काले रंग की खास वेशभूषा में लंगड़ती चाल में चौसर के पासों को हथेलियों से रगड़ते हुए बिल्लोरी आंखों को मिचकाकर कौतूहल पैदा करता था वो चेहरा
यह पासे नहीं है भांजे,मेरी सेना है, शकुनी की भूमिका में गूफी पेंटल का ये धूर्तता से भरा अंदाज महाभारत के अगले एपीसोड को देखने को आतुर करता था
विभाजन से पहले लाहौर में पैदा हुए थे गूफी पेंटल,अपने छोटे भाई से प्रेरित होकर किया था सिनेमा की ओर कूच
न्यूज डेक्स संवाददाता
चंडीगढ़। काले रंगे की वेशभूषा में लंगड़ाती चाल के साथ चौसर के पासों को हथेलियों से रगड़ते कर जब वो शख्स बिल्लोरी आंखों को मिचकाते,अकड़ाते कहता था कि यह पासे नहीं है भांजे,मेरी सेना है…. यकीनन धूर्तता भरा यह अंदाज महाभारत धारावाहिक के अगले एपीसोड में बड़े घटनाक्रम और कौतूहल का विषय बना देता था। यहां बात कर रहे हैं भारतीय टीवी चैनल यानी छोटे पर्दे के मेगा धारावाहिक महाभारत के शकुनी की उनका आज निधन हो चुका है। जाहिर है कि बीआर चौपड़ा के इस धारावाहिक ने तब छोटे पर्दे पर नया इतिहास रचा था। पहली बार छोटे पर्दे पर इतने फिल्म स्टार एक साथ नजर आए थे। रंगमंच और भारतीय सिनेमा और छोटे पर्दे के कलाकारों की इस भीड़ में औसत कद के गुमनाम से एक कलाकार ने जो पासा पलटा वो उसके जीवन के लिए मील का पत्थर साबित हुआ हम बात कर रहे हैं विभाजन से पहले के भारत में लाहौर की मिट्टी में जन्म उस सर्वजीत पेंटल की,उनके पिता लाहौर में एक कैमरामैन थे। गूफी पेंटल पिछले काफी समय से किडनी की बीमारी से पीड़ित थे।
सर्वजीत से गूफी पेंटल बनने के पीछे भी एक छोटी सी कहानी है। क्योंकि बचपन में सर्वजीत काफी मोटे थे और उनके पिता गूफ कहा करते थे। उनके असली नाम पर यही नाम भारी पड़ा और उनका नाम सर्वजीत से गूफी पेंटल हुआ। हालांकि भारतीय सिनेमा में उनके पदार्पण से पहले उनके छोटी भाई पेंटल अपनी जगह बना चुके थे। सिनेमा को पसंद करने वाले गूफी पेंटल ने अपने छोटे भाई के बाद सिनेमा के क्षेत्र में कदम रखा और सत्तर के दशक में लैला मजनू की टीम से जुड़े।उन्होंने कई फिल्मों में छोटी छोटी भूमिकाएं भी की। मगर बीआर चौपड़ा की नजर में आए दिल्ली दूरदर्शन के एक धारावाहिक में फिरंगी अधिकारी की भूमिका की वजह से। उस दौर में बीआर चौपड़ा महाभारत धारावाहिक का प्लान तैयार कर चुके थे। इस टीम में गूफी पेंटल को कास्टिंग डायरेक्टर की भूमिका तय हुई। महाभारत में चुन चुन कर जो पात्र लिए गए,उसमें गूफी पेंटल की बड़ी भूमिका रही। हालांकि उनकी भूमिका क्या होगी इसके बारे में शायद कास्टिग डायरेक्टर गूफी पेंटल को नहीं पता था। यह बीआर चौपड़ा ने जब उन्हें यह बताया कि वह शकुनी की भूमिका निभाएंगे तो,पहले पहल वह हैरान थे। क्योंकि वह इस भूमिका के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं थे,आखिरकार गूफी पेंटल ने यह भूमिका सहर्ष स्वीकार कर इसमे कास्ट्यूम और और चाल ढाल को लेकर जो सुझाव दिए थे,वही शकुनी की भूमिका में यादगार बने।
रतन टाटा के सहपाठी रहे हैं गूफी पेंटल
जिस दौर में जमशेदपुर में रतन टाटा पढ़ रहे थे,उसी दौर में सर्वजीत पेंटल यानी गूफी पेंटल भी मैकेनिकल इंजीनियर की पढ़ाई यहां कर रहे थे। वे 1962 के युद्ध के दौरान भारतीय सेना में भी शामिल हुए थे। इसके बाद उन्होंने सेना की नौकरी छोड़ी और कुछेक जगह पर नौकरी के बाद उन्होंने अपने छोटे भाई से प्रेरित होकर भारतीय सिनेमा की ओर कूच किया था।
तो यों मौलवी और बारात पहुंची थी लेट,बताया था गूफी पेंटल ने
गूफी पेंटल पिछले दिनों से लाफ्टर शो कपिल शर्मा के कार्यक्रम में दिखे थे। तब उन्होंने बताया था कि महाभारत सीरियल के दौरान उनके कैमरामैन की बहन की शादी थी। वे भी आमंत्रित थे। बारात को दस बजे पहुंचना था,लेकिन ना मौलवी आया और ना ही बारात। आखिरकार दो बजे से कुछ देर पहले मौलवी पहुंचा था और इसके कुछ देर बाद बारात पहुंची थी। जब देरी से पहुंचने का कारण जाना तो इन्होंने कहा कि आप नहीं जानते आज के दिन महाभारत आता है। इस पर वहां खड़े लड़की वाले बोले हमें बता देते कम से कम हम भी देख लेते। उस दौर में महाभारत के क्रेज के बारे में यह चर्चा गूफी पेंटल ने कपिल के शो में की थी।
ओ शकुनी युद्ध बंद नहीं हुआ तो तेरी टांग तोड़ दूंगा
शकुनी ने एक मीडिया हाऊस से बातचीत के दौरान बताया था कि महाभारत धारावाहिक को खूब पसंद किया जाता था। अन्य कलाकारों की तरह उनके पास भी अनेकों प्रशंसकों के पत्र आते थे। एक बार एक भोले प्रशंसक ने खत लिखा…ओए शकुनी के बच्चे,तूं कौरवों-पांडवों को लड़वाना बंद कर। तूं बहुत बुरा आदमी है, तूने अपनी बहन के घर में ही आग लगा रखी है। सभी को तूने परेशान कर रखा है। तूने हमारे भगवान कृष्ण की भी नहीं सुनी। अगर तूने यह युद्ध नहीं बंद कराया तो मैं तेरी टांग तोड़ दूंगा।