कुरुक्षेत्र में किसानों पर पड़ी एक-एक लाठी का जवाब सरकार को जरूर मिलेगा:-निर्मल सिंह
न्यूज डेक्स संवाददाता
अंबाला। हरियाणा में कुरुक्षेत्र के शाहाबाद में भाजपा सरकार ने एक बार फिर अपना किसान विरोधी चेहरा दिखाया है ऐसा कहना है आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय सहसचिव व वरिष्ठ नेता निर्मल सिंह का उन्होंने कहा की इसको पूरा देश देख रहा है की सरकार पूरी तरह से तानाशाही पर उतर गई है हरियाणा में तो किसानों पर लाठीचार्ज की घटनाएं आम हो गयी हैं।निर्मल सिंह ने सरकार को चेतावनी दी कि किसान की हाय इस सरकार को बहुत महंगी पड़ेगी एक-एक लाठी का जवाब देना होगा। क्या सरकार ये चाहती है कि किसान फिर से आंदोलन के रास्ते पर आयें। उन्होंने आम आदमी पार्टी पार्टी की तरफ से मांग करते हुए कहा कि हरियाणा समेत पूरे उत्तर भारत में एमएसपी पर सूरजमुखी की खरीद की जाए। कल जिन किसानों को सरकार ने हिरासत में लिया है उनको तुरंत रिहा किया जाए। लाठीचार्ज में घायल हुए किसानों को सरकार की ओर से आर्थिक सहायता दी जाए और किसान आंदोलन के समय स्वयं प्रधानमंत्री ने किसानों से एमएसपी कमेटी का वादा किया था उसका ठीक ढंग से क्रियान्वयन करके एमएसपी की कानूनी गारंटी दी जाए।
उन्होंने कहा कि कल का लाठीचार्ज एमएसपी के मुद्दे पर हुआ। खुद सरकार ने सूरजमुखी का एमएसपी 6400 रुपये तय किया है। सरकारी खरीद शुरू न होने से निजी खरीददार बाजार में 3500-3800 प्रति क्विंटल के भाव में सूरजमुखी खरीद रहे। सरकारी खरीद शुरु करने के लिए किसानों ने लगातार पांच बार सरकार से बात की फिर भी खरीद शुरु नहीं हुई और सरकार तारीख पर तारीख देती रही। इसके बाद सरकार ने कहा कि इसको भविष्य की योजना में ले लिया जायेगा। यदि ये मान भी लिया जाये कि भविष्य में किसान को 1000 मिल जायेगा तो भी किसान को 1900-2200 रुपये तक का प्रति क्विंटल घाटा होगा। किसान सूरजमुखी को एमएसपी पर खरीदने की मांग को लेकर शांतिपूर्ण तरीके से धरना प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन हरियाणा सरकार ने जिस प्रकार लट्ठ तंत्र का प्रयोग किया है उसे देखकर पूरा देश शर्मसार हुआ है। इसे भाजपा के अन्याय के अध्याय के रूप में देखा जा सकता है।
निर्मल सिंह ने कहा कि कुरुक्षेत्र में हुआ लाठीचार्ज सरकार के किसान विरोधी चेहरे का प्रतीक है।हरियाणा सरकार के लट्ठतंत्र का प्रतीक है। ये सरकार हरियाणा में हर वर्ग को अपमानित करने का काम कर रही है। इस सरकार ने किसान से किये हर वादे को तोड़ने का काम किया है।पहले सरकार ने 2022 तक किसान की आमदनी दोगुनी करने का वादा किया था लेकिन उसको भी तोड़ने का काम किया आमदनी दोगुनी हुई नहीं खर्चा और कर्जा दोगुना हो गया। ये सरकार इस तरह किसान विरोधी निकली की वो तीन कृषि कानून लेकर आयी, जिसमें एमएसपी की अवधारणा ही धूमिल कर दी गई थी। किसान आंदोलन आजाद भारत के इतिहास में पहला ऐसा आंदोलन था जो इतना लंबा चला, इतना व्यापक रहा की 750 किसानों को अपनी जान की कुर्बानी देनी पड़ी। एमएसपी की गारंटी पर कमेटी का गठन करने के वादे के बावजूद न कमेटी बनी न एमएसपी की गारंटी मिली। किसान आंदोलन के समय यही सरकार कहती थी की एमएसपी थी है और रहेगी। सरकार एमएसपी पर खरीद करेगी। निर्मल सिंह ने कहा की यदि एमएसपी पर खरीद हो रही थी तो फिर कल कुरुक्षेत्र में सरकार को लठतन्त्र का इस्तेमाल क्यों करना पड़ा।