परिवर्तन यात्रा विशेष
न्यूज डेक्स संवाददाता
चंडीगढ़। अभय सिंह चौटाला को राजनीति के बदलते रंग को दर्शाने और इस दिशा में वास्तविक रूप से कदम उठाने में जहां समय तो लगा है वहीं, दूसरी तरफ उनके पास अपना एक करिश्मा भी है कि वो है कड़क लहजे वाले अच्छे वक्ता का।विशेषकर कड़वी घूंट और सच्चाई सहन करने वाले लोगों को अभय का साफगोई से भरा भाषण आकर्षित कर लेता हैं। इनकी ‘हरियाणा परिवर्तन पदयात्रा आपके द्वार’ को लोग पसंद भी कर रहे हैं, पदयात्रा में लोगों का जज्बा भी दिख रहा है। पदयात्रा को लेकर जहां देशभर के नेता सुथरे तर्क देते हैं वहीं कई थके-हारे और विफल नेता कुतर्क भी दे रहे हैं। ये वो नेता हैं जो प्रदेश में मुंह छुपाए फिरते हैं और जनता को देखते ही पतली गली से सरक लेते हैं।
दरअसल, इन लुटे-पिटे नेताओं के परामर्शदाता इन से ऊब चुके हैं, इन नेताओं के सलाहकार/हितैषी इनके सामने बेदम जानकारी का रायता फैला देते हैं। ऐसे नेताओं का प्रदेश की जनता पर जो थोड़ा-बहुत प्रभाव था, वो भी खो चुके हैं। कहावत है- ‘नई-नई जुत्ती मडक़ती बहुत है लेकिन बाद में टॉय-टॉय फुस्स भी हो जाती है।’ अपनी भूल और नाकामी स्वीकारने के बजाय ये अब दूसरों के संगठन की मजबूती और बढ़ते जनाधार पर गाहेबेगाहे ऊंगली उठा रहे हैं।
आज देश का मतदाता अपने चाह्वान नेता में घमण्ड और पाखण्ड पसंद नहीं करता, झांसेबाजों के बहकावे में नहीं आता। दरअसल, पिछले दिनों प्रदेश सरकार के एक मंत्री को उन्हीं के सलाहकार ने बरगला दिया कि ‘अभय चौटाला’ गाडिय़ों में यात्रा कर रहे हैं न कि ‘पदयात्रा’। तो फिर… अभय के पांवों के वो छाले, अंगूठे का ऑपरेशन, डॉक्टरी इलाज…, प्रतिदिन समाचार-पत्रों में पदयात्रा की तस्वीरें, सोशल मीडिया पर वीडियोज आदि-आदि, ये सब क्या है?
पदयात्रा के दौरान एक ताऊ ने इन कुतर्की नेताओं को कुछ इस तरीके से छोटी सी कहानी सुनाकर आड़े हाथों लिया…
‘जब कोई हाथी गांव में आता है तो गांव के वयोवृद्ध श्रद्धालु हाथ जोडक़र खड़े हो जाते हैं, सभी महिलाएं-बच्चे बतियाते हैं ‘हाथ जोड़ो…, गणेश जी हैं’। शायद ही कोई ऐसा पशु है जिसके इतने हाथ जोड़े जाते हों। वैसे हम सभी ने देखा भी है कि सबसे ज्यादा हाथ ‘हाथी’ को ही जोड़े जाते हैं और विडंबना ये भी है कि जितने भौंकने वाले इसके पीछे पड़ते हैं शायद ही किसी के पीछे पड़ते हों। ये भी जगजाहिर है कि जिसकी ‘स्तुति’ होती है, ‘निंदा’ भी उसी की ही होती है। जिसके साथ लोग हाथ जोड़े खड़े होंगे, भौंकने वाले भी तो उसी के पीछे पड़े होंगे।
हास्यास्पद, भला इन भौंकने वालों को हाथी से क्या तकलीफ है, क्यों भौंकते हैं? ये हमारी भाषा को समझते तो हम ये बात उनसे जरूर पूछते, और ये एक ही उत्तर देते कि हमें हाथी से कोई तकलीफ नहीं, इसके आगे जो लोग हाथ जोड़े खड़े हैं, बस हमें तो ये बर्दास्त नहीं हो रहे। विडंबना ये भी है कि इनमें हाथी के आगे आकर भौंकने की भी हिम्मत नहीं और ये पीछे पड़ कर भौंकना बंद करते नहीं। पर हां, इस सबके बाद भी हाथी अपनी चाल में मस्त रहता है और वो भौंकने वालों की तरफ मुडक़र देखता तक नहीं। हम बचपन से ही ये सब देखते आ रहे हैं कि ‘हाथ जोड़े लोग खड़े हैं और भौंकने वाले पीछे पड़े हैं’ लेकिन जनमानस का चाह्वान व्यक्ति भगवान के भरोसे जनमानस के साथ लगातार आगे बढ़ता जाता है।’
आज अभय चौटाला को प्रदेश के मतदाताओं की सहानुभूति मिल रही है क्योंकि वो भाईचारा और समाज को तोडऩे जैसे बयानों से गुरेज करते हैं, किसी का अपमान करने और अपमान होने से बचते हैं, शब्दों के चयन को लेकर सतर्क रहते हैं। सख्त वक्त में इन्हें छोडक़र जाने वाले कई तो मन ही मन इनकी ‘पदयात्रा’ की खूब चर्चा भी करते हैं, पदयात्रा में आने को भी लालायित हैं। अभय का ये परिश्रम एक दिन इन सबको इनेलो में मोड़ लाने का भी जुनून रखता है। उनकी यह ‘परिवर्तन पदयात्रा’ निश्चित ही प्रदेशवासियों को साथ जोड़ने में सफल होगी।
इस पदयात्रा के दौरान प्रदेश की 8 वर्षों वाली भाजपा सरकार की बेकायदगियों और कांग्रेस के शासनकाल वाले साढे नौ वर्षों के भ्रष्टाचार और घोटालों को लेकर जनता को ज्ञात करवाया जा रहा है। प्रदेश की गठबंधन सरकार ने कितनी घोषणाएं की, अखबारों में कितने विज्ञापन दिए और क्या उसका फायदा प्रदेशवासियों को हुआ? आज प्रदेश में बेरोजगारी दर करीब 37.4 प्रतिशत है, केंद्र सरकार की एक एजेंसी के अनुसार, आज कानून व्यवस्था को लेकर सबसे खराब हालात हरियाणा प्रदेश के हैं। इस दौरान चौधरी देवी लाल के समय में बने ‘लोकदल’ से लेकर वर्तमान में ‘इनेलो’ पार्टी द्वारा समय-समय पर किए गए संघर्ष और जनहितैषी आंदोलनों से लोगों को ज्ञात करवाया जा रहा है।
जैसे चौधरी देवी लाल द्वारा प्रदेश में न्याययुद्ध चलाने के बाद उन्हें ‘जननायक’ का नाम दिया गया था उसी तरह ‘एसवाईएल’ (सतलुज यमुना लिंक) नहर से हरियाणा प्रदेश के हिस्से का पानी लेने के लिए गिरफ्तारी देने के बाद अभय चौटाला को प्रदेशवासियों द्वारा ‘जलनायक’ का दर्जा दिया गया है। एसवाईएल के पानी के लिए इन्होंने पूरे प्रदेश में लम्बा संघर्ष किया है। 23 फरवरी, 2017 को हरियाणा-पंजाब सीमा पर अम्बाला के निकट शंभू बैरियर पर अभय ने नहर की खुदाई का जी-तोड़ प्रयास किया था तब उन्हें पंजाब पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था, इस दौरान उन्हें सप्ताहभर पटियाला जेल में भी रहना पड़ा था। बस, यहीं से उन्हें स्वयं को देशभर में एक परिपक्व और प्रदेश के हितों के लिए मजबूत नेता स्थापित कर लिया था।