न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। हरियाणा कला परिषद द्वारा कला कीर्ति भवन की भरतमुनि रंगशाला में नाटक भगवान बिरसा मुण्डा का मंचन किया गया। संजय भसीन के निर्देशन तथा विकास शर्मा के सहनिर्देशन में मंचित नाटक के दौरान हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल बतौर मुख्यअतिथि पहुंचे। वहीं विशिष्ट अतिथि के रुप में हरियाणा के भाजपा प्रभारी विप्लव देव उपस्थित रहे। झारखण्ड के आदिवासी समुदाय के भगवान कहे जाने वाले बिरसा मुण्डा के जीवन पर आधारित नाटक भगवान बिरसा मुण्डा में बिरसा की जीवन यात्रा को प्रस्तुत किया। लाईट एण्ड सांउड के माध्यम से कलाकारों ने बिरसा मुण्डा के जीवन चरित्र को बखूबी दिखाया।
इस मौके पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सभी को सम्बोंधित करते हुए कहा कि कला से जीवन में रस आता है। कलाकार अपनी प्रस्तुति के माध्यम से न केवल इतिहास को जिंदा करते हैं, बल्कि समाज को आईना दिखाने का भी प्रयास करते हैं। कलाकारों की प्रतिभा के माध्यम से ही किसी भी प्रदेश की संस्कृति जिंदा रह सकती है। इसी प्रकार नाटक बिरसा मुण्डा के माध्यम से आदिवासी जननायक बिरसा का जीवन चरित्र सभी को सनातन धर्म की राह पर चलने की प्रेरणा देता है। स्थानीय कलाकारों द्वारा अपने अभिनय कौशल के माध्यम से बिरसा के जीवन वृतांत को प्रस्तुत करना सराहनीय कदम है। वहीं हरियाणा भाजपा प्रभारी विपल्व देव ने भी अपने सम्बोंधन में नाटक की सराहना करते हुए कहा कि बिरसा मुण्डा के कहानियों को पढने के बाद जींवत नाटक मंचन के माध्यम से बिरसा को जानना एक अलग ही स्फूर्ति पैदा करता है। बिरसा का जीवन सभी के लिए प्रेरणादायक है। बिरसा के जीवन हमें जीने की नई राह देता है। मंच का संचालन डा. मोहित गुप्ता ने किया।
नाटक में दिखाया गया कि झारखण्ड के उलिहातु में मुण्डा परिवार में बिरसा का जन्म होता है। लेकिन घर की हालत अच्छी न होने के कारण जन्म के बाद बिरसा अपने मामा के गांव चले जाते हैं। जहां बिरसा ईसाई धर्म प्रचारकों के संपर्क में आ जाते हैं। लेकिन ईसाई धर्म प्रचारकों द्वारा मुण्डा समुदाय को जबरन ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के कारण बिरसा नाराज हो जाते हैं और ईसाई धर्म त्याग देते हैं। इस बीच बिरसा के परिवार की स्थिति और खराब होनी शुरु हो जाती है, जिसके कारण बिरसा माता-पिता से दूर कंदेर गांव जाकर नौकरी कर लेता है। इसी दौरान बिरसा की भेंट आनंद पण्डा से होती है, जो हिंदू धर्म के बारे में जानकारी देते हैं। बिरसा अपने गांव वापिस आकर मुण्डा समुदाय को हिंदू संस्कृति के प्रति जागरुक करता है और ईसाईयों तथा अंग्रेजो के खिलाफ उलगुलान क्रांति का बिगुल बजा देता है। इससे ब्रिटिश कम्पनी घबरा जाती है और मुण्डा सहित उसके साथियों को गिरफतार कर लेती है। कुछ समय बाद बिरसा और उसके साथियों को रिहा कर दिया जाता है। तब बिरसा डोम्बारी पर्वत पर डेरा डालकर अंग्रेजो के खिलाफ उलगुलान जारी रखता है। तब मुण्डा समुदाय से ही मुखबरी किए जाने के कारण अंग्रेजो द्वारा बिरसा को दोबारा पकड़ लिया जाता है और रांची जेल में डाल दिया जाता है। जहां बिरसा की मौत हो जाती है।
नाटक में राजीव कुमार, गौरव दीपक जांगड़ा, निकिता कौशिक, ज्योति बांकुरा, तुषार, पार्थ शर्मा, सुशील कुमार अभिनव, जतिन, साहिल खान, चंचल शर्मा, विशाल शर्मा, निखिल पारचा, लवी, सुनैना, लोकेश, विशाल ठाकुर, रजनीश भनौट, लालचंद ने भूमिका अदा की। अंत में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कलाकारों को स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया। हरियाणा कला परिषद की ओर से संजय भसीन ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल तथा विशिष्ट अतिथि विप्लव देव को अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह भेंटकर आभार जताया। इस अवसर पर थानेसर विधायक सुभाष सुधा, हरियाणा कला परिषद के अतिरिक्त निदेशक एवं ओएसडी गजेंद्र फौगाट, अतिरिक्त निदेशक नागेंद्र शर्मा, मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार भारत भूषण भारती, डा. पवन सैनी, रामेंद्र सिह सहित गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।