Thursday, November 21, 2024
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चढुनी के सिंह ने आंदोलनों का गुर ले किया गांव का नाम,12 जून 1960 को जन्मा गुरनाम जुबां पर चढ़ा देगा चढुनी नाम, किसे पता था…

by Newz Dex
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चढुनी के सिंह ने आंदोलनों का गुर ले किया गांव का नाम,12 जून 1960 को जन्मा गुरनाम जुबां पर चढ़ा देगा चढुनी नाम, किसे पता था…   
जन्मदिन पर पिपली में किसानों की हुंकार, गुरनाम सिंह समेत अन्य किसान नेताओं की रिहाई और साथ में दी एमएसपी कानून बनाने की दुहाई
गुरनाम सिंह चढ़ुनी के जन्मदिन पर नया नारा किया बुलंद यह संघर्ष सूरजमुखी और कमल के फूल में
वरिष्ठ पत्रकार राजेश शांडिल्य की फेसबुक वाल से
कुरुक्षेत्र।हरियाणा की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक राजधानी है कुरुक्षेत्र। इसका धार्मिक,पौराणिक,एतिहासिक और राजनीतिक महत्व किसी से छुपा नहीं। युग युगांतर से कुरुक्षेत्र कई बड़े घटनाक्रमों का प्रतीक चिह्न बन कर सामने आया है।बेशक जमाना कुरुक्षेत्र को गीता और महाभारत के नाम से जानता हो या फिर वर्तमान में मठ,मंदिरों,प्राचीन तीर्थ और धर्मस्थलों के नाम से,मगर इसका महत्व गीता, महाभारत से पहले वेद,उपनिषद और कृषि के संदेश से जुड़ा है,जिसके अनगिनत प्रसंग,कथा कहानियां मिलती हैं । करीब करीब डेढ़ हजार साल पहले वर्धन वंश की राजधानी के रुप में कुरुक्षेत्र की पहचान हो या पिछली सदियों में यहां बसे घरानों के विद्वानों और अपनी योग्यता से देश दुनिया में पहचान बनाने वाली शख्सियतें, इनके द्वारा कुरुक्षेत्र के नाम को ऊंचा रखने का क्रम जारी रहा। मगर कुरुक्षेत्र जिला के गांव चढ़ुनी में 12 जून 1960 को जन्मा गुरनाम सिंह चढुनी एक अनूठा नाम कहा जा सकता है।इस छोटे से गांव में खेती करते हुए चढ़ुनी के गुरनाम सिंह नब्बे के दशक में आंदोलनों से जुड़े। गुरनाम ने किसानों के आंदोलनों को चलाने के कुछ खास तरह गुर सीखे की अब उसके सरीखे साधारण से किसान की वजह से हरियाणा ही नहीं,देश और विदेश में भी चढ़ुनी गांव की पहचान बन चुकी है। वास्तविकता से इंकार नहीं किया जा सकता गुरनाम सिंह के नाम से ज्यादा उनके गांव का नाम किसान आंदोलनों के दौरान किसानों,पक्ष विपक्ष के नेताओं और मीडिया की जुबां पर चढ़ता चला आता है।

भारतीय किसान यूनियन (चढुनी ग्रुप) के राष्ट्रीय अध्यक्ष  गुरनाम सिंह चढूनी का आज जन्मदिन है। पूरे एक सप्ताह पहले आज ही के दिन उन्हें जीटी रोड पर जाम लगाने वाले किसान नेताओं के साथ शाहाबाद में राष्ट्रीय राजमार्ग से गिरफ्तार किया था। पिछले सोमवार को हुई इस गिरफ्तारी के अगले सप्ताह यानी इस सोमवार को उनकी रिहाई और जिस उद्देश्य से शाहाबाद में जीटीरोड जाम किया था,उस मांग को पूरा करने की दुहाई कुरुक्षेत्र की पिपली अनाज मंडी में दी जा रही ।है   12 जून 1960 को हरियाणा के जिला कुरुक्षेत्र गांव चढूनी में सरदार बंत सिंह और जसमेर कौर के घर जन्मा गुरनाम एक सप्ताह से सलाखों के पीछे है। अपने परिवार में गुरनाम सिंह समेत चार भाई और तीन बहनों मे गुरनाम सिंह मंजले है। गुरनाम के परिवार में दो पुत्र हर्षपाल और तरनजीत के अलावा धर्मपत्नी बलविंदर कौर है,जो कि आम आदमी पार्टी की टिकट पर कुरुक्षेत्र से चुनाव लड़ चुकी हैं।

भाकियू में बतौर पदाधिकारी गुरनाम का सफर 1992 में शुरु हुआ था। तब वह भारतीय किसान यूनियन की गांव इकाई के प्रधान बने थे और इसके बाद 2004 में प्रदेशाध्यक्ष। भाकियू में उनका यह सफर आज अपने ही नाम से चलने वाले गुट की भाकियू के बैनर तले राष्ट्रीय अध्यक्ष पद तक पहुंचा है। हालांकि 1995 में गुरनाम शाहाबाद शुगर मिल निदेशक भी रहे। किसान इस बात को स्वीकार करते हैं कि गुरनाम की बदौलत ही उन्हें शुगर मिल में दो बार बोनस मिला और कई तरह के सुधार हुए थे। इनमें पर्ची वितरण का कैलेंडर सिस्टम लागू शामिल है। वर्तमान में हरियाणा की सभी शुगरमिलों में यह सिस्टम लागू है।

गुरनाम सिंह कुरुक्षेत्र जिला में 5500 एकड़ में बीबीपुर झील के आंदोलन से काफी सुर्खियों में रहे और जो जमीन 60 सालों से बिना मुआवजा दिए सरकार के कब्जे में थी उस जमीन को सरकार के कब्जे से छुड़वा कर किसानों के हवाले कराने में संघर्ष करने वाले प्रमुख नेताओं में गुरनाम सिंह शामिल रहे। अनगिनत आंदोलनों,अनेकों बार गिरफ्तारी सहित अनेक मामलों में नामजद होने बावजूद चढुनी का नाम उनके समर्थकों तक ही सीमित नहीं रहा,बल्कि उनके विरोधियों की जुबान पर भी चढ़ता चला गया। देश के बहुचर्चित किसान नेता राकेश टिकैत के साथ उनके खट्टे, मीठे और कड़वे व्यंग्यबाण दोनों और से कई बार सुनाई दिए,मगर यूपी और हरियाणा के इन दोनों किसान नेताओं की जुगलबंदी कई आंदोलनों में साथ साथ दिखी और सुर में सुर मिलाकर एक दूसरे के साथ खड़े दिखाई दिए। इस समय गुरनाम सिंह चढ़ुनी न्यायिक हिरासत में है और उनकी रिहाई और आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए जहां अनगिनत किसान एवं नेता लामबद्ध हुए हैं,उनमें प्रमुख नाम राकेश टिकैत का भी शामिल है। राकेश टिकैत पिछले सप्ताह हुई गुरनाम सिंह की गिरफ्तारी के बाद अपने संबोधन में चढुनी की काफी प्रशंसा करते हुए सुनाई दिए थे। उन्होंने अपने संबोधन में चढ़ुनी को हरियाणा के किसानों के हित में लड़ने वाला जबरदस्त लड़ाका कह कर गुरनाम सिंह चढुनी की संघर्ष शक्ति को प्रोत्साहन दिया था।    

माना जा रहा है कि आज के दिन कुरुक्षेत्र में किसान महापंचायत की घोषणा करने के पीछे कहीं ना कही गुरनाम सिंह के जन्मदिन वाली बात भी शामिल रही,क्योंकि आज कई किसानों ने चढ़ुनी के जन्मदिन पर केक काटा और बांटा। खुद गुरनाम भी कई बार अपने जन्मदिन के दौरान चल रहे आंदोलन के बीच केक काट चुके हैं। इस बार उनके जन्म दिन पर सरकार के समक्ष एक नारा घोषित किया है,यह नारा दिया है सूरजमुखी और कमल के फूल के बीच संघर्ष का। दरअसल आज की महापंचायत में बड़ा रोल सूरजमुखी को लेकर हुए आंदोलन को बताया रहा है। देश और हरियाणा प्रदेश में कमल के फूल वाले निशान वाली राजनीतिक पार्टी भाजपा की सरकार है। इस नारे के जरिए इस संघर्ष की आवाज को बुलंद किया जा रहा है।

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