शाखाओं में छोटे-छोटे तालाब बनाकर किया जाएगा पानी एकत्रित, शाखाओं के किनारे फलदार पौधों की नर्सरियां होंगी तैयार
पानी एकत्रित करने से बरसात के सीजन के उपरांत भी पशु-पक्षियों को मिलेगा पानी, जंगल को हरा-भरा कर पर्यटन की दृष्टि से किया जाएगा विकसित
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच ने कहा कि स्योंसर जंगल में स्थित सभी शाखाओं में पानी की धारा को प्रवाहित करने का काम किया जाएगा। यह जंगल करीब 11 हजार एकड़ में फैला हुआ है और इस जंगल में कुछ प्राकृतिक नदियां चलती है, अब इन नदियों को सरस्वती चैनल के पानी से सींचा जाएगा ताकि स्योंसर जंगल के पशु-पक्षियों को बरसाती सीजन के बाद भी पानी मिल सके।
उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच रविवार को सरस्वती स्योंसर जंगल का दौरा करने के दौरान बातचीत कर रहे थे। इससे पहले उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच ने अधिकारियों के साथ मिलकर स्योंसर जंगल का निरीक्षण किया। उपाध्यक्ष ने कहा कि स्योंसर जंगल में स्थित नदियों की शाखाएं सतोड़ा के नाम से संतपुरा, मांगना, बीड़ बोसान, पहाड़पुर आदि जो कि लगभग 22-23 किलोमीटर क्षेत्र को कवर करती है। इन शाखाओं में छोटे-छोटे तालाब बनाकर बरसाती पानी को रोका जाएगा ताकि वह पानी लंबे समय तक रुका रहे। बरसात के मौसम के उपरांत जंगल में रहने वाले जीव-जंतुओं के लिए पानी की काफी कमी हो जाती है। पिहोवा से आगे सरस्वती चैनल में काफी पानी आता है, इस पानी का इस्तेमाल जंगल में रहने वाले पशु-पक्षियों के पीने और जंगल को हरा-भरा रखने में किया जा सकता है।
उन्होंने फोरेस्ट विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि सरस्वती की इन शाखाओं में पानी पहुंचाने के साथ-साथ इन शाखाओं के तटों पर छोटी-छोटी नए पौधों की फलदार नर्सियां तैयार की जाए ताकि जंगल में फलदार पौधे लगाए जा सके और पौधों पर लगने वाले फलों से जंगल के पशु-पक्षी अपना पेट भर सके। इस योजना को लेकर काफी समय से काम किया जा रहा था। इस योजना के क्रियान्वयन होने से ना केवल पशु-पक्षियों को फायदा होगा बल्कि जंगल की हरियाली भी बढ़ेगी तथा मुख्यमंत्री मनोहर लाल की इस जंगल में सफारी चलाने की योजना पर भी आगे बढ़ा जा सकेगा। मुख्यमंत्री का उद्देश्य है कि इस जंगल को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाए ताकि पर्यटक इस जंगल की तरफ आकर्षित हो सके। जंगल की नदियों की शाखाओं में पानी आने से किसानों को भी फायदा होगा, क्योंकि पानी को रोकने से व्यर्थ में बहने वाला पानी रिचार्जिंग के माध्यम से भूजल में जाएगा और इससे ड्राई एरिया को भी कम किया जा सकेगा। इस मौके पर सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के एससी अरविंद कौशिक, सलाहकार जीएस गौतम, रिसर्च अधिकारी डा. दीपा, फोरेस्ट रेंजर अजय कुमार नैन सहित राजस्व विभाग के पटवारी आदि मौजूद थे।