न्यूज डेक्स इंडिया
दिल्ली। जेजेपी के लिए बड़ी और बुरी खबर है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हरियाणा लोक सेवा आयोग (एचपीएससी) के पूर्व अध्यक्ष केसी बांगड़ और आयोग के 13 पूर्व सदस्यों पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। बांगड़ जेजेपी के नीति निर्धारकों में से एक हैं। हरियाणा सरकार ने एक साल पहले जननायक जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. केसी बांगड़ को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपते हुए उन्हें पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग का सलाहकार बनाया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने इनेलो शासन में एचपीएससी द्वारा कराई गई परीक्षाओं में अपने आधिकारिक प्रभाव गलत इस्तेमाल किया था।यह वो दौर था जब हरियाणा सूबे में ओम प्रकाश चौटाला बतौर मुख्यमंत्री सत्ता की बागडोर संभाल रहे थे। हालांकि जेजेपी के दो फाड़ में इनेलो परिवार पहले ही दिन से बांगड़ को विशेष रुप से जिम्मेदार मानता रहा है। लिहाजा चौटाला परिवार में दरार आने के बाद 2018 में इनेलो से अलग पार्टी बनने बांगड़ जेजेपी खड़े दिखाई दिए थे। इस समय वे अजय चोौटाला और हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी के करीबी हैं।
राष्ट्रपति ने 13 पूर्व एचपीएससी सदस्यों के लिए मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है, इनमें एमएस शास्त्री, कांग्रेस के मौजूदा विधायक प्रदीप चौधरी, दयाल सिंह, नरेंद्र विद्यालंकार, जगदीश राय, एनएन यादव, डूंगर राम, चट्टर सिंह, युद्धवीर सिंह और सतबीर सिंह शामिल हैं। वहीं रणबीर हुड्डा, ओपी बिश्नोई और केसी बांगड़ की धर्मपत्नी संतोष सिंह हैं। हरियाणा सरकार ने 14 दिसंबर 2022 को पूर्व अध्यक्ष और सदस्यों के खिलाफ 2001 और 2004 की हरियाणा सिविल सेवा (कार्यकारी शाखा) और संबद्ध सेवाओं की परीक्षा और चयन में अपने आधिकारिक पद के दुरुपयोग के लिए मुकदमा चलाने की मंजूरी जारी करने का अनुरोध भेजा गया था। इस मामले की जांच के आधार पर 18 अक्टूबर 2015 को चौधरी देवीलाल मेमोरियल इंजीनियरिंग कॉलेज, पन्नीवाला मोटा, सिरसा में सहायक प्रोफेसरों और व्याख्याताओं की, राज्य सतर्कता ब्यूरो की ओर से हिसार में सतर्कता ब्यूरो पुलिस स्टेशन में दर्ज एक प्राथमिकी में की गई थी ।
इस मामले में पूर्व अध्यक्ष सहित सदस्यों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420, 467, 468, 471 और 120-बी एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 और 13 के तहत मामला दर्ज हुआ था। केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने 7 जून को राष्ट्रपति की मंजूरी के बारे में हरियाणा सरकार को सूचित किया था। कहा कि सतर्कता ब्यूरो के रिकॉर्ड के अवलोकन से जानकारी मिलती है कि एचपीएससी के इन पूर्व पदाधिकारियों ने अवैध संतुष्टि के लिए अनुचित पक्ष दिखाया और घोर अनियमितताएं की और यही वजह रही थी कि तब अयोग्य उम्मीदवारों का चयन किया गया था।
बताया गया है कि राष्ट्रपति प्राथमिकी की एक प्रति जांच और फोरेंसिक रिपोर्ट और अन्य प्रासंगिक दस्तावेजों सहित उनके सामने सामग्री की जांच करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंची हैं कि प्रथम दृष्टया धारा 7 (लोक सेवक से संबंधित अपराध) के तहत कथित अपराध का मामला बनता है। उपरोक्त नामित व्यक्तियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (2) (सरकारी कर्मचारी द्वारा आपराधिक कदाचार) तथा भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं का प्रावधान किया गया है। स्वीकृति आदेश में कहा गया है, “राष्ट्रपति, इसके द्वारा, कानून की अदालत में इन पूर्व एचपीएससी पदाधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 19 (1) के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी देते हैं। बेशक इस यह कार्रवाई तत्कालीन इनेलो सरकार में बड़े ओहदे पर रहे बांगड़ पर सहित अन्य तत्कालीन सदस्यों पर हुई हो,मगर माना जा रहा है कि इनेलो के निष्ठावान कार्यकर्ता इससे कार्रवाई से खुश हैं,क्योंकि इनका मानना है कि चौटाला परिवार में दरार आने के कारण जो भी रहे हों,लेकिन इसमें बड़ी भूमिका बांगड़ भी रही थी।
वहीं इस मामले को लेकर बांगड़ का कहना है कि इस मामले में कोई जान नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला इस मामले में बरी हो चुके हैं। उन्हें न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है। जिस भी उद्देश्य से इस मामले को सामने लाया जा रहा है,उसका फैसला न्यायालय में हो जाएगा। उन्होंने कहा कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार के दौरान कई मामले दर्ज कराए गए थे,लेकिन हुड्डा की नौ साल से ज्यादा समय की सरकार के कार्यकाल के दौरान वह एेसा कुछ नहीं सामने ला सके,जिसमें वह भ्रष्टाचार सिद्ध हो सके। उन्होंने जर्मनी,जापान और इंग्लैंड जहां जहां वह रहे थे,वहां भी उनकी जांच कराई थी। बांगड़ के अनुसार करीब नौ साल भाजपा की सरकार को भी हो चुके हैं, लेकिन हैरानी हो रही है कि 18 साल बाद मामले याद आ रहे हैं। उन्होंने इस बात पर भी सवाल उठाया कि जो बताया जा रहा है कि राष्ट्रपति से इस मामले में मंजूरी ली गई है,जबकि नियमानुसार यह अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं थी। क्योंकि उन्हें तो रिटायर हुए भी अर्सा बीत चुका है।