महान आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, महान राष्ट्रभक्त भगवान मुंडा की पुण्यतिथि पर मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा राष्ट्ररक्षा संवाद कार्यक्रम संपन्न।
न्यूज़डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र । वर्तमान समय में इस बात पर गंभीर चिंतन और मनन करने की आवश्यकता है कि हमारे आदर्श कैसे होना चाहिए। आज की स्थिति देखने से पता चलता है कि हमने अपने जीवन के उत्थान के लिए आदर्श बनाने ही बंद कर दिए हैं। इसलिए व्यक्ति स्वयं को पूर्ण सही मानता है। जबकि जीवन में सीखने की निरंतरता बनी रहनी चाहिए। इसके लिए आदर्श भी बहुत जरूरी है। बिरसा मुंडा का सम्पूर्ण जीवन ऐसा ही आदर्श है, जिससे राष्ट्रीय भाव का प्रस्फुटन होता है। जहां से समाज का नायक बनने का आदर्श दिशाबोध है। बिरसा मुंडा भारतीय समाज के ऐसे आदर्श रहे हैं, जिसे हम सर ऊंचा करके गौरव के साथ याद करते हैं।
यह विचार महान आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, महान राष्ट्रभक्त भगवान मुंडा की पुण्यतिथि पर मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा आयोजित राष्ट्ररक्षा संवाद कार्यक्रम में व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्जवलन से हुआ। मातृभूमि सेवा मिशन के ब्राम्हचारियों ने मुंडा मुंडा के जीवन से सम्बन्धित प्रेरक प्रसंग प्रस्तुत किये।डा.श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा भारतीय संस्कृति को आत्मसात करने वाले कई महानायकों का पूरा जीवन एक ऐसी प्रेरणा देता है, जो देश और समाज को राष्ट्रीयता का बोध कराता है। कहा जाता है कि जो अपने स्वत्व की चिंता न करते हुए समाज के हित के लिए कार्य करता है, वह नायक निश्चित ही पूजनीय हो जाते हैं। महान क्रांतिकारी बिरसा मुंडा ऐसे ही नायक रहे हैं, जिन्होंने देश और समाज की खातिर अपने प्राणों का उत्सर्ग कर दिया। सामाजिक, विशेषकर जनजातीय समाज के हितों के लिए संघर्ष करने वाले बिरसा मुंडा ने भारत पर राज करने वाली ब्रिटिश सत्ता के विरोध में ऐसा जन आंदोलन खड़ा किया, जिसने जनजातीय समाज को एकत्रित कर जागरूक कर दिया और अंग्रेजों को भारत की भूमि छोड़कर जाना पड़ा। हालांकि इतिहास में ऐसे अनेक देश भक्त साहसी वीर हुए हैं, जिनका वर्णन आज के इतिहास में दिखाई नहीं देता। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा भारतवर्ष की श्रेष्ठ परंपराओं एवं संस्कृति की जड़ों को सिंचित करने के लिए हमारे धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक अतीत को विश्वविजयी बनाने वाले ऋषि मुनियों ने अपनी मेधा के माध्यम से सर्वोत्कृष्टता के शिल्प में ढालकर सम्पूर्ण जगत के लिए ज्ञान के चक्षुओं को खोलने का महानतम कार्य किया था। बिरसा मुंडा भी अपने समय के उन्हीं अग्रदूतों में से एक थे, जिन्होंने भारतीय सनातन परंपरा को पुनर्प्रतिष्ठित करने के लिए छोटा नागपुर पठार के क्षेत्र में निवास करने वाले मुंडा समाज को संगठित कर उनकी अन्तरात्मा की ज्वाला की चिंगारी से स्वातंत्र्य, धर्मरक्षा की मशाल को प्रज्वलित करने का कार्य करते हुए अनेकानेक मुंडाओं के साथ अपनी आहुति दे दी थी। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा देश के लिए उनके द्वारा किए गए अप्रतिम योगदान के कारण ही उनका चित्र भारतीय संसद के संग्रहालय में लगी है। बिरसा मुंडा को हमें धर्मरक्षक, क्रांतिवीर, आदिवासी नेता, भगवान, जैसे जैसे कई आयामों के अन्तर्गत देखना पड़ेगा। उनकी लड़ाई महज जंगल के संसाधनों पर मुंडाओं, वनवासी समाज के अधिकार के लिए जमींदारों एवं अंग्रेजी व्यवस्था के विरुद्ध ही नहीं थी बल्कि उनका संघर्ष धर्मान्तरण, धार्मिक एवं सांस्कृतिक अस्मिता, धर्मरक्षा व स्वायत्तता के लिए था। उन्होंने समूचे मुंडा समाज को संगठित कर योजनाबद्ध तरीके जमींदारों, अंग्रेजी शासन एवं ईसाई मिशनरियों से लड़ाई लड़ी। हमें इस बात पर गंभीरता के साथ चिन्तन-मनन करना पड़ेगा कि आखिर एक चौदह वर्षीय बालक जिसके पूरे परिवार का ईसाइयत में धर्मान्तरण हो चुका था। जब उसके स्कूल में उसके धर्म एवं समाज को अपमानित किया जा रहा था, तब उसके अन्दर प्रतिशोध की आग कैसे जली? वह आखिर क्या था जिसके चलते धर्मान्तरित होने के बावजूद उसके द्वारा अपने धर्म एवं समाज को अपमानित होते हुए नहीं देखा जा रहा ।
कार्यक्रम का समापन शांतिपाठ से हुआ। कार्यक्रम में आश्रम के ब्रम्हचारी एवं सदस्य उपस्थित रहें।