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गत वर्ष कृषि कानूनों पर हुए समझौते की तरह लटकाने की नीति न अपनाए -दीपेंद्र हुड्डा
सरकार से किसानों का विश्वास उठना प्रजातंत्र में कोई अच्छे संकेत नहीं हैं -दीपेंद्र हुड्डा
बीजेपी-जेजेपी सरकार को भी समझ लेना चाहिए कि किसान जब ठान लेता है तो फिर वो न रुकता है, न झुकता है – हुड्डा
न्यूज डेक्स संवाददाता
चंडीगढ़। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने हरियाणा के किसानों के शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक ढंग से किये गए संघर्ष की जीत पर बधाई देते हुए कहा कि हरियाणा सरकार किसानों के साथ हुए समझौते को ईमानदारी से और तुरंत लागू करे। उन्होंने हरियाणा सरकार को चेताते हुए कहा कि किसानों के साथ धोखा न हो जैसा गत वर्ष कृषि कानूनों की वापसी के समय किसान संगठनों और सरकार के बीच हुए समझौते में हुआ था, जिसे आज तक लागू नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि कल किसानों के साथ सूरजमुखी की MSP पर खरीद और गिरफ्तार किसानों की रिहाई समेत उन पर दर्ज मुकदमे वापस लेने का जो समझौता हुआ है, सरकार उसे लटकाने की नीति न अपनाए। दीपेन्द्र हुड्डा ने मांग करी कि सरकार अविलम्ब किसानों के साथ हुए समझौते को पूरा करे, किसानों के साथ हुई सहमति के विश्वास को तोड़ने की कोशिश न करे।
सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि सरकार पर से किसानों का विश्वास उठना प्रजातंत्र में कोई अच्छे संकेत नहीं हैं। एक बात तो सरकार की समझ में आ ही गयी होगी कि किसान जब ठान लेता है तो फिर वो न रुकता है, न झुकता है। ये सरकार भविष्य के लिए भी सबक सीख ले कि किसान से टकराना नहीं है। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार ने देश के किसान के साथ एक बार नहीं बार-बार धोखा किया है। एक साल तक चले किसान आंदोलन के दौरान 9 दिसंबर, 2021 को किसान संगठनों और सरकार के बीच MSP कमेटी गठित करने का जो समझौता हुआ उससे भी अब तक लागू नहीं किया गया है। सरकार अपने समझौते से ही मुकर गयी। दीपेन्द्र हुड्डा ने यह भी कहा कि 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के वादे को तो बीजेपी सरकार ने हर व्यक्ति के खाते में 15-15 लाख और हर साल 2 करोड़ नौकरियां देने की तर्ज पर चुनावी जुमले वाली लिस्ट में डाल दिया है।
उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के समय भी देश की अर्थव्यवस्था को किसानों ने ही संभाला था। कृषि क्षेत्र की प्रगति से ही अर्थव्यवस्था का पहिया रुका नहीं और चलता रहा। इसी प्रकार, पहले भी जब देश की आबादी 30 करोड़ थी तो हम बाहर से अनाज मंगाकर खाते थे, आज हिंदुस्तान के किसान अपना खून-पसीना एक करके 135 करोड़ लोगों का पेट भर रहे हैं। लेकिन सरकार किसानों को खुद का जारी किया हुआ न्यूनतम समर्थन मूल्य भी देना नहीं चाहती। MSP है, थी और रहेगी’ का दावा करने वालों से दीपेन्द्र हुड्डा ने अपना पुराना सवाल फिर दोहराया जो उन्होंने संसद में लगातार पूछा कि MSP घोषित तो होगी पर क्या किसान को मिलेगी? अगर सरकार MSP घोषित करेगी लेकिन देगी ही नहीं तो किसान क्या करेंगे? उन्होंने कहा कि MSP मांगने पर सरकार हर बार किसानों पर लाठियां, आँसू गैस के गोले बरसाकर, झूठे मुकदमे दर्ज करवाकर उनके घावों पर नमक छिड़कने का काम करती है।