आज जीटी रोड जाम किया तो पुलिस प्रशासन और सरकार को कोर्ट के आदेश याद नहीं आए
जब पांच जून 2023 को हाईकोर्ट के आदेशों का हवाला देकर किसान जीटी रोड से खदेड़े थे,तो क्या वे आदेश आज के दिन लागू नहीं थे
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। भारत का मीडिया बिकाऊ है इन किसानों को यह मालूम है,लेकिन उनके रोज रोज के धरना प्रदर्शनों और राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम की वजह से एंबुलेंस में पड़े मरीज की पीड़ा उन्हें नहीं पता। आज कुरुक्षेत्र के पिपली में सूरजमुखी की एमएसपी पर खरीद और पांच जून 2023 को इसी मांग को लेकर राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम लगाने वाले किसानों की रिहाई के लिए महापंचायत बुलाई गई थी। महापंचायत खत्म होते ही किसानों ने नेशनल हाईवे पर जाम लगा दिया। जीटी रोड फ्लाइओवर और चौक से गुजरने वाले चौतरफा वाहनों का रास्ता रोक दिया गया। वैकल्पिक मार्गों से वाहनों को निकालने के लिए पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी।
इस दौरान जिन रास्तों से वाहन निकाले गए,वहां जगह जगह जाम लग गए।इसके चलते हजारों लोगों को परेशानी झेलनी पड़ी। साथ ही उन मरीजों को जिन्हें आपातकालीन सेवाओं के लिए एंबुलेंस में एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा रहा था। हालांकि किसान नेताओं ने इस तरह के आपातकालीन वाहनों की आवाजाही को जारी रखने के लिए प्रदर्शनकारियों को निर्देश दिए हुए हैं। इसके बावजूद धरनास्थल पर काफी देर तक दो एंबुलेंस बीच सड़क में जहां तहां खड़े वाहनों के बीच फंस गईं। काफी जद्दोजहद के बाद यह दोनों एंबुलेंस उस समय निकली,जब किसान मोर्चा की घंटे की बैठक के बाद अपनी दो मांगों पर अडिग रहते हुए सरकार को चेताया जा रहा था। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं और किसान संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं को यह सोचना होगा कि उन्हें किस तरह से आंदोलन को चलाना है। देश की कानून व्यवस्था और जीवन रेखा कहे जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों पर इस तरह आए दिन के घमासान सीधे तौर पर खिलवाड़ है।
पांच जून 2023 को कुरुक्षेत्र जिला के शाहाबाद में किसानों के नेशनल हाईवे जाम की घटना और 12 जून 2023 को कुरुक्षेत्र के ही पिपली में एक बार फिर नेशनल हाईवे जाम घटना में कानून व्यवस्था के दो चेहरे देखने को मिले। कोर्ट के आदेशों का हवाला देकर जहां शाहाबाद में किसानों को ना केवल कुछ ही घंटे बाद नेशनल हाईवे से पुलिस बल का उपयोग कर खदेड़ दिया गया था,वहीं आज पुलिस प्रशासन ना जाने क्यों हाईकोर्ट के उन आदेशों को भूल गई। नतीजन पुलिस प्रशासन की आंखों के सामने लाठी डंडे लेकर जीटी रोड पर धरना जारी है और पुलिस-प्रशासन और सरकार यह नजारा देख कर चुप्पी साधे हुए है। इस जाम का असर सिर्फ ट्रैफिक व्यवस्था पर ही नहीं पड़ा,बल्कि पिपली के आसपास स्थित दर्जनों फीलिंग स्टेशनों,रेहड़ी फड़ी से लेकर दुकानदारों व अन्य कारोबारियों के कामकाज पर भी पड़ा है। किसानों और सरकार के बीच चल रही इस रस्साकशी में आमजन जिस तरह की परेशानी झेल रहे हैं, उसके लिए जिम्मेदार कौन है ? बिकाऊ मीडिया, अपने अधिकारों से वंचित जनता या कोई और…। खैर,जीटी रोड पर किसानों का धरना अभी जारी है। रागणी के अलावा ट्रेक्टरों पर लगे डीजे पर युवा प्रदर्शनकारी झूम रहे हैं। कई बुजुर्ग किसान इस धरने में शामिल होकर अपनी उपस्थिति बड़ी संख्या में दर्ज करा रहे हैं।