाला देते हैं।