Saturday, November 23, 2024
Home Kurukshetra NewsJammu & Kashmir श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर जम्मू हमारी विरासत की समृद्धि का उत्सव मनाएगा : प्रधानमंत्री

श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर जम्मू हमारी विरासत की समृद्धि का उत्सव मनाएगा : प्रधानमंत्री

by Newz Dex
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जम्मू में श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर की स्थापना के साथ, वैश्विक रूप से यह एक बार फिर से साबित हुआ है कि हम कश्मीर से कन्याकुमारी तक एक हैं : श्री जी के रेड्डी

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, जम्मू में श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर की स्थापना ‘एक भारत’ के विचारों का उत्सव और देश की ‘विविधता में एकता’ मनाने का त्योहार

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर जम्मू ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को और मजबूत करेगा।

न्यूज़ डेक्स इंडिया
नई दिल्ली

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह, केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री, श्री जी किशन रेड्डी और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आज जम्मू में श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर का उद्घाटन किया, जो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में पहला और देश में छठा मंदिर है।

इस अवसर पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा जम्मू में श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर की स्थापना ‘एक भारत’ के विचारों का उत्सव और देश की ‘विविधता में एकता’ मनाने वाला त्योहार है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह मंदिर जम्मू-कश्मीर में पहला और देश में छठा है, जो जम्मू को देश में शीर्ष धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त करता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बल देकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 08 जून, 2023 को जम्मू में श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर का उद्घाटन होना जम्मू की विकास यात्रा में एक मील का पत्थर साबित होगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अब पूरा देश पूर्व से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण तक एकीकृत हो चुका है और वाराणसी में आयोजित ‘काशी तमिल संगमम्’ और जम्मू में ‘श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर’ का उद्घाटन इसके सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है, जिसका उद्देश्य तमिलनाडु और काशी के बीच सदियों पुराने संबंधों का जश्न मनाना, उसकी पुन: पुष्टि करना और उसे फिर से प्राप्त करना है, जो कि ज्ञान प्राप्ति के लिए देश के सबसे महत्वपूर्ण और प्राचीन स्थल रहे हैं।

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