विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष
डॉ प्रदीप गोयल/न्यूज डेक्स संवाददाता
शाहाबाद। अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक एवं जेसीडी विद्यापीठ के महानिदेशक डॉ. कुलदीप सिंह ढींडसा ने कहा कि प्रत्येक 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। वहीं इस वर्ष भी संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के अंतर्गत ‘प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करो’ थीम पर यह दिवस मनाया जा रहा है। इसमें 150 देश भाग ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिए अपने पर्यावरण को बचाना और उसकी रक्षा करना महत्वपूर्ण है। पर्यावरण परिवर्तन के मुख्य कारण जनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण, वनों की कटाई और आर्थिक विकास इत्यादि है। पर्यावरण प्रदूषण जलस्तर मे गिरावट ,भूमि का कटाव और वायु प्रदूषण के कारण होता है। यह वैश्विक जलवायु एवं रहने की स्थिति को काफी हद तक प्रभावित करता है। इसका मनुष्यों, पौधों, जानवरों और सूक्ष्म जीवों पर प्रतिकूल मानसिक प्रभाव पड़ता है। पर्यावरण प्रदूषण से सम्बन्धित कारणों के चलते प्रत्येक वर्ष अनुमानित 7 मिलियन यानि 70 लाख लोगों की मृत्यु होती है, जिनमें से अधिकांश एषिया-प्रषांत क्षेत्र में होते हैं।
डॉ. ढींडसा ने कहा कि प्लास्टिक प्रदूषण एक वैश्विक संकट बन गया है, जो हमारे पारिस्थितिक तंत्र, वन्य जीवन और अंततः मानव स्वास्थ्य को खतरे में डाल रहा है। हर साल लाखों टन प्लास्टिक कचरा हमारे महासागरों, नदियों और लैंडफिल में समाप्त हो जाता है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी जिम्मेवारी स्वीकारते हुए सामूहिक रूप से एक स्थायी और प्लास्टिक मुक्त भविष्य की दिशा में काम करना होगा क्योंकि प्लास्टिक को गलने में सैंकड़ों साल लगते हैं और इस दौरान यह समुद्री जीवन के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है तथा अपूर्णीय क्षति का कारण बनता है। अपने दैनिक जीवन में बदलाव लाकर तथा बेहतर विकल्प चुनकर हम प्लास्टिक फुटप्रिंट को काफी हद तक कम कर सकते हैं।
डॉ. कुलदीप सिंह ढींडसा ने बताया कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वैश्विक ऊर्जा से संबंधित कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन 2019 में लगभग 36.44 बिलियन मीट्रिक टन था, जो औद्योगिक पूर्व युग से उल्लेखनीय वृद्धि थी। हालाँकि, 2020 के अनुमानों में कोविड-19 के प्रभावों के कारण उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी देखी गई है। एशिया-प्रशांत क्षेत्र 2019 में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन का सबसे बड़ा उत्पादक था। कार्बन डाइऑक्साइड के उत्पादन को कम करने के लिए, कई देशों ने व्यापार योग्य हरित प्रमाण पत्र जारी करना शुरू कर दिया है। कार्बन मूल्य निर्धारण को निगमों को कम उत्सर्जन के लिए प्रोत्साहित करने और अधिक टिकाऊ उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए सबसे प्रभावी तरीकों में से एक माना जाता है। डॉ. ढींडसा ने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से एक है। कार्बन डाइऑक्साइड प्राथमिक गैसों में से एक है जो जीवाश्म ईंधन के जलने से उत्सर्जित होती है। हालांकि अन्य उत्सर्जन जैसे सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और पार्टिकुलेट भी उत्सर्जित हो सकते हैं, विशेष रूप से जलते हुए कोयले के माध्यम से। उन्होंने कहा कि एशिया में नए कोयला संयंत्रों ने भी ऊर्जा संबंधी उत्सर्जन में वृद्धि को बढ़ावा दिया है। चीन दुनिया में ऊर्जा से संबंधित उत्सर्जन के सबसे बड़े उत्सर्जकों में से एक है। नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर देश के कदम के बावजूद, कोयला-ईंधन वाली बिजली अभी भी अपने ऊर्जा बाजार पर हावी है, जिसे कम करने की आवश्यकता है।