न्यूज डेक्स इंडिया
दिल्ली। रंगभेद के खिलाफ संघर्ष की शुरुआत के 130 साल पूरे होने के अवसर पर भारतीय नौसेना डरबन के पास रेलवे स्टेशन पीटरमैरिट्सबर्ग में एक स्मारक कार्यक्रम में भाग लेगी। भारतीय नौसेना का एक अग्रिम पंक्ति का युद्धपोत आईएनएस त्रिशूल 06 से 09 जून 23 तक पीटरमेरिट्जबर्ग रेलवे स्टेशन पर 7 जून 1893 की घटना की 130वीं वर्षगांठ मनाने के साथ-साथ भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच राजनयिक संबंधों की बहाली के 30 साल पूरे होने पर डरबन का दौरा कर रहा है।
महात्मा गांधी 1893 में व्यापारी दादा अब्दुल्ला के कानूनी सलाहकार के रूप में काम करने के लिए दक्षिण अफ्रीका के डरबन पहुंचे थे। 07 जून 1893 को ट्रांसवाल में प्रिटोरिया की यात्रा के दौरान वे पहली बार पीटरमेरिट्जबर्ग स्टेशन पहुंचे। गांधीजी को, जो कि टिकट खरीदकर प्रथम श्रेणी के डिब्बे में बैठे थे, एक यूरोपीय के कहने पर डिब्बे से बाहर निकाल दिया गया क्योंकि उसके अनुसार प्रथम श्रेणी के डिब्बे में ‘कुली’ और अश्वेतों को अनुमति नहीं थी। इस घटना को ट्रिगर माना जाता है जिसने गांधीजी को नस्लीय उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई और सत्याग्रह के जन्म के लिए प्रेरित किया।
पीटरमेरिट्जबर्ग रेलवे स्टेशन पर महात्मा गांधी के सत्याग्रह की प्रेरक कहानी को 25 अप्रैल 1997 को एक और जीवन मिला, जब पीटरमेरिट्जबर्ग रेलवे स्टेशन परएक भव्य समारोह में गांधीजी को मरणोपरांत फ्रीडम ऑफ पीटरमेरिट्जबर्ग समर्पित किया गया, जिसकी अध्यक्षता तत्कालीन दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति नेल्सनमंडेला ने की थी। राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला ने एक सदी पुराने गलत को सही करने के लिए एकत्रित लोगों को संबोधित करते हुए कहा, “गांधीजी उत्पीड़न के खिलाफव्यक्तिगत बलिदान और समर्पण का एक महान उदाहरण हैं।”
आईएनएस त्रिशूल की डरबन यात्रा भारतीय नौसेना के आजादी का अमृत महोत्सव के उत्सव के साथ जारी है, जिसमें भारत के स्वतंत्रता संग्राम को आकार देने वाले महत्वपूर्ण क्षणों का जश्न मनाया गया। डरबन की अपनी यात्रा के दौरान जहाज, पीटरमेरिट्जबर्ग रेलवे स्टेशन पर एक स्मारक कार्यक्रम में भाग लेगा जिसमें गांधीजी प्लिंथ पर पुष्पांजलि अर्पित करना और आईएन बैंड द्वारा एक प्रदर्शन शामिल होगा। यात्रा के दौरान जहाज अन्य व्यावसायिक और सामाजिक कार्यक्रमों में भी भाग लेगा।