Friday, November 22, 2024
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चिट्ठी ना कोई संदेश,छाती पर सांप लपेट,जाने कैसे वो उस देश चले गए…22 को आस्ट्रेलिया रवाना होगा पहला जत्था

by Newz Dex
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कह सकते हैं कि उनके बारे में सीने में जलन आंखों में तूफ़ान सा क्यों है, इस शहर में यह शख़्स परेशान सा क्यों है

केडीबी के गैर सरकारी सदस्य का तर्क जो दो दिन पहले कार्यकाल खत्म होने पर उन्हें अहम बैठक में शामिल होने से रखा गया था दूर

तो 10 दिन पहले मानद सचिव का कार्यकाल समाप्त होने के बाद कैसे अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में कौन से अधिकार से भागीदारी

न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र।
धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में पिछले कई दिनों से सरकार की एक चिट्ठी का इंतजार हो रहा है। बड़ी हसरत के साथ कई लोग इस चिट्ठी के आने की बाट जोह रहे हैं। कब यह चिट्ठी आए और इन्हें मनमाफिक जो चाहिए वो मिले। चिट्ठी 18 अप्रैल तक आ जानी चाहिए थी,मगर 20 अप्रैल भी जा चुकी है,मगर कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद सचिव और 10 गैर सरकारी सदस्यों को मनोनीत करने के आदेश वाली यह चिट्ठी अभी चंडीगढ़ से कुरुक्षेत्र तक नहीं पहुंची। अब इस चिट्ठी में अपने नाम ढूंढने वाले और कुछेक का नाम कटवाने की चाहत रखने वालों की मन्नत आज भी पूरी नहीं हुई। कुछ नए आदेशों में जातीय समीकरण साधना चाहते हैं,कुछेक पुराने ढर्रे पर नई चिट्ठी लिखवाकर मन मुताबिक हसरत पाले बैठे हैं,लेकिन इससे पहले जो हो रहा है वो कइयों को नागवार गुजर रहा है,क्योंकि आस्ट्रेलिया में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का आगाज 28 अप्रैल से होगा। इसके प्रबंधों और तमाम तरह की व्यवस्थाओं को लेकर एक जत्था दो दिन बाद भारत से रवाना होगा। इनमें टीस का केंद्र बिंदु बने मदन मोहन छाबड़ा भी शामिल हैं। केडीबी के जिन गैर सरकारी सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो चुका है,उनमें से कुछेक की यही टीस बाहर आ रही है।

इनका कहना है कि फरवरी 2023 में कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की एक अहम बैठक राजभवन चंडीगढ़ में हुई थी।इसमें हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय,हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल,डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ,थानेसर के विधायक सुभाष सुधा और केडीबी के अधिकारियों के अलावा मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा शामिल हुए थे। इस बैठक से महज दो दिन पहले कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के गैर सरकारी सदस्यों का कार्यकाल खत्म हुआ था। इसकी वजह से कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के सभी गैर सरकारी सदस्यों को इस अहम बैठक में शामिल नहीं किया गया था,जबकि उस समय तक नए सदस्य मनोनीत भी नहीं हुए थे। मजेदार बात यह रही कि इन गैर सरकारी सदस्यों को दो साल के कार्यकाल में एक बार भी इस तरह की बैठक का हिस्सा बनने का मौका ही नहीं मिला। अब इनमें से कुछ पूर्व सदस्यों को कहना है कि जब केडीबी के गैर सरकारी सदस्य दो दिन पहले कार्यकाल खत्म होने के कारण बैठक का हिस्सा नहीं बन सके तो मानद सचिव कार्यकाल 18 अप्रैल 2023 को खत्म होने के 10 दिन बाद भी अंतरराष्ट्रीय स्तर के गीता महोत्सव में सरकारी खर्च पर आस्ट्रेलिया कैसे भेजा रहा है,क्योंकि अभी तक सरकार द्वारा छाबड़ा को अगला मौका देते हुए एक्सटेंशन संबंधित आदेश जारी नहीं हुए है।

अगर आस्ट्रेलिया जाने से पहले उन्हें एक्सटेंशन दी जाती है तो ठीक होगा,लेकिन अगर नहीं दी जाती है तो दो माह पहले वाले फार्मूले को गलत करार दिया जा सकता है। सबसे ज्यादा भौहें उनकी तनी हुई है जो मानद सचिव का कार्यकाल समाप्ति से काफी पहले ही उनका पत्ता कटवाने के लिए बिसात बिछाकर बैठे हुए है। यह राजनेता पिछले दो वर्षों से अपने करीबी की केडीबी के मानद सचिव पद पर ताजपोशी चाहत पाले हुए हैं। पिछले कई दिनों से दावा हो रहा है कि इस बार राजनेता की चलेगी और सरकार की चिट्ठी में जो नाम सामने आएंगे, उसमें राजनेता का प्रभाव दिखेगा। हैरत की बात यह है कि अगर सरकार ने पहले से तय किया है कि छाबड़ा ही अगले मानद सचिव होंगे, तो इस संबंध में आदेश 18 अप्रैल तक भी जारी हो सकते थे।यदि इस बार बदलाव होना है तो नए मानद सचिव की नियुक्ति के साथ उन्हें आस्ट्रेलिया जैसे मेगा इवेंट में शामिल होने का मौका प्रदान करना चाहिए था। इसी के साथ केडीबी के जो नए गैर सरकारी सदस्य मनोनीत किए जाने हैं उनके नामों पर भी मुहर अब तक लगनी चाहिए थी,क्योंकि दो माह हो चुके हैं,लेकिन अभी तक इनके नाम भी फाइनल नहीं हुए है। जब यह सदस्य ना तो अहम बैठकों में बतौर सदस्य शामिल होकर कोई सुझाव दे सकते हैं और ना ही आस्ट्रेलिया जैसे मुख्य कार्यक्रमों में भागीदारी निभा सकते हैं तो उनकी उपयोगिता क्या है ? यह एक बड़ा सवाल है।

केडीबी के मानद सचिव और सदस्यों के नामों को लेकर चल रहे इस पशोपेश भरे परिदृश्य में फिल्म गमन के गीत और महान गजल गायक स्वर्गीय जगजीत सिंह की पंक्तियां काफी मेल खा रही है,क्योंकि कार्यकाल समाप्ति के बावजूद निशाने पर जो है वो 22 अप्रैल को पहले जत्थे में आस्ट्रेलिया जाने की तैयारियां पूरी कर चुके है और यहां कुछ के हालात देख कहा जा रहा है सीने में जलन आंखों में तूफ़ान सा क्यों है, इस शहर में यह शख़्स परेशान सा क्यों है,जबकि इनके करीबी यह गुनगुना रहे हैं कि …. चिट्ठी ना कोई संदेश,छाती पर सांप लपेट,जाने वो कैसे उस देश चले गए। पढ़ते रहे, पढ़ाते रहे न्यूज डेक्स समाचार

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