साकार के सामने बैठकर निराकार से बात करने का सामर्थ्य रखते थे धन्ना भगत: धनखड़
संतों में है पत्थर में ईश्वर को प्रकट करने का सामर्थ्य: धनखड़
हरियाणा में पहली बार सरकारी स्तर पर मनाया गया संत धन्ना भगत जयंती महोत्सव
न्यूज डेक्स हरियाणा
चंडीगढ़। भारतीय जनता पार्टी हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ ने कहा कि 608 साल पहले धन्ना भगत ने जो विचार दिए थे वो आज भी हम सभी के लिए महत्वपूर्ण है। भगत शिरोमणि धन्ना ने विश्वास के आधार पर पत्थर में ईश्वर को प्रकट कर भोजन करा दिया था। ऐसे ही करमाबाई ने पत्थर में ईश्वर को प्रकट कर खिचड़ी खिला दी। भगवान पत्थर में नहीं हैं, विश्वास में है। हम विश्वास करते हैं और जहां हम विश्वास करते हैं वहीं पत्थर में ईश्वर को प्रकट करने का सामर्थ्य रखते हैं। ये बातें रविवार को श्री धनखड़ ने कैथल के गांव धनौरी में आयोजित राज्य स्तरीय श्री धन्ना भगत जी की जयंती कार्यक्रम में सभा को संबोधित करते हुए कही। धन्ना भगत की जयंती पर मुख्य अतिथि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, मुख्यमंत्री मनोहर लाल के अलावा अन्य नेताओं ने भी अपने-अपने विचार रखें। इस मौके पर सांसद, विधायक, समाज सेवी और संत महात्मा भी उपस्थित थे।
मूर्ति के अस्तित्व पर बोलते हुए प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि हम मूर्ति को तो उतनी देर तक देखते हैं जब तक पूजा शुरू नहीं होती। पूजा शुरू होने के बाद हम मूर्ति को नहीं देखते बल्कि उस ईश्वर के निराकार रूप को देखते हैं। हम मूर्ति के सामने ऐसे ही बात करते हैं जैसे टेलीफोन पर करते हैं। टेलीफोन तो साकार है लेकिन रेंज निराकार में से जाती है, हजारों मील जाती है, ऐसे ही हम साकार और निराकार दोनों में ही यात्रा करते हैं। ऐसे धन्ना भगत साकार के सामने बैठकर निराकार से बात करते थे। संत मत और सनातन को साथ लेकर चलते थे, ये दोनों ही धाराएं भारत की हैं। धन्ना भगत की वाणी में संतों का जिक्र है, कबीर और नानक का जिक्र है। निराकार और साकार का अंतर वह नहीं देख पाता जो दूर तक नहीं देख पाता। इन धाराओं को साथ लेकर चलना भारत जानता है। विविधिता में एकता को भारत जानता है।
प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ ने कहा कि भारत संतों और ऋषि-मुनियों की भूमि है। हरियाणा गीता की भूमि है। कैथल सांख्य दर्शन के ऋषि कपिल की भूमि है, स्वामी विवेकानंद के दादा तोतापुरी की भूमि है और इस भूमि पर संत शिरोमणी धन्ना भगत की यह जयंती पर उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ का आना हमारे लिए गर्व की बात है। उन्होंने कहा गीता जयंती पर महामहिम राष्ट्रपति का आना और धन्ना भगत की जयंती पर उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ का आना जैसा नजारा भाजपा सरकार में ही देखने को मिल सकता है। हमारी सरकार में संत रविदास, भगवान वाल्मिकी, भगवान परशुराम की जयंती को मनते हम सभी ने देखा है। हमारी सरकार केवल राजनीतिक सभाएं ही नहीं करती, बल्कि संतो के संस्कार को लेकर लोगों के बीच जाने का काम करती है।
ऋषि-मुनियों की विचारधारा पर बोलते हुए प्रदेश अध्यक्ष धनखड़ ने कहा कि हमारे संतों ने कहा है कि जैसा ख्याल वैसा हाल, जैसी मति वैसी गति, जैसा सोचोगे वैसा ही जीवन होगा। अच्छे और उंचे विचारों से अच्छा जीवन होगा। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि भारत का कण-कण विश्वास से भरा हुआ है। कश्मीर से कन्या कुमारी तक, कामख्या देवी हो या फिर कुंभा देवी, वैष्णो देवी हो, चाहे भगवान रामेश्वरम हो, अमरनाथ हो, सोमनाथ हो, भगवान कृष्ण चाहे कुरूक्षेत्र में हो, द्वारका में द्वारकाधीश हो, जगन्नाथ पूरी में भगवान जगन्नाथ हो, इस पूरी धरती के कण-कण में ईश्वर विराजमान रहता है और उस ईश्वर को प्रकट करने का कोई सामर्थ्य रखता है तो भगत रखता है और भक्ति रखती है।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि हम देश भक्ति और संतों की भक्ति में विश्वास रखते हैं, इसलिए राम जन्मभूमि का मंदिर बनते हुए देख रहे हैं। बाबा विश्वनाथ मंदिर का उद्धार होते हुए देख रहे हैं। महाकाल का मंदिर का पुर्नउद्धार होते हुए देख रहे हैं। गीता जयंती का महोत्सव अंतर्राष्ट्रीय होता जा रहा है। संतों की वाणी इस भूमि पर फिर से गूंज रही है। यह सब भाजपा सरकार के कारण है जिसकी इस धरती और संस्कृति में आस्था है, विचारधारा में आस्था है। महानायकों को याद करते हुए श्री धनखड़ ने कहा कि आज हम नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा को इंडिया गेट पर देख रहे हैं। भूला दिए गए महानायकों को याद कर रहे हैं, महापुरूषों और संतों की जयंतियां मना रहे हैं ये सब कार्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सरकार में ही संभव है।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि गीता में भी भगवान श्रीकृष्ण ने सभी प्रकार के योग का जिक्र किया है। चाहे कर्म योग से आ जाओ या ज्ञान योग या फिर सांख्य योग से आ जाओ किसी भी रास्ते से आओगे तो मेरे तक ही आओगे। यह आजादी भारत देता है। इसके अलावा दुनिया की किसी भी भूमि पर यह आजादी नहीं है। हमारे ऋषि मुनियों ने किसी पुस्तक से नहीं बांधा। यह नहीं कहा यह रामायण आखिरी किताब है, यह नहीं कहा गीता आखिरी किताब है, बल्कि यह कहा कि अपने ज्ञान को आगे बढ़ाओ और अपनी आत्मा के प्रकाश में बढ़ते चले जाओ।