Friday, November 22, 2024
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चकल्लसः कितना अभागा हूं मैं,जन्म पर बधाई नहीं और परलोक सिधारा तो श्रद्धांजलि की बहारः नोट दो हजार

by Newz Dex
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जब देश की जनता के हाथ में आया तो महसूस हुआ… निगाहों को इंतजार है,बस तेरा की कब तू सामने आए और भी दीदारे यार हो जाए

तब सभी मुझे दबोच कर रखना चाहते थे,मगर देना कोई नहीं चाहता था,मेरे नजदीकी रिश्तेदार कैशलेस ने मुझे जनजन तक पहुंचाया

ठीक वैसे जैसे भगवान कृष्ण अपनी 16 हजार 108 रानियों तक पहुंच जाया करते थे,उनके लिए उपलब्ध रहते थे

नोट दो हजार बोला, मरदुआ करण जौहर,मेरे जन्म वर्ष-2016 में तूने रिलीज फिल्म में क्यों डाला था ये गीत

अच्छा चलता हूं, दुआओं में याद रखना, मेरे ज़िक्र का, ज़ुबां पे स्वाद रखना…और इस गीत अगली पंक्ति में कुछ संदूकों का भी जिक्र था

मेरे जन्मदाताओं और मुझे भी अपनी विशेषताओं का इतना नहीं पता रहा,जितना मेरे देश के मीडिया को पता था

कस्तूरी हिरण की तरह ताउम्र मैं खोजता रहा हो वो चिप जो मेरे में घुसी हुई थी

न्यूज डेक्स संवाददाता

(newzdex@gmail.com)

चंडीगढ़।सच में अभागा हूं मैं। आठ नवंबर 2016 को सिस्टम के गर्भ में मेरा अंकुर फूटा। पैदा होने से पहले अभिभावकों ने मेरा नाम दो हजार का नोट तय किया था। तब उस दौर में देश की जनता को बड़ी शिद्दत से मेरी डिलीवरी का इंतजार था। इन्हीं लम्हों में मेरी डिलीवरी हुई। देश-दुनिया के सामने मेरा सुंदर गुलाबी स्वरूप आया। मुझे हाथ में लेने को हर कोई ललायित था। मेरी चाहत में पहले से ही बैंकों के बाहर लंबी लंबी कतारें लगी थी।तब जिसके भी हाथों में मैं पहली बार आया तो इनमें से कइयों ने मेरा प्यारा चुंबन भी लिया।

इतना प्यार करने वालों की नजर में यकायक मुझे भी यह महसूस हो रहा था कि जैसे वो कह रहीं हों कि इन निगाहों को इंतजार था,बस तेरा कि कब तू सामने आए और भी दीदारे यार हो जाए। मगर मलाल यह है कि जन्म पर यह सब कुछ तो हुआ,मगर बधाई किसी ने नहीं दी। आभास मुझे भी होने लगा था,क्योंकि मुझे पाने की चाहत तो सबमें थी,मगर मेरे पदार्पण की बधाई किसी के फूटे मुंह से नहीं फूटी। दरअसल सब मुझे दबोच कर रखना चाहते थे,मगर ज्यादा चलन और खुली हवा में भेजना कोई नहीं चाहता था। उसकी वजह था मेरा एक नजदीकी रिश्तेदार कैशलेस। पता नहीं इस कैशलेस के जरिए मैं कैसे दूसरे तक पहुंच जाती।ठीक वैसे जैसे भगवान कृष्ण अपनी 16 हजार 108 रानियों तक पहुंच जाया करते थे, नके लिए उपलब्ध रहते थे।मैं भी यहां से वहां तरह तरह के नामों वाली एप और कैशलेस सुविधा के जरिए मुंह छुपाकर पहुंच जाता। अगर यूं कहूं कि मेरा अस्तित्व था भी नहीं भी।

मेरे अभिभावकों और मुझसे ज्यादा मेरी खूबियां मेरे देश के महान मीडिया को पता थी। मेरे देश के खोजी,तेज तर्रार,जागरूक और हर कदम पर नंबर रहने वाले मीडिया ने मेरा यशगान किया। मेरी तमाम विशेषताएं बारीकी से बताईं और समझाई।जिसे सुनकर मुझे भी लगता कि क्या मैं इतनी उपलब्धियों से लबरेज हूं। और मेरे साथ साथ मेरे अभिभावकों ने भी मीडिया के तथ्यों को जानकर दांतों तले कई बार अंगुली दबाई,फिर अपने आपसे पूछा कि यह नैनो चिप कहां घुसी हुई है,मगर अंत समय तक हमें यह नजर नहीं आई। ठीक कस्तूरी हिरण की तरह,जैसे वो अपने अंदर घुसी कस्तूरी की गांठ को ताउम्र देख नहीं पाता,ठीक वैसे मुझे भी ताउम्र नजर नहीं आई यह नेनो चिप।मगर मलाल अब ये है कि कस्तूरी हिरण की गांठ तो मिल भी जाती है,मगर मेरे अंदर घुसी यह नेनो चिप अभी भी नदारद है।

यही कारण है कि आरबीआई के नये फरमान के बाद सात वर्ष की अल्पायु में मेरे निधन के बाद मेरी और मेरे अभिभावकों की पीड़ा किसी को नजर नहीं आ रही। मेरे स्वर्गवास पर अजब गजब सोशल मीडिया पर पोस्ट सबको नजर आ रहीं हैं। सोशल मीडिया पर तरह तरह के मीम तैर रहे है, खूब श्रद्धांजलियां दी रही है,मगर पूछता है भारत यह सब लोग मेरे जन्म और जन्मदिन की बधाई देने के समय कहां गायब थे,तब गुमसुम क्यों रहे ? राकेश रोशन की फिल्म करण अर्जुन जैसी मेरी मां भी नहीं है,जो गली गली घूम कर यह कह दे कि मेरा दो हजार को नोट आएगा,एक दिन मेरा दो हजार का नोट जरुर आएगा…

नाश हो इन जमाखोरों और भ्रष्टाचारियों का,जिनकी बदौलत मुझे सितंबर 2023 तक हलाल करके देश पर कुर्बान करने का फरमान जारी किया।अरे जमाखोरों और भ्रष्टाचारियों मेरे लिए दुविधा यह भी है कि मैं तो तुम्हें ज्यादा कोस भी नहीं सकता,क्योंकि तुम ही तो थे,जिनकी बदौलत से मेरा जन्म हुआ था। तुम पर ही तो लगाम लगाने के लिए मेरा जन्म हुआ था,मगर अब तुम्हारी ही बदौलत मुझे हलाल किया जा रहा है।दरअसल मेरी पैदाइश के नक्षत्र ही ठीक नहीं थे, क्योंकि मेरे जन्म वर्ष- 2016 में ही धर्मा प्रोडक्शन वाला मरदुआ करण जौहर अपनी फिल्म ए दिल मुश्किल में लेकर आया था।इस फिल्म में करण ने जो गीत डाला था,दुर्भाग्यवश वही मुझे जाते जाते गाना पड़ रहा। याद है ना वो गाना अच्छा चलता हूं, दुआओं में याद रखना, मेरे ज़िक्र का, ज़ुबां पे स्वाद रखना…और इस गीत अगली पंक्ति में कुछ संदूकों का भी जिक्र था। अब यह ना कहना कि पूरा गीत सुनाओ सूली चढ़ने से पहले। आप अपनी म्यूजिक क्लेक्शन खोलो और उसे सुरीली आवाज में सुनो। बाय बाय नोट 2000

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