Sunday, November 24, 2024
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कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने पूरी की 33 वर्ष की राजनीतिक यात्रा

by Newz Dex
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27 मई 1990 को  अम्बाला कैंट से उपचुनाव जीतकर   पहली बार बने थे विधायक — हेमंत

न्यूज डेक्स संवाददाता

चंडीगढ़। हरियाणा के कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने 33 वर्ष की अपनी राजनीतिक यात्रा पूरी कर ली। आज से ठीक  33 वर्ष पूर्व 27 मई 1990 को तत्कालीन सातवीं हरियाणा विधानसभा की दो रिक्त सीटों के लिए हुए उपचुनाव के नतीजे घोषित किये गए थे जिसमें  अम्बाला जिले के  कैंट विधानसभा हलके  से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर  अनिल कुमार (विज) पहली  बार चुनाव जीतकर  विधायक के तौर पर निर्वाचित हुए थे. वहीं  सिरसा जिले की तत्कालीन  दरबा कलां सीट  से जनता दल के टिकट पर प्रदेश के  पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला विजयी होकर हालांकि  दूसरी बार विधायक बने थे।

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट  हेमंत कुमार ने चुनाव आयोग से प्राप्त  आधिकारिक आंकड़ों का अध्ययन करने के  बाद बताया कि अम्बाला कैंट में मई, 1990 में हुए उपरोक्त उपचुनाव में अम्बाला ज़िले के तत्कालीन डीसी (उपायुक्त ) एस पी लाम्बा, आईएएस को रिटर्निंग अफसर (निर्वाचन अधिकारी) बनाया गया था जिन्होंने उपचुनाव में विधायक के तौर पर निर्वाचित  अनिल विज को  इलेक्शन सर्टिफिकेट प्रदान किया था.

हेमंत ने आगे बताया कि हालांकि जून, 1987 में सातवीं हरियाणा विधानसभा आम चुनावों में अम्बाला कैंट विधानसभा सीट से भाजपा की वरिष्ठ नेत्री एवं दिवंगत सुषमा स्वराज विजयी होकर  दूसरी बार कैंट से  विधायक बनी थी जिसके बाद वह प्रदेश में  तत्कालीन देवी लाल के नेतृत्व वाली  लोक दल- भाजपा गठबंधन  सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बनी थी परन्तु चूँकि  अप्रैल, 1990 में सुषमा हरियाणा से राज्य सभा के लिए निर्वाचित हो गयी थीं, इसलिए उन्होंने अम्बाला कैंट सीट के विधायक पद   से त्यागपत्र दे दिया था जिसके कारण इस सीट पर उपचुनाव करवाना पड़ा था.

उस  उपचुनाव में भाजपा के टिकट पर अनिल विज ने चुनाव लड़ा था  और विजयी हुए जिसमें उन्होंने  कांग्रेस के राम दास धमीजा एवं निर्दलयी अर्जुन लाल कालड़ा को पराजित किया था. उस समय विज की आयु मात्र 37 वर्ष थी एवं उन्होंने स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया में क्लेरिकल पद की नौकरी छोड़कर वह  उपचुनाव लड़ा था. हालांकि उसके   एक वर्ष बाद ही  अप्रैल,1991 में सातवीं  हरियाणा विधानसभा समयपूर्व ही भंग कर दी गयी थी  क्योंकि तत्कालीन मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला  तत्कालीन राज्यपाल धनिक लाल मंडल के निर्देशानुसार सदन में उनकी  सरकार का बहुमत साबित नहीं कर पाए थे.  इसके बाद  राज्यपाल की सिफारिश पर तत्कालीन केंद्र की चंद्रशेखर  सरकार ने हरियाणा सरकार को अल्पमत में होने कारण बर्खास्त कर दिया था  जिसके बाद आगामी कुछ माह तक हरियाणा  प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था.  

बहरहाल, हेमंत ने बताया कि साढ़े तीन  वर्ष पूर्व  अक्तूबर, 2019 में मौजूदा 14 वीं हरियाणा विधानसभा आम चुनावों में विज लगातार तीसरी बार  और कुल छठी  बार  अम्बाला कैंट सीट से विजयी होकर विधायक बने थे.  आज से साढ़े 56 वर्ष पूर्व  संयुक्त पंजाब से अलग होने के बाद जब 1  नवंबर, 1966 को  हरियाणा देश का नया राज्य बना, तो प्रदेश में अब   तक हुए  13  विधानसभा चुनावो  में अम्बाला कैंट  हलके में 7  बार भाजपा ( जनता पार्टी और भारतीय जन  संघ मिलाकर) और 5 बार कांग्रेस पार्टी ने विजय हासिल की है जबकि दो बार यहाँ से  निर्दलयी उम्मीदवार जीता है और दोनों बार वह निर्दलयी  विज ही थे.

 सबसे पहले वर्ष 1967 में हुए हरियाणा  के पहले विधानसभा आम  चुनावो में  कांग्रेस  के उम्मीदवार देव राज आनंद  ने भारतीय जन संघ के  पी.नाथ  को हराकर अम्बाला कैंट  से  पहले विधायक बने थे. भारतीय जनसंघ  ने  यह सीट सर्वप्रथम वर्ष 1968  में जीती जब उसके उसके उम्मीदवार भगवान दास सहगल ने   कांग्रेस के देव राज आनंद को पराजित किया. उसके  बाद 1972 के चुनावो में कांग्रेस के हंस राज सूरी ने  भगवान दास को हराया.  वर्ष 1982 में कांग्रेस के राम दास धमीजा ने जनता पार्टी के स्वामी अग्निवेश एवं भाजपा के सोम प्रकाश को हराया. कैंट से कुल दो बार   सुषमा स्वराज विधायक  बनी  पहले  वर्ष 1977 में जनता पार्टी से  और वर्ष 1987 में भाजपा के टिकट पर.वर्ष 1991 विधानसभा आम चुनावों  में कांग्रेस के बृज आनंद ने  भाजपा से दूसरा  चुनाव लड़ रहे अनिल विज को हरा दिया था.  

इसके कुछ वर्षों बाद वर्ष 1995 के करीब  विज ने भाजपा छोड़ दी एवं वर्ष 1996 और 2000 लगातार दो हरियाणा   विधानसभा आम चुनावों में निर्दलयी के तौर पर लड़ते हुए  लगातार दो बार विधायक बने. हालांकि वर्ष 2005 विधानसभा आम चुनावो में कांग्रेसी प्रत्याशी एडवोकेट देवेंद्र  बंसल ने विज  को मात्र 615 वोटो से पराजित कर दिया. इसके बाद वर्ष 2007 में विज ने  विकास परिषद के नाम से अपनी अलग राजनीति पार्टी भारतीय चुनाव आयोग से पंजीकृत करवाई हालांकि सितम्बर,2009 हरियाणा विधानसभा आम चुनावों से ठीक पहले वह फिर भाजपा में शामिल हो गए एवं 2009, 2014 और 2019 विधानसभा चुनावों में लगातार तीन बार अर्थात हैट्रिक लगातार अम्बाला कैंट से विधायक निर्वाचित हुए.  ज्ञात रहे कि विज ने   विकास परिषद के नाम और झंडे तले   कोई  चुनाव नहीं लड़ा. इसी माह 16 मई को  भारतीय चुनाव आयोग द्वारा जारी एक गजट  नोटिफिकेशन मार्फ़त  देश के विभिन्न राज्यों में  282 रजिस्टर्ड गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों का नाम ऐसे दलों की   श्रेणी   से हटा दिया गया है जिसमें  अनिल विज के निवास स्थान अर्थात  62 ए, शास्त्री कॉलोनी, अम्बाला कैंट  पर रजिस्टर्ड विकास परिषद का नाम भी शामिल है.  

हेमंत ने बताया कि विज अक्टूबर, 2014 से आज तक  अर्थात गत  साढ़े आठ  वर्षो से प्रदेश की मनोहर लाल खट्टर  के नेतृत्व वाली  सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं जिसमें गत साढ़े तीन वर्ष से वह प्रदेश के गृहमंत्री भी हैं.  उनकी  प्रदेश के सबसे लोकप्रिय एवं धाकड़ मंत्री के तौर पर अपनी  विशिष्ट पहचान है  जो  आम जनता की शिकायतों की सुनवाई करते हुए बड़े आला अधिकारियों की खड़े खड़े क्लास लगा लेते हैं और अगर उन्हें   प्रथम दृष्टि  ऐसा प्रतीत हो किसी सरकारी अधिकारी या  कर्मचारी ने  ड्यूटी में कोताई बरती है अथवा उसने  रिश्वत की मांग की  या  वह भ्रष्टाचार में लिप्त है, तो विज उसे  तत्काल मौके पर ही  सस्पेंड (निलंबित ) करने का  आदेश दे देते हैं. विज की  तुरंत मौके पर  एक्शन (कार्रवाई ) लेने वाली कार्यशैली  कारण ही   उनके  जनता दरबार में  अम्बाला से ही नहीं बल्कि  प्रदेश भर से हज़ारों  फरियादी सरकारी और प्रशासनिक तंत्र के विरूद्ध अपनी  शिकायतें और समस्याओं के निवारण के लिए आते हैं.    

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