न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र,6 नवंबर। कॉस्मिक एस्ट्रो के डॉयरेक्टर व श्री दुर्गा देवी मन्दिर पिपली (कुरुक्षेत्र ) के अध्यक्ष ज्योतिष व वास्तु विशेषज्ञ डॉ. सुरेश मिश्रा ने बताया कि संतान के अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए कार्तिक मास की अष्टमी को माताएं अहोई अष्टमी का व्रत रखती हैं।
इस बार यह व्रत 8 नवम्बर 2020 रविवार को सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि पुष्य योग के साथ है जो कि शुभकारी व श्रेष्ठ फलदायक है। इस दिन माताएं निर्जला व्रत रखती हैं और रात्रि को तारों को देखकर व्रत को खोलती हैं। शाम को स्याहु माता की पूजा की जाती है।कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष अष्टमी को अहोई माता का व्रत रखा जाता है। इस दिन अहोई माता के साथ भगवान शिव और माँ पार्वती की पूजा की जाती है।
अहोई व्रत रखकर माताएं अपनी संतान की रक्षा और दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं। अहोई के दिन विशेष पूजा अर्चना करने से संतान की उन्नति और कल्याण होगा । इस दिन चांदी की अहोई बनाकर उसकी पूजा करने का विधान है। अहोई में चांदी के मनके भी डाले जाते हैं और हर व्रत में इनकी एक संख्या बढ़ाते जाते हैं।
अहोई अष्टमी का शुभ मुहूर्त-
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 8 नवंबर को सुबह 7 बजकर 30 मिनट I
अष्टमी तिथि समाप्त: 9 नवंबर को सुबह 6 बजकर 50 मिनट पर I
पूजा करने का शुभ चौघड़िया मुहूर्त: सायं 5 बजकर 29 मिनट से 7 बजकर 9 मिनट तक । अमृत चौघड़िया : सायं 7 बजकर 9 मिनट से 8 बजकर 48 मिनट तक । चर चौघड़िया: रात्रि 8 बजकर 48 मिनट से 10 बजकर 27 मिनट तक I
अहोई अष्टमी पूजा विधि :
1.सुबह के समय जल्दी उठकर स्नान आदि कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. घर के मंदिर की दीवार पर गेरू और चावल से अहोई माता यानी मां पार्वती और स्याहु व उसके सात पुत्रों का चित्र बनाएं।
3.पूजा के लिए आप चाहें तो बाजार में मिलने वाले पोस्टर का भी इस्तेमाल कर सकती हैं।
4.अब एक नया मटका लें उसमें पानी भरकर रखें और उस पर हल्दी से स्वास्तिक बनाएं फिर मटके के ढक्कन पर सिंघाड़े रखें।
5. घर में सभी बुजुर्ग महिलाओं के साथ मिलकर अहोई माता का ध्यान करें और उनकी व्रत कथा पढ़ें।
6. रात्रि को तारों को जल से अर्घ्य दें और फिर ही उपवास को खोलें I