चुनावी राज्य कर्नाटक में व्यय निगरानी के दौरान बरामदगी में 4.5 गुना की वृद्धि हुई
आदर्श आचार संहिता लगने के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने 288 करोड़ रुपये के मूल्य की संपत्ति कुर्क की
राज्य में 146 व्यय पर्यवेक्षकों को कड़ी चौकसी और निगरानी के लिए प्रतिनियुक्त किया गया; 81 विधानसभा क्षेत्रों को व्यय संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्रों के रूप में चिह्नित किया गया है
न्यूज डेक्स इंडिया
दिल्ली। भारत निर्वाचन आयोग ने पिछले कुछ चुनावों से “प्रलोभन-मुक्त” चुनावों पर जोर दिया है और इसी क्रम को जारी रखते हुए आयोग द्वारा चुनावी राज्य कर्नाटक में लगातार व्यय पर निगरानी रखी गई। राज्य में इस बार रिकॉर्ड बरामदगी की गई और 2018 में हुए विधानसभा चुनाव की तुलना में इसमें 4.5 गुना की वृद्धि हुई दर्ज की गई। कड़ी और व्यापक निगरानी, पड़ोसी राज्यों के साथ तालमेल और अंतर-एजेंसी के समन्वय के माध्यम से कर्नाटक में पैसे के प्रवाह और वितरण की पर निगरानी रखी गई।
मार्च के दूसरे सप्ताह में कर्नाटक की यात्रा के दौरान, आयोग ने तैयारियों की विस्तृत समीक्षा की। इस दौरान आयोग ने केंद्र और राज्य दोनों की प्रवर्तन एजेंसियों के समन्वित कामकाज की व्यापक समीक्षा की। आयोग ने राज्य के जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों के साथ भी विस्तृत समीक्षा बैठक की थी। कर्नाटक विधानसभा चुनाव, 2023 के कार्यक्रम की घोषणा करते समय मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने चुनावी प्रक्रिया के दौरान धन-बल के इस्तेमाल पर कड़ी निगरानी रखने और जीरो टॉलरेंस की नीति पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आयोग ने प्रलोभन मुक्त चुनाव सुनिश्चित करने के लिए अहम कदम उठाए हैं जिनकी झलक हाल ही में पांच राज्यों में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के दौरान देखने को मिली, जब बरामदगी में वृद्धि देखी गई।
आयोग द्वारा उठाए गए कदमों के परिणामस्वरूप, आदर्श आचार संहिता लागू होने की अवधि के दौरान रिकार्ड 375.61 करोड़ रुपये की बरामदगी हुई जो 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान हुई बरामदगी की तुलना में 4.5 गुना अधिक है। इसके अतिरिक्त, मार्च, 2023 के दूसरे सप्ताह में निर्वाचन आयोग के दौरे की तारीख से चुनाव की घोषणा की तारीख तक विभिन्न प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा 83.78 रुपये की बरामदगी की गई। आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने भी 288 करोड़ रुपये की संपत्ति भी कुर्क की है।
अभी तक जो बरामदगी की गई है उसमें, कोलार जिले के बंगारापेट विधानसभा में 4.04 करोड़ रुपये की नकदी की जब्ती, हैदराबाद में अवैध रूप से अल्प्रोजोलम बनाने वाली लैब पर खुफिया विभाग की छापेमारी और एनसीबी द्वारा की गई ट्रेल मैपिंग; बीदर जिले में 100 किलो गांजे की जब्ती तथा सभी जिलों से भारी मात्रा में शराब की बरामदगी शामिल है। इसके अलावा, भारी मात्रा में नि:शुल्क उपहारों की भी बारामदगी की गई। कलबुर्गी, चिमंगलूर और अन्य जिलों से साड़ियां तथा खाने के किट जब्त किए गए हैं। बैलहोंगल और कुनिगल तथा अन्य विधानसभा क्षेत्रों से बड़ी संख्या में प्रेशर कुकर और रसोई के उपकरण भी जब्त किए गए।
चुनाव की घोषणा से कई महीने पहले ही व्यापक निगरानी प्रक्रिया शुरू की गई। इसमें प्रवर्तन एजेंसियों, डीईओ/एसपी सहित विभिन्न हितधारकों की तैयारियों की गहन समीक्षा, व्यय पर्यवेक्षकों के रूप में अनुभवी अधिकारियों की नियुक्ति, संवेदीकरण और अंतर-एजेंसी समन्वय तथा निगरानी और क्षेत्र स्तरीय टीमों की पर्याप्त उपलब्धता जैसी गतिविधियों शामिल रहीं। कड़ी निगरानी के लिए 146 व्यय पर्यवेक्षक तैनात किए गए और 81 विधानसभा क्षेत्रों को व्यय संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्रों के रूप में चिह्नित किया गया था।
आयोग ने 1 मई, 2023 को कर्नाटक और इससे सटे पड़ोसी राज्यों- महाराष्ट्र, गोवा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल तथा तमिलनाडु से लगी सीमा चौकियों के माध्यम से कानून-व्यवस्था और अंतर-राज्यीय चौकसी की समीक्षा की। सभी सीमावर्ती राज्यों के सचिव, डीजीपी, आबकारी आयुक्त और प्रमुख प्रवर्तन एजेंसियों के क्षेत्रीय प्रमुखों ने इसमें हिस्सा लिया। इस अवसर पर मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने सीमावर्ती जिलों में, विशेष रूप से 185 चेक पोस्टों की उचित प्रबंधन और निगरानी पर जोर दिया। समीक्षा बैठक में चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय ने अवैध शराब बरामदगी में सुधार की गुंजाइश, माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई, शराब के भंडारण को रोकने पर भी जोर दिया था। चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वो जनता को परेशान किए बिना सतर्कता से कड़ी कार्रवाई करें और बरामदगी को सुनिश्चित करें। इस तरह की सीमा चौकियों से 70 करोड़ रुपये मूल्य से अधिक की नकदी, शराब, ड्रग्स, कीमती धातुओं और निशुल्क उपहारों की बरामदगी की गई।
प्रवर्तन एजेंसियां निवारक गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल रही हैं। राज्य पुलिस, आयकर, वाणिज्यिक कर, प्रवर्तन निदेशालय, आरपीएफ, जीआरपी, सीआईएसएफ, एनसीबी, और डीआरआई सहित सभी हितधारक एजेंसियों द्वारा बरामदगी और कुर्की की गई। प्रवर्तन गतिविधियों में न केवल एजेंसियां शामिल रहीं बल्कि कुछ संस्थाएं भा धन-बल मुक्त और नैतिक चुनाव कराने के लिए लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के प्रयास में शामिल रहीं।